नई दिल्ली : नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने 19 जुलाई को आरंभ हो रहे मानसून सत्र से पहले एक बयान जारी कर यह मांग की है. सत्यार्थी ने कहा कि कोरोना महामारी ने भारत में सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित किया है और खासकर हाशिये के बच्चों की सुरक्षा के खतरों को बढ़ाया है. कोरोना काल में बाल श्रम और बाल तस्करी के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.
उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए देश में तत्काल एक कड़े कानून की जरूरत है. सभी राजनीतिक दलों और सांसदों को इसी सत्र में बाल मजदूरी और तस्करी के खिलाफ विधेयक पारित करना चाहिए. बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक सत्यार्थी के मुताबिक सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर दिन आठ बच्चे बाल तस्करी के शिकार होते हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में बाल तस्करी के शिकार बच्चों की संख्या बढ़कर 2914 हो गई, जो 2018 में 2837 थी. इस तरह एक साल के दौरान पीडि़त बच्चों की संख्या में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बाल तस्करी के खिलाफ एक मजबूत कानून हमारे निर्वाचित नेताओं की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है। यह राष्ट्र निर्माण और आर्थिक प्रगति की दिशा में एक आवश्यक कदम भी है.
(पीटीआई-भाषा)