नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बृहस्पतिवार को बिलकिस बानो मामले में आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग करने वाले तीन दोषियों द्वारा दायर याचिकाओं पर कल विचार करने के लिए सहमत हो गया. सरेंडर करने का समय 21 जनवरी को खत्म हो रहा है. तीनों दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की.
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि बिलकिस बानो मामले में फैसला सुनाने वाली पीठ में वह और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां शामिल हैं. आवेदनों पर सुनवाई के लिए पीठ गठित किया जाना है. शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री को पीठ के गठन और आवेदनों को कल सूचीबद्ध करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश से आदेश लेने का निर्देश जारी किया.
एक अन्य वकील ने अदालत के समक्ष दलील दी कि दिन के दौरान अन्य दोषियों द्वारा भी आवेदन दायर किए जाएंगे. पीठ ने कहा कि यदि आवेदन क्रम में हैं तो उन्हें एक साथ सूचीबद्ध किया जाएगा. 8 जनवरी को शीर्ष अदालत ने बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात सरकार के पास इन ग्यारह दोषियों पर अपनी सजा माफी नीति लागू करने की कोई शक्ति नहीं है और सभी दोषियों को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.
दोषी रमेश रूपाभाई चंदना ने यह दावा करते हुए छह सप्ताह के लिए समय बढ़ाने की मांग की है कि बेटा शादी योग्य है. चंदना की याचिका में कहा गया,'आवेदक के कंधे पर उसकी देखभाल की जिम्मेदारी है. साथ ही विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया गया कि आवेदक की मां 86 वर्ष की हैं और उम्र से संबंधित कई बीमारियों से पीड़ित हैं.
इस प्रकार आवेदक आत्मसमर्पण करने से पहले अपनी मां के लिए व्यवहार्य व्यवस्था करने के लिए इस माननीय न्यायालय से अनुग्रह की मांग कर रहा है.' एक अन्य दोषी मितेश चिमनलाल भट ने भी यह कहते हुए छह सप्ताह का विस्तार मांगा है कि उसकी सर्दियों की उपज कटाई के लिए तैयार है और वह प्रक्रिया पूरी करना पसंद करेगा और फिर आत्मसमर्पण करेगा.