बिलासपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले कालीचरण महाराज (kalicharan maharaj) की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. कालीचरण की ओर से सीनियर एडवोकेट ने इस तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख किया है. साथ ही किताबों में लिखी हुई बातों को भी प्रस्तुत किया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
ये है पूरा मामला: दरअसल, रायपुर के धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अनर्गल बातें कर उन्हें गाली देने वाले संत कालीचरण पिछले तीन माह से जेल में हैं. निचली अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उनके वकील मेहुल जेठानी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई है. याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया है कि कालीचरण महाराज के खिलाफ पुलिस ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया है. जबकि उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला नहीं बनता है.
जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की कोर्ट में हुई बहस: शुक्रवार को जमानत अर्जी पर जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की कोर्ट में बहस हुई. कालीचरण की तरफ से सीनियर वकील किशोर भादुड़ी ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि, कालीचरण ने किताबों में लिखी बातों को कहा था. किताबों में लिखी हुई बातों को सार्वजिनक रूप से कहने में कोई अपराध नहीं है. कालीचरण महाराज तीन महीने से जेल में बंद हैं. पुलिस की जांच पूरी हो गई और चार्जशीट भी पेश कर दी गई है. ऐसे में जमानत दी जानी चाहिए. शासन की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल सुनील ओटवानी ने मामले में बहस करते हुए कहा कि महात्मा गांधी जैसे राष्ट्र पुरुष के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के बाद भी कालीचरण को कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि अपने बयान देने के चार दिन बाद उन्होंने यू ट्यूब पर बयान अपलोड किया था और बोला था कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है.
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जेल से निकल कर फिर कर सकता है बयानबाजी: ऐसे में जेल से बाहर आने के बाद वह फिर से ऐसी हरकतें कर सकता है और सांप्रदायिकता फैला सकता है. इसलिए कालीचरण को जमानत नहीं दिया जाना चाहिए. मामले में बहस पूरी होने के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.