ETV Bharat / bharat

पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा बिहार का यह गांव

कटिहार जिले का एक गांव आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहा है. गांव की हर महिला रोजगार से जुड़कर आत्मनिर्भर बन गई है. यहां की महिलाएं कुटीर और लघु उद्योग के माध्यम से घर में झाड़ू, पेड़ा, पेठा, जूट के सामान और केले के तने से चटाई, पर्दा, गमछा आदि बनाती हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

आत्मनिर्भर भारत
आत्मनिर्भर भारत
author img

By

Published : Mar 29, 2021, 9:41 PM IST

कटिहार : बिहार के कटिहार जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर प्राणपुर प्रखंड का जल्ला हरिरामपुर गांव पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा है. यहां की आबादी लगभग 1500 है. लेकिन यहां की खास बात यह है कि इस गांव की अधिकांश महिलाएं आत्मनिर्भर हैं. हम आत्मनिर्भर की बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यहां की महिलाएं खेती-बाड़ी संभालने के साथ-साथ कुटीर उद्योग के माध्यम से रोजाना 200 रुपये कमाकर अपना घर-परिवार चला रही हैं.

पढ़ें : कर्नाटक : धारवाड़ रेलवे स्टेशन की दीवारों पर उकेरी गईं कलाकृतियां

कटिहार का 'आत्मनिर्भर गांव'
गांव के आत्मनिर्भर बनने की कहानी जनवरी 2021 महीने से शुरू हुई है. गांव के अधिकांश परिवार खेती पर निर्भर हैं. मगर इस इलाके में बाढ़ के कारण उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ता है. महज 50 मीटर की दूरी पर महानंदा नदी है और नदी के किनारे ही यह गांव बसा हुआ है. यह गांव देखने में देश के अन्य गांवों की तरह है. लेकिन, यहां के लोग बेहद खास हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

यहां हर घर में हुनरमंद लोग
इस गांव के महिलाओं के हाथ में जो हुनर है, वह इन्हें देश के बाकी गांव से अलग करता है. यहां के हर घर में हुनरमंद लोग मिलते हैं. चाहे झाड़ू बनाना हो या केले के तने से रेशा निकालकर उसका सामान बनाना (तौलिया, गमछा, डोरमेट आदि), चाहे दूध के प्रोडक्ट (पनीर, पेड़ा, मिल्क केक, दूध, दही) बनाना हो या फिर जूट से चटाई, पर्दा आदि बनाना हो, यहां हर महिलाओं के हाथ में हुनर है.

रोजगार से जुड़ी गांव की हर महिला
रोजगार से जुड़ी गांव की हर महिला

पढ़ें- 73 वर्षीय महिला को दूल्हे की तलाश, विज्ञापन में बताया कैसा हो हमसफर

स्थानीय महिला कविता देवी ने बताया कि एफपीओ के माध्यम से कई तरह के सामान बनाने का प्रशिक्षण लिया है और उसी का नतीजा है कि आज हम महिलाएं गांव में कुटीर उद्योग के माध्यम से कई तरह के सामान बना रही हैं. उसके तहत हम महीने के 6000 रुपये कमा कर अपना घर-परिवार चला रहे हैं.

आत्मनिर्भरता बना मूलमंत्र
पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के मूल मंत्र को इस गांव के लोग साकार करते दिख रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से प्राणपुर प्रखंड क्षेत्र में एक एफपीओ बनाया गया है, जिसमें 20 लोगों के 30 समूह बनाए गए हैं. एफपीओ के माध्यम से गांव की महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को लघु और कुटीर उद्योग के माध्यम से रोजगार दिया गया है. इसी के तहत हरिरामपुर गांव की करीब 400 महिलाएं इससे जुड़कर अपनी रोजी-रोटी चला रही हैं.

एफपीओ के डायरेक्टर आनंद शर्मा का कहना है कि 20 लोगों के 30 समूह बनाकर छोटे-छोटे रोजगार दे रखे हैं. इससे महिलाएं रोजगार करने के साथ ही हुनर भी सीख रही हैं. इसके बदले उन्हें महीने के 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है.

कटिहार : बिहार के कटिहार जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर प्राणपुर प्रखंड का जल्ला हरिरामपुर गांव पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा है. यहां की आबादी लगभग 1500 है. लेकिन यहां की खास बात यह है कि इस गांव की अधिकांश महिलाएं आत्मनिर्भर हैं. हम आत्मनिर्भर की बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यहां की महिलाएं खेती-बाड़ी संभालने के साथ-साथ कुटीर उद्योग के माध्यम से रोजाना 200 रुपये कमाकर अपना घर-परिवार चला रही हैं.

पढ़ें : कर्नाटक : धारवाड़ रेलवे स्टेशन की दीवारों पर उकेरी गईं कलाकृतियां

कटिहार का 'आत्मनिर्भर गांव'
गांव के आत्मनिर्भर बनने की कहानी जनवरी 2021 महीने से शुरू हुई है. गांव के अधिकांश परिवार खेती पर निर्भर हैं. मगर इस इलाके में बाढ़ के कारण उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ता है. महज 50 मीटर की दूरी पर महानंदा नदी है और नदी के किनारे ही यह गांव बसा हुआ है. यह गांव देखने में देश के अन्य गांवों की तरह है. लेकिन, यहां के लोग बेहद खास हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

यहां हर घर में हुनरमंद लोग
इस गांव के महिलाओं के हाथ में जो हुनर है, वह इन्हें देश के बाकी गांव से अलग करता है. यहां के हर घर में हुनरमंद लोग मिलते हैं. चाहे झाड़ू बनाना हो या केले के तने से रेशा निकालकर उसका सामान बनाना (तौलिया, गमछा, डोरमेट आदि), चाहे दूध के प्रोडक्ट (पनीर, पेड़ा, मिल्क केक, दूध, दही) बनाना हो या फिर जूट से चटाई, पर्दा आदि बनाना हो, यहां हर महिलाओं के हाथ में हुनर है.

रोजगार से जुड़ी गांव की हर महिला
रोजगार से जुड़ी गांव की हर महिला

पढ़ें- 73 वर्षीय महिला को दूल्हे की तलाश, विज्ञापन में बताया कैसा हो हमसफर

स्थानीय महिला कविता देवी ने बताया कि एफपीओ के माध्यम से कई तरह के सामान बनाने का प्रशिक्षण लिया है और उसी का नतीजा है कि आज हम महिलाएं गांव में कुटीर उद्योग के माध्यम से कई तरह के सामान बना रही हैं. उसके तहत हम महीने के 6000 रुपये कमा कर अपना घर-परिवार चला रहे हैं.

आत्मनिर्भरता बना मूलमंत्र
पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के मूल मंत्र को इस गांव के लोग साकार करते दिख रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से प्राणपुर प्रखंड क्षेत्र में एक एफपीओ बनाया गया है, जिसमें 20 लोगों के 30 समूह बनाए गए हैं. एफपीओ के माध्यम से गांव की महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को लघु और कुटीर उद्योग के माध्यम से रोजगार दिया गया है. इसी के तहत हरिरामपुर गांव की करीब 400 महिलाएं इससे जुड़कर अपनी रोजी-रोटी चला रही हैं.

एफपीओ के डायरेक्टर आनंद शर्मा का कहना है कि 20 लोगों के 30 समूह बनाकर छोटे-छोटे रोजगार दे रखे हैं. इससे महिलाएं रोजगार करने के साथ ही हुनर भी सीख रही हैं. इसके बदले उन्हें महीने के 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.