पटना: बिहार सरकार ने कैबिनेट निर्णय द्वारा बिहार अध्यापक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 में संशोधन कर बिहार राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों के लिए शिक्षक नियुक्ति का फार्म भरने के लिए आदेश पारित कर दिया है. नीतीश कैबिनेट ने मंगलवार को शिक्षक बहाली में शामिल होने के लिए बिहार का स्थायी निवासी होने की अहर्ता को समाप्त कर दिया है. इस परिवर्तन के बाद अब किसी भी राज्य के योग्य अभ्यर्थी बिहार के शिक्षक के लिए आवेदन कर सकेंगे.
नीतीश सरकार का फैसला: 27 जून मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया. सरकार ने बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति स्थानांतरण अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त नियमावली 2023 को स्वीकृति दे दी है. शिक्षक नियुक्ति की नयी नियमावली में बदलाव किया गया है. बदलाव के बाद अब दूसरे राज्य के योग्य अभ्यर्थी भी बिहार में शिक्षक बन सकते हैं. यानी कि अब डोमिसाइल बाध्यता नहीं होगी.
क्या है डोमिसाइल नीति और क्या था प्रावधान? : अब आइये जानते हैं कि आखिर क्या है डोमिसाइल नीति. दरअसल, बिहार सरकार ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में बदलाव करते हुए डोमिसाइल नीति को खत्म कर दिया. डोमिसाइल का मतलब आवासीय होता है. यानी भर्ती परीक्षा में सिर्फ राज्य के लोग ही आवेदन कर सकते हैं. लेकिन मंगलवार को जारी आदेश के मुताबिक डोमिसाइल नीति को खत्म कर दिया गया, जिसके बाद देशभर के युवा बिहार शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं.
शिक्षक संघों का विरोध: वहीं सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है.अभ्यर्थियों का आरोप है कि ऐसा करके बिहार के लाखों टीईटी, एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षित बेरोजगार के भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का कार्य सरकार ने किया है. टीईटी शिक्षक संघ इस संशोधन का कड़े शब्दों में निंदा कर रहा है. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि पूर्व में जारी शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 में इस प्रकार का कोई भी प्रावधान नहीं किया गया था. वहीं दूसरे शिक्षक संघ भी विरोध में उतर आए हैं.
"निवर्तमान सरकार ने राज्य में होने वाले आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के पूर्व अपने निजी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए बिहार अध्यापक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 में संशोधन करते हुए इस प्रकार का आत्मघाती कदम उठाया है, जिसका गंभीर दुष्परिणाम आगामी विधान सभा चुनाव में सरकार को उठाना पड़ेगा."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
विधानमंडल का घेराव कर उग्र आंदोलन की चेतावनी: इसके खिलाफ बिहार के तमाम शिक्षक संघ एवं शिक्षक अभ्यर्थियों के द्वारा आगामी होने वाले मॉनसून सत्र में विधानमंडल का घेराव कर उग्र आन्दोलन एवं प्रदर्शन का ऐलान किया गया है. टीईटी शिक्षक संघ का दावा है कि इसके लिए बिहार के सभी शिक्षक गोलबंद होकर एकजुट हो चुके हैं. साथ ही वह सरकार के किसी भी तुगलकी फरमान से हतोत्साहित होकर डरने वाले नहीं हैं.
शिक्षा मंत्री का विवादित बयान: मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अजीबो-गरीब बयान दिया. बिहार के बाहर के लोगों को शिक्षक बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों के टैलेंटेड छात्र हैं, बेरोजगार हैं वे इसमें भाग ले सकेंगे. प्रदेश में मैथ, साइंस, इंग्लिश, केमिस्ट्री, फिजिक्स में अच्छे अभ्यर्थी नहीं मिल पाते, इस कारण सीट खाली रह जाती है. शिक्षा मंत्री के इस बयान की चौतरफा निंदा हो रही है और कहा जा रहा है कि बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है.
चंद्रशेखर पर बीजेपी का हमला: बिहार में नई शिक्षक बहाली नियुक्ति नियमावली के तहत 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर बहाली होनी है, लेकिन बहाली से पहले ही बवाल मचा है. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह बीजेपी विधायक राणा रणधीर सिंह ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री का लगातार दुर्भाग्यपूर्ण बयान आता रहता है. महागठबंधन की सरकार ने बहुत ही चुनकर ऐसा मंत्री बनाया है.
"एक तो शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है, उसके अलावा बिहारियों के गौरव और मान सम्मान पर भी चोट कर रहे हैं. पूरे देश में बिहारी आईएएस, आईपीएस हैं. हमारी बेटियां आईएएस के एग्जाम में टॉप कर के ये साबित कर रही हैं कि बिहारी प्रतिभा का पूरी दुनिया, देश में सम्मान हो रहा है. ऐसे समय में शिक्षा मंत्री ये कह रहे है कि बिहार में ऐसा छात्र ही नहीं है जो विज्ञान मैथ और अंग्रेजी विषय के लिए पूरी तरह फिट हो. यह बिहार के सम्मान और गौरव को वो चोट पहुंचाने वाला बयान है."-राणा रणधीर सिंह, बीजेपी विधायक