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Bihar Caste Survey Transgender : 'ट्रांसजेंडर' कोई जाति नहीं'.. सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, अलग जाति में शामिल करने की मांग

बिहार में जातीय गणना मामले में ट्रांसजेंडरों की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को अलग जाति मानने से इंकार कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडरों की अर्जी खारिज
सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडरों की अर्जी खारिज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 16, 2023, 1:59 PM IST

Updated : Oct 16, 2023, 4:37 PM IST

पटनाः बिहार में जातीय गणना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों की अर्जी को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडरों को सरकार द्वारा अलग से लाभ दिया जा सकता है, लेकिन अलग जाति नहीं बताया जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः Transgender Girl Of Patna: ना परिवार ने अपनाया ना समाज ने, खुद को स्थापित करने के लिए कर रही जद्दोजहद

अलग जाति में शामिल करने की मांगः बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना में ट्रांसजेंडरों को जाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी. ट्रांसजेंडरों की मांग थी कि उन्हें अलग जाति में शामिल किया जाए, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई से इंकार कर दिया है. कहा कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है. इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने भी सुनवाई करने से मना करते हुए कहा था कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं बल्कि समूह है.

ट्रांसजेंडरों की संख्या पर उठा था सवालः बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर को पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में बिहार में ट्रांसजेंडरों की संख्या 825 बतायी गई थी, जिसे कॉलम 22 में रखा गया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 0.0006 प्रतिशत की ट्रांसजेंडरों की आबादी है. इसी रिपोर्ट पर ट्रांसजेंडरों ने विरोध जताते हुए कहा कि रिपोर्ट में अनियमितता की गई है.

पटना हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिकाः इसको लेकर ट्रांसजेंडरों की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. ट्रांसजेंडरों का मानना था कि 2011 की जनगणना में बिहार में ट्रांसजेंडरों की संख्या 42 हजार थी, लेकिन इस बार 825 बताया गया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ट्रांसजेंडरों को अलग जाति की सूचना में शामिल करने की मांग की थी. पटना हाईकोर्ट ने अलग जाति मानने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

पटनाः बिहार में जातीय गणना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों की अर्जी को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडरों को सरकार द्वारा अलग से लाभ दिया जा सकता है, लेकिन अलग जाति नहीं बताया जा सकता है.

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अलग जाति में शामिल करने की मांगः बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना में ट्रांसजेंडरों को जाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी. ट्रांसजेंडरों की मांग थी कि उन्हें अलग जाति में शामिल किया जाए, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई से इंकार कर दिया है. कहा कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है. इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने भी सुनवाई करने से मना करते हुए कहा था कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं बल्कि समूह है.

ट्रांसजेंडरों की संख्या पर उठा था सवालः बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर को पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में बिहार में ट्रांसजेंडरों की संख्या 825 बतायी गई थी, जिसे कॉलम 22 में रखा गया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 0.0006 प्रतिशत की ट्रांसजेंडरों की आबादी है. इसी रिपोर्ट पर ट्रांसजेंडरों ने विरोध जताते हुए कहा कि रिपोर्ट में अनियमितता की गई है.

पटना हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिकाः इसको लेकर ट्रांसजेंडरों की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. ट्रांसजेंडरों का मानना था कि 2011 की जनगणना में बिहार में ट्रांसजेंडरों की संख्या 42 हजार थी, लेकिन इस बार 825 बताया गया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ट्रांसजेंडरों को अलग जाति की सूचना में शामिल करने की मांग की थी. पटना हाईकोर्ट ने अलग जाति मानने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

Last Updated : Oct 16, 2023, 4:37 PM IST
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