पटनाः बिहार में जातिगत जनगणना का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. सोमवार को पटना में प्रेस कांफ्रेंस में प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इसकी जानकारी दी. विभागीय जानकारी के अनुसार 215 जातियों का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति बताई गई है. वहीं जातीय गणना में बिहार की कुल आबादी 13, 01725310 है.
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जातिगत जनगणना का आंकड़ा जारीः प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि 215 जातियों का आंकड़ा जारी किया गया है, जिसमें, हिन्दू 81.9986%, इस्लाम 17.7088%, ईसाई 0.0576% रिकॉर्ड किया गया है. सबसे कम जैन धर्म के लोग हैं, इनकी संख्या केवल 0.0096 % है. धर्म के अनुसार आंकड़ा के साथ-साथ जातियों का भी आंकड़ा जारी किया गया है. राज्य में 27 जातियों की संख्या 1000 से भी कम है.
ओबीसी जाति सबसे सर्वाधिक 63% : बिहार में जातीय गणना के मुताबिक ओबीसी की संख्या सर्वाधिक है. पिछड़ा 27.12% और अति पिछड़ा-36.01% आबादी है. वहीं SC- 19.65 और ST 1.68% है. इस तरह इन दोनों वर्गों में की संख्या 21% है. जबकि जनरल कास्ट की आबादी 16% है. जातियों में सबसे अधिक यादव जाति का प्रतिशत है 14.26% है. इस तरह ओबीसी की संख्या 63% के करीब है.
215 जातियों का आंकड़ा जारीः जातियों के आंकड़ा इस प्रकार है, यादव 14.2666%, कुर्मी 2.8785%, कुशवाहा 4.2120%, ब्राह्मण 3.6575%, भूमिहार 2.8683%, राजपूत 3.4505%, मुसहर 3.0872%, मल्लाह 2.6086%, बनिया 2.3155% रिकॉर्ड किया गया है. इसके साथ अन्य जातियों का आंकड़ा भी जारी किया गया है.
7 जनवरी से शुरू हुआ था जातिगत जनगणनाः सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार में जातिगत जनगणना कार्यक्रम को पूरा किया गया है. बता दें कि इसी साल 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का पहला चरण शुरू हुआ था, जो 21 जनवरी को पूरा हुआ था. दूसरा चरण का 15 अप्रैल से शुरू हुआ था, इसी बीच मामला कोर्ट में चला गया था. इस कारण दूसरे फेज में 80 प्रतिशत काम पूरा हुआ था, जिसे पूरा करने में थोड़ा समय लगा.
दो चरणों में हुआ था जातीय जनगणनाः बता दें कि जातिगत जनगणना के पहले चरण में मकानों की सूचीकरण और इसकी गणना की गई थी. दूसरे चरण में परिवारों की संख्या और उनके रहन-सहन, आय आदि का आंकड़ा जुटाया गया था. हालांकि मामला कोर्ट में जाने के कारण दूसरा चरण का का काम 80 प्रतिशत ही पूरा हुआ था, लेकिन चुनाव से पहले आंकड़ा जारी करने का लक्ष्य था, जिसे विभाग ने पूरा किया है.