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Ghost Fair in Bihar : यहां लगती है भूत-प्रेतों की हाजरी, चिल्‍लाती हैं बुरी आत्‍माएं

बिहार के मधुबनी में एक ऐसा दरगाह है, जहां भूतों की महफिल सजती है. देश के कई राज्यों सहित पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश से भी लोग यहां पहुंचते हैं. यहां भूत खेला करते हैं. कोई अपना सिर घुमाता है, तो कोई माथा पटकता नजर आता है. यहां अंधविश्वास के इस अनुष्ठान से जुड़ी लोगों की कई मान्यताएं हैं. भूत खेला का वीडियो सामने आया है.

Bihar Bhoot Mela
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Published : Jun 29, 2023, 3:00 PM IST

Updated : Jun 29, 2023, 8:01 PM IST

देखें वीडियो

मधुबनी: बिहार के मधुबनी जिले में हर साल भूतों का मेला लगता है. भूत मेला जिला मुख्यलय से चालीस किलोमीटर की दूरी पर झंझारपुर अनुमंडल के ताजपुर अलपुरा गांव में लगता है. पीर बाबा मखदूम शाह की मजार पर भूत खेला करते दिखते हैं. कई महिलाएं यहां अपना सिर घुमाते और पटकते आपको दिख जाएंगी.

पढ़ें- यहां लगता है भूतों का मेला, काली शक्तियों को भगाने का खुलेआम चलता है खेला !

पीर बाबा मखदूम शाह की मजार पर भूत मेला: यह मेला प्रतिवर्ष बकरीद से पहले साल में एक दिन मनाया जाता है. यहां हजारों-लाखों लोग पहुंचते हैं जो सिर्फ भूत बाधा दूर करने के लिए आते हैं. भूत भी तरह-तरह के आते हैं. कोई रोने वाला भूत है तो कोई हंसने वाला भूत है तो कोई नाचने वाला तो कोई मौन भूत है. इन सभी भूतों को यहां मौजूद मौलवी चुटकियों में भगा देने का दावा करते हैं.

भूत खेला करती महिला की तस्वीर
भूत खेला करती महिला की तस्वीर

बुरी आत्माओं पर काबू पाने का दावा: पीर बाबा मखदूम शाह अपने जमाने के प्रसिद्ध और ख्याति प्राप्त फकीर थे. ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति श्रद्धा के साथ यहां जिस मनोकामना से पहुंचता है, पीर बाबा की कृपा से वह खाली हाथ वापस नहीं लौटता है और उसकी मुराद पूरी होती है. भूत प्रेत बाधा, निसंतान लोग यहां बड़े उत्साह के साथ आते हैं.

देश के साथ ही पड़ोसी देश से आते हैं लोग: मजार के सरपरस्त महबूब रजा कमाली ने बताया पीर बाबा मखदूम शाह की मजार काफी प्रसिद्ध है. करीब 700 वर्षों से यह मेला यहां लगता आ रहा है. ऐसी मान्यता है जो भी भक्त यहां आते हैं, पीर बाबा मखदूम शाह उसकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. यहां हर धर्म को मानने वाले लोग बड़ी ही आस्था के साथ आते हैं. कई लोग नेपाल से भी आते हैं.

"यहां बगल के तालाब में स्नान किया जाता है. उसके बाद पीर बाबा की दरगाह पर माथा टेका जाता है. शाम ढलने के बाद स्वत: शरीर में प्रभावित भूत प्रेत सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं जो भी भक्त इस मनकामना से यहां बलि के रूप में बकरा मुर्गा कबूतर देते हैं उसे प्रसाद के रूप में यही बनाकर खिलाया जाता है."-महबूब रजा कमाली, मजार के सरपरस्त

देश के साथ ही पड़ोसी राज्य से आते हैं लोग
देश के साथ ही पड़ोसी राज्य से आते हैं लोग

मन्नत पूरी होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी: बताया जाता है कि यहां देश के कई राज्यो झारखंड, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई के अलावे पड़ोसी देश नेपाल, बंगालदेश आदि जगहों से लोग भूत बाधा दूर करने आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि नि:संतान लोग संतान की चाह को लेकर यहां पहुंचते हैं और मन्नत पूरा होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी देते हैं.

जिला प्रशासन रहते हैं तैनात: मजार पर यह सिलसिला सालो से चल रहा है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां पुलिस बल की तैनाती की गई है. पुलिस कर्मियों के सामने ही अंधविश्वास का यह खेल चलता है. बकरीद के पहले साल में एक बार लगने वाले इस भूत मेले में हर साल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन उस हिसाब से यहां इंतजाम नहीं किया जाता है. लोगों को ठहरने से लेकर पीने के पानी तक की समस्या झेलने पड़ती है.

मन्नत पूरी होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी
मन्नत पूरी होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी

आस्था या अंधविश्वास!: इसे अंधविश्वास कहे या आस्था लेकिन लोग के पहुंचने का सिलसिला जारी है. भूत बाधा दूर होने और मनोकामना पूरी होने के बाद कुर्बानी देने की प्रथा भी जारी है. लोगों की इस मजार और यहां लगने वाले भूत मेले को लेकर गहरी आस्था है.

नोट : फिलहाल, आस्था के नाम पर सदियों से चला आ रहा अंधविश्वास का खेल यहां आज भी जारी है. ऐसे में जरूरी है कि समाज में जागरूकता के साथ-साथ शिक्षा के स्तर को भी बढ़ाया जाए. जिससे आस्था के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न और अंधविश्वास का खेल बंद हो सके. ईटीवी भारत भी इस तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

देखें वीडियो

मधुबनी: बिहार के मधुबनी जिले में हर साल भूतों का मेला लगता है. भूत मेला जिला मुख्यलय से चालीस किलोमीटर की दूरी पर झंझारपुर अनुमंडल के ताजपुर अलपुरा गांव में लगता है. पीर बाबा मखदूम शाह की मजार पर भूत खेला करते दिखते हैं. कई महिलाएं यहां अपना सिर घुमाते और पटकते आपको दिख जाएंगी.

पढ़ें- यहां लगता है भूतों का मेला, काली शक्तियों को भगाने का खुलेआम चलता है खेला !

पीर बाबा मखदूम शाह की मजार पर भूत मेला: यह मेला प्रतिवर्ष बकरीद से पहले साल में एक दिन मनाया जाता है. यहां हजारों-लाखों लोग पहुंचते हैं जो सिर्फ भूत बाधा दूर करने के लिए आते हैं. भूत भी तरह-तरह के आते हैं. कोई रोने वाला भूत है तो कोई हंसने वाला भूत है तो कोई नाचने वाला तो कोई मौन भूत है. इन सभी भूतों को यहां मौजूद मौलवी चुटकियों में भगा देने का दावा करते हैं.

भूत खेला करती महिला की तस्वीर
भूत खेला करती महिला की तस्वीर

बुरी आत्माओं पर काबू पाने का दावा: पीर बाबा मखदूम शाह अपने जमाने के प्रसिद्ध और ख्याति प्राप्त फकीर थे. ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति श्रद्धा के साथ यहां जिस मनोकामना से पहुंचता है, पीर बाबा की कृपा से वह खाली हाथ वापस नहीं लौटता है और उसकी मुराद पूरी होती है. भूत प्रेत बाधा, निसंतान लोग यहां बड़े उत्साह के साथ आते हैं.

देश के साथ ही पड़ोसी देश से आते हैं लोग: मजार के सरपरस्त महबूब रजा कमाली ने बताया पीर बाबा मखदूम शाह की मजार काफी प्रसिद्ध है. करीब 700 वर्षों से यह मेला यहां लगता आ रहा है. ऐसी मान्यता है जो भी भक्त यहां आते हैं, पीर बाबा मखदूम शाह उसकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. यहां हर धर्म को मानने वाले लोग बड़ी ही आस्था के साथ आते हैं. कई लोग नेपाल से भी आते हैं.

"यहां बगल के तालाब में स्नान किया जाता है. उसके बाद पीर बाबा की दरगाह पर माथा टेका जाता है. शाम ढलने के बाद स्वत: शरीर में प्रभावित भूत प्रेत सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं जो भी भक्त इस मनकामना से यहां बलि के रूप में बकरा मुर्गा कबूतर देते हैं उसे प्रसाद के रूप में यही बनाकर खिलाया जाता है."-महबूब रजा कमाली, मजार के सरपरस्त

देश के साथ ही पड़ोसी राज्य से आते हैं लोग
देश के साथ ही पड़ोसी राज्य से आते हैं लोग

मन्नत पूरी होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी: बताया जाता है कि यहां देश के कई राज्यो झारखंड, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई के अलावे पड़ोसी देश नेपाल, बंगालदेश आदि जगहों से लोग भूत बाधा दूर करने आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि नि:संतान लोग संतान की चाह को लेकर यहां पहुंचते हैं और मन्नत पूरा होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी देते हैं.

जिला प्रशासन रहते हैं तैनात: मजार पर यह सिलसिला सालो से चल रहा है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां पुलिस बल की तैनाती की गई है. पुलिस कर्मियों के सामने ही अंधविश्वास का यह खेल चलता है. बकरीद के पहले साल में एक बार लगने वाले इस भूत मेले में हर साल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन उस हिसाब से यहां इंतजाम नहीं किया जाता है. लोगों को ठहरने से लेकर पीने के पानी तक की समस्या झेलने पड़ती है.

मन्नत पूरी होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी
मन्नत पूरी होने पर कबूतर, मुर्गा, खस्सी की कुर्बानी

आस्था या अंधविश्वास!: इसे अंधविश्वास कहे या आस्था लेकिन लोग के पहुंचने का सिलसिला जारी है. भूत बाधा दूर होने और मनोकामना पूरी होने के बाद कुर्बानी देने की प्रथा भी जारी है. लोगों की इस मजार और यहां लगने वाले भूत मेले को लेकर गहरी आस्था है.

नोट : फिलहाल, आस्था के नाम पर सदियों से चला आ रहा अंधविश्वास का खेल यहां आज भी जारी है. ऐसे में जरूरी है कि समाज में जागरूकता के साथ-साथ शिक्षा के स्तर को भी बढ़ाया जाए. जिससे आस्था के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न और अंधविश्वास का खेल बंद हो सके. ईटीवी भारत भी इस तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

Last Updated : Jun 29, 2023, 8:01 PM IST

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