नालंदा: बिहार के नालंदा जिले के बिहारशरीफ में भड़की हिंसा की आग में एक नया मोड़ आ गया है या यूं कहे कि नया विवाद सामने आया है. दरअसल पिछले 31 मार्च को रामनवमी के मौके पर निकाली गई विरोट शोभायात्रा के दौरान उपद्रव हुआ था. दो पक्ष आपस में भिड़ गए थे. उपद्रव के बाद अंचलाधिकारी (CO) धर्मेंद्र पंडित और प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) अंजन दत्ता ने अलग-अलग एफआईआर लहेरी थाने में दर्ज करायी थी. सीओ और बीडीओ के आवेदन ने जिला प्रशासन द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
गगनदिवान मुहल्ले में तैनात थे CO: दोनों द्वारा दिये गये आवेदन में घटना का जिक्र है और इससे जिला प्रशासन के सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं. दोनों अधिकारी मजिस्ट्रेट के रूप में रामनवमी जुलूस शोभा यात्रा के दौरान दो जगह पर दल-बल के साथ तैनात थे. बिहारशरीफ के अंचलाधिकारी धर्मेन्द्र पंडित मजिस्ट्रेट के रूप गगन दिवान मुहल्ले में तैनात थे. यहीं से हिंसा की शुरूआत हुई थी.
भरवापार पर तैनात थे BDO: बिहारशरीफ सदर के प्रखंड विकास पदाधिकारी अंजन दत्ता मजिस्ट्रेट के रूप में भरावपर पर तैनात थे. प्राथमिकी में दोनों हिंसा-स्थल की लहेरी थाना से दोनों विपरित दिशा की दूरी 500 मीटर लिखी गई है. यहीं सवाल खड़ा हो रहा है कि प्राथमिकी के अनुसार उपद्रवी गगनदिवान में हिंसा भड़काने के बाद भरावपार की तरफ आकर मदरसा, दुकान और होटल में आग लगाने का जिक्र है. इन दोनों हिंसात्मक स्पॉट के ठीक बीचों बीच लहेरी थाना पड़ता है. उपद्रवी गगनदिवान से लहेरी थाना होते हुए भरवापार गये, तो क्या थाने में पुलिस बल नहीं थे. जो उपद्रवियों को थाना के सामने रोक सकें. जब थाना पर ही पुलिस बल नहीं रहेंगे तो सवाल थाना की सुरक्षा को लेकर भी उठेंगे. उपद्रवी चाहते तो थाना को भी नुकसान पहुंचा सकते थे. फिलहाल सभी बिंदुओं पर एसपी खुद जांच करने की बात कह रहे हैं.
''अनुसंधान का विषय है. मामले को हम देख रहे हैं. यह जांच और अनुसंधान का विषय है.''- अशोक मिश्रा, एसपी
FIR से खुली सुरक्षा इंतजामों की पोल: इस FIR की कॉपी से जिला प्रशासन की विफलता सामने आ रही है. हालांकि एफआईआर के बारे में पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने कुछ भी बताने से परहेज करते हुए कहा कि मामले की जांच चल रही है. हम लोग इसकी जांच कर रहे हैं. बता दें कि बिहारशरीफ हिंसा मामले में अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के आवेदन पर लहेरी थाने में 31 मार्च 2023 को क्रमश: 214/23 और 215/23 प्राथमिकी दर्ज हुई है. वहीं बिहार शरीफ के अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह ने प्रशासन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि 31 मार्च को जो भी उपद्रव किए गए हैं, वह बिल्कुल प्री प्लान थे.
"प्रशासन के द्वारा अधिकांश निर्दोष लोगों के ही ऊपर एफआईआर दर्ज कराया है. इसमें शासन प्रशासन की मिलीभगत की बू आ रही है. अगर शासन-प्रशासन चाहती तो इस उपद्रव को रोक सकती थी."- संतोष कुमार सिंह, अधिवक्ता