भोपाल। हवा में कविताएं तो गूंजती हैं, लेकिन कविताओं के साथ कवि भी हवा में घूमते झूमते आसमान से कविता पाठ करे तो इसे आप क्या कहेंगे? आइए आपको भोपाल के एक ऐसे कवि से मिलवाते हैं जिन्होंने ये कारनामा कर दिखाया है(Bhopal poet Atal Kashyap recite 40 poem in sky). भोपाल के कवि अटल कश्यप ने 45 मिनिट तक आसमान में 4 हजार 2 सौ फीट की ऊंचाई से पैराग्लाइडिंग करते हुए 1, 2 नहीं बल्कि अपनी 40 कविताओं का पाठ कर डाला और उनका ये जुनून इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज भी हो गया है.
जमीन और आसमान के बीच कविता पाठ: आमतौर पर कवि अपनी सारी क्रांतियां, सारे जोखिम कविताओं में ही लिख लेता है, लेकिन भोपाल के कवि अटल कश्यप इन मायनों में अलग हैं. उन्होंने अपने कविता पाठ के साथ एक नया प्रयोग कर डाला है. ज्यादातर कविताएं, साहित्यिक गोष्ठियों कवि सम्मेलनों में पढ़ी सुनी जाती है, लेकिन कविवर ने कविता वाचने जमीन छोड़ आसमान का मैदान चुना और पैराग्लाइडिंग करते हुए अपनी 40 कविताएं पढ़ी.
40 मिनट में पढ़ी 40 कविताएं: कवि अटल कश्यप हर बात कुछ हटके है. पिछले 7 साल से वे लगातार अपनी कविता की एक किताब प्रकाशित करवाते हैं. उनकी हालिया 40 कविताओं का संकलन, 'बातें हमारी तुम्हारी' उनका सातवां कविता संग्रह है. अटल कश्यप कहते हैं, "सातवें कविता संग्रह के साथ मुझे ये ख्याल आया कि जमीन पर कविता तो सभी पढ़ते हैं, मैंने सोचा क्यों नहीं इससे कुछ हटकर किया जाए(Atal Kashyap recite 40 poem while paragliding). फिर मुझे आसमान का ख्याल आया और मैंने ये कर दिखाया. जब सारी दुनिया जमीन पर बैठकर कविताएं पढ़ रही है, तो मैंने सोचा मैं आसमान पर उड़ते हुए कविताएं पढ़ूंगा. ऐसा पहले किसी ने किया भी नहीं था." कवि अटल ने एक मिनिट का समय एक कविता के लिए लिया. 40 कविताएं 40 मिनिट में पूरी की, टेक ऑफ और लैंडिंग मिलाकर कुल 45 मिनिट में ये इस कारनामे को अंजाम दे दिया.
कविताएं भी आसमानी तूफानी: कवि अटल कश्यप की कविताएं आसमानी भी है और तूफानी भी. यानि उनमें कुदरत तो समाई हुई है आसमान, परिंदे, मौसम, आम आदमी के हिस्से का तूफान, संघर्ष सभी कुछ है, लेकिन मानवीय संवेदनाएं इन कविताओं का कॉमन फीचर है. सामाजिक बुराईयों पर भी कवि अटल ने कविताओं के माध्यम से चोट की है. उन्होंने कविता के जरिए प्रकृति और इंसान के रिश्ते को नए ढंग से परिभाषित किया गया है.
कविता के स्टंट के लिए चुना दार्जिलिंग: भोपाल के रहने वाले अटल कश्यप सिक्किम में नौकरी करते हैं. पेशे से सीनियर फार्मा प्रोफेशनल अटल ये कारनामा भोपाल के आसमान पर भी कर सकते थे, लेकिन ज्यादा वक्त नौकरी की वजह से सिक्किम में रहना पड़ता है. लिहाजा उन्होंने दार्जिंलिंग को चुना. अटल बताते हैं देखिए जिस पैराग्लाइडिंग को सामान्य रुप से करने में भी लोग घबराते हों, जान का जोखिम तो रहता है क्योंकि आप जमीन और आसमान के बीच में किसी पंछी की तरह अटके हुए हैं, तो ये मेरे साथ भी था.. फिर दूसरा इस तरह जमीन आसमान के बीच लटके हुए कविताओं पर फोकस रखते हुए कविता पाठ करना भी जोखिम भरा था. जरा सी चूक में जान भी जा सकती थी, लेकिन डर के आगे ही तो जीत है. तो डटे रहे और लक्ष्य हासिल कर लिया. अब आगे क्या...इस सवाल पर कवि अटल कहते हैं सातवें कविता संग्रह के साथ ये प्रयोग किया अब आगे क्या नया करूंगा अभी तो सोचा नहीं, पर करूंगा कुछ हटकर ही ये तय है.