रांचीः बोकारो के राजकीय कुक्कुट प्रक्षेत्र की मुर्गियां बर्ड फ्लू के संक्रमण की वजह से मर रही थीं. भोपाल लैब ने इसकी पुष्टि कर दी है. पशुपालन निदेशक चंदन कुमार ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि राजकीय फार्म में करीब 900 मुर्गियां थीं लेकिन फरवरी के पहले सप्ताह से ही मुर्गियों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ था. लिहाजा, तमाम संभावनाओं को देखते हुए हर तरह के एहतियात बरते जा रहे थे. 15 फरवरी को रांची की टीम ने सैंपल को निदेशक, ईआरडीडीएल, कोलकाता भेजा था. वहां से सैंपल को राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी), भोपाल भेजा गया था. भोपाल सेंटर ने एच5एन1 यानी एवियन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि कर दी है. उन्होंने बताया कि फॉर्म में 700 मुर्गियां मर चुकी हैं. शेष बचीं 200 मुर्गियों को बुधवार को खत्म कर दिया जाएगा.
पशुपालन निदेशक ने दी जानकारीः पशुपालन निदेशक ने बताया कि बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद बुधवार को केंद्र की एक टीम झारखंड आ रही है. बोकारो से सटे सभी जिलों के उपायुक्तों के साथ वीसी कर एहतियाती कदम को लेकर चर्चा की जाएगी. उन्होंने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक बोकारो में सिर्फ राजकीय कुक्कुट प्रक्षेत्र में ही यह संक्रमण फैला था. अभी तक किसी अन्य निजी फार्म में मुर्गियों के मरने की खबर नहीं मिली है. फिर भी तमाम एहतियात बरते जाने हैं. उन्होंने कहा कि बोकारो की सीमा से पश्चिम बंगाल का पुरूलिया भी जुड़ता है. लिहाजा, वहां से मुर्गियों की सप्लाई पर नजर रखी जा रही है.
आम लोगों को बरतनी चाहिए सावधानीः फरवरी के पहले सप्ताह से मुर्गियों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ था. राहत की बात है कि अभी तक बाहर के निजी फार्म में बड़ी तादाद में मुर्गियों के मरने की बात सामने नहीं आई है. हालाकि बर्ड फ्लू की आशंका की खबर आते ही होटल और रेस्टॉरेंट में चिकेन की बिक्री में करीब 20 से 25 फीसदी की कमी आई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में चीन में बर्ड फ्लू की वजह से 21 लोगों की मौत हो गई थी.
क्या होता है बर्ड फ्लूः इसको एवियन इंफ्लूऐंजा भी कहा जाता है. यह एक वायरस जनित बीमारी है. यह खास तौर से मुर्गियों, टर्की, बटेर, गिनी फाउल और पालतू पक्षियों को प्रभावित करता है. कभी कभार मानव सहित अन्य कई स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है. इस पुष्टि के बाद पशुपालन विभाग के साथ-साथ पूरे चिकेन मार्केट में खलबली मच गई है. दरअसल, झारखंड में चिकेन का बड़ा कारोबार है. इसके सहारे सैंकड़ों परिवारों की आर्थिक गाड़ी चलती है. विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि इस संक्रामक बीमारी को फैलने से कैसे रोका जाए.