भोपाल। भोपाल जिला न्यायालय ने साल 2005 में आज ही के दिन डाऊ केमिकल को नोटिस जारी किया था. इसके बाद से डाऊ केमिकल की ओर से बार-बार कहा जाता रहा कि हम भारत के जूरिडिक्शन एरिया में नहीं आते हैं. इसी को लेकर शनिवार को इस मामले में भोपाल के जिला न्यायलय में बहस हुई. बता दें कि डाऊ केमिकल को नोटिस जारी किया गया था. भोपाल न्यायालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे. इस मामले में 6 जनवरी 2005 को पहला नोटिस जारी किया गया था. उसके बाद सात बार और नोटिस डाऊ केमिकल और अमेरिका के न्याय विभाग को भेजे गए.
अदालत में ये तर्क दिए : 18 साल बाद अब यह पहला मौका है जिसमे डाऊ केमिकल की ओर से प्रतिनिधि व वकील न्यायालय में उपस्थित हुए. इससे पूर्व हर बार डाऊ केमिकल की ओर से न्यायालय में यह कहा गया था कि उनकी कंपनी भारत में व्यापार तो कर सकती है पर वह की न्याययिक व्यवस्था के अंतर्गत नहीं आती. वह भोपाल कोर्ट की जूरिडिक्शन में नहीं आते. इसलिए भोपाल में मामला नहीं चल सकता. अब इस मामले में बहस जारी है. बता दें कि साल 1992 में इस मामले में यूनियन कार्बाइड को भोपाल कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया था.
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भगोड़ा घोषित हो चुकी है कंपनी : भोपाल में गैस त्रासदी के दंश को झेल रहे लोगों के लिए काम करने वाली संस्था भोपाल ग्रुप का इनफॉरमेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढिंगरा ने बताया कि यूनियन कार्बाइड कंपनी भोपाल में हुए सबसे बड़े कत्लेआम और भारत की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के लिए जिम्मेदार है. डाऊ केमिकल कंपनी के लोग भोपाल कोर्ट में पेश हुए हैं. उनकी ओर से आज भी अदालत में यह बताया गया है कि वह हमारे देश में व्यापार तो कर सकते हैं पर हमारे देश के कानून की परिधि में वह नहीं आते हैं. इसी बात को लेकर आज न्यायालय में तर्क हुए. डाऊ केमिकल ने यूनियन कार्बाइड कंपनी को खरीदा है और एक भगोड़े को वह शरण देती हुई आ रही है.