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भीमा कोरेगांव मामला: राव की नियमित जमानत वाली याचिका पर एनआईए को न्यायालय का नोटिस - एनआईए को न्यायालय का नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी पी. वरवर राव की चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी किया.

भीमा कोरेगांव मामला
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Published : Jul 19, 2022, 12:54 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी पी. वरवर राव की चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति यू.यू. ललित के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि मामले पर 10 अगस्त को सुनवाई की जाएगी. शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को, राव को दी गई अंतरिम सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ा दी थी. राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी जमानत संबंधी उनकी अपील को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल की है.

पढ़ें: भीमा कोरेगांव केस : बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन शर्तों पर दी राव को जमानत

राव (83) चिकित्सा आधार पर जमानत पर हैं और उन्हें 12 जुलाई को आत्मसमर्पण करना था. गौरतलब है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली और इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं. मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी पी. वरवर राव की चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति यू.यू. ललित के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि मामले पर 10 अगस्त को सुनवाई की जाएगी. शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को, राव को दी गई अंतरिम सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ा दी थी. राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी जमानत संबंधी उनकी अपील को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल की है.

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राव (83) चिकित्सा आधार पर जमानत पर हैं और उन्हें 12 जुलाई को आत्मसमर्पण करना था. गौरतलब है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली और इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं. मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी.

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