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Rajasthan : असम को सरसों उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा भरतपुर, जानें कैसे बढ़ेगा रकबा

सरसों उत्पादन में अग्रणी राजस्थान का भरतपुर अब असम को आत्मनिर्भर बनाएगा. इसके लिए सरसों अनुसंधान निदेशालय और असम सरकार के बीच एमओयू हुआ, जिसके तहत निदेशालय के कृर्षि वैज्ञानिक असम के 15 जिलों के किसानों को प्रशिक्षित करेंगे. वहीं, ईटीवी भारत के संवाददाता श्यामवीर सिंह ने सरसों अनुसंधान निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. पीके राय से खास बातचीत की.

Assam will become self reliant in mustard
Assam will become self reliant in mustard
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 12, 2023, 2:00 PM IST

अब असम को आत्मनिर्भर बनाएगा भरतपुर

भरतपुर. पूरे देश में सरसों और सरसों तेल के उत्पादन में अग्रणी भरतपुर अब असम को भी सरसों उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा. इसके लिए भरतपुर के सरसों अनुसंधान निदेशालय और असम सरकार के बीच एमओयू हुआ, जिसके तहत असम में सरसों के रकबा को तीन गुना तक बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. निदेशालय ये सब वर्ल्ड बैंक के प्रोग्राम 'असम एग्री बिजनेस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट' (APART) के तहत करेगा. साथ ही निदेशालय ने असम में सरसों उत्पादन के क्षेत्र में कार्य भी शुरू कर दिया है.

Assam will become self reliant in mustard
असम में सरसों की स्थिति

किसानों को प्रशिक्षित कर रहे कृषि वैज्ञानिक - सरसों अनुसंधान निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. पीके राय ने बताया कि असम के साथ निदेशालय का एक साल पहले राई सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अपार्ट प्रोजेक्ट के तहत एमओयू हुआ था. इसमें हमें राज्य सरकार के साथ मिलकर वहां के 7 जिलों के किसानों को जागरूक करना था. एक साल के हमारे परिणामों को देखते हुए अब असम सरकार ने 15 जिलों को कार्यक्रम में शामिल किया है. इसमें असम के 15 जिलों में शिवसागर, जोरहाट, भीमाजी, लखीमपुर, सोनितपुर, गोलाघाट, नगांव, मोरीगांव, कामरू, दरांग, नलवाड़ी, बारपेटा, बुंगई गांव, कोकराझार, धुबरी जिला शामिल हैं. इन जिलों के किसानों को निदेशालय के कृषि वैज्ञानिक राई सरसों के उत्पादन को किस तरह बढ़ाया जा सकता है इसका प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें - Special : भरतपुर के इस युवा ने इंजीनियरिंग के बाद शुरू की मोती की खेती, अब डिजाइनर पर्ल से होगी करोड़ों की कमाई

रकबा को तीन गुना बढ़ाने का है लक्ष्य - डॉ. राय ने बताया कि फिलहाल असम में 2.87 लाख हेक्टेयर में सरसों उत्पादन होता है. हम इस रकबा को 6.87 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाएंगे. साथ ही अभी असम में 650 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सरसों उत्पादन होता है, जिसे बढ़ाकर 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य है. इसके लिए निदेशालय के वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की टीम असम में काम कर रही है.

तेल उत्पादन को बढ़ावा - डॉ. राय ने बताया कि असम में सरसों तेल इस्तेमाल अधिक होता है, लेकिन तेल राजस्थान और अन्य जगहों से आयात किया जाता है, जो कि वहां के लोगों को महंगा पड़ता है. ऐसे में निदेशालय अपार्ट प्रोजेक्ट के तहत 15 जिलों के 45 ब्लॉक में मिनी स्पेलर लगाएगा. प्रत्येक ब्लॉक में एक मिनी स्पेलर लगाया जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर ही सरसों तेल उत्पादन हो सकेगा. मिनी स्पेलर से प्रति घंटा 60 किलो सरसों की पिराई की जा सकेगी. इससे जहां लोगों को स्थानीय स्तर पर शुद्ध सरसों तेल मिल सकेगा. वहीं, यह कम कीमत में उपलब्ध होगा.

Assam will become self reliant in mustard
किसानों को प्रशिक्षित कर रहे कृषि वैज्ञानिक

इसे भी पढ़ें - Special : भरतपुर के किसान के बाजरे की कई राज्यों में मांग, 5 बीघा में की थी खेती..अब तक कमाए लाखों रुपए

डॉ. राय ने बताया कि हमें असम में सरसों उत्पादन, सरसों का रकबा और सरसों तेल उत्पादन के लिए मिनी स्पेलर लगाने का लक्ष्य 5 साल में हासिल करना है. इसके लिए पूरी टीम मेहनत कर रही है.

अब असम को आत्मनिर्भर बनाएगा भरतपुर

भरतपुर. पूरे देश में सरसों और सरसों तेल के उत्पादन में अग्रणी भरतपुर अब असम को भी सरसों उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा. इसके लिए भरतपुर के सरसों अनुसंधान निदेशालय और असम सरकार के बीच एमओयू हुआ, जिसके तहत असम में सरसों के रकबा को तीन गुना तक बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. निदेशालय ये सब वर्ल्ड बैंक के प्रोग्राम 'असम एग्री बिजनेस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट' (APART) के तहत करेगा. साथ ही निदेशालय ने असम में सरसों उत्पादन के क्षेत्र में कार्य भी शुरू कर दिया है.

Assam will become self reliant in mustard
असम में सरसों की स्थिति

किसानों को प्रशिक्षित कर रहे कृषि वैज्ञानिक - सरसों अनुसंधान निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. पीके राय ने बताया कि असम के साथ निदेशालय का एक साल पहले राई सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अपार्ट प्रोजेक्ट के तहत एमओयू हुआ था. इसमें हमें राज्य सरकार के साथ मिलकर वहां के 7 जिलों के किसानों को जागरूक करना था. एक साल के हमारे परिणामों को देखते हुए अब असम सरकार ने 15 जिलों को कार्यक्रम में शामिल किया है. इसमें असम के 15 जिलों में शिवसागर, जोरहाट, भीमाजी, लखीमपुर, सोनितपुर, गोलाघाट, नगांव, मोरीगांव, कामरू, दरांग, नलवाड़ी, बारपेटा, बुंगई गांव, कोकराझार, धुबरी जिला शामिल हैं. इन जिलों के किसानों को निदेशालय के कृषि वैज्ञानिक राई सरसों के उत्पादन को किस तरह बढ़ाया जा सकता है इसका प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं.

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रकबा को तीन गुना बढ़ाने का है लक्ष्य - डॉ. राय ने बताया कि फिलहाल असम में 2.87 लाख हेक्टेयर में सरसों उत्पादन होता है. हम इस रकबा को 6.87 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाएंगे. साथ ही अभी असम में 650 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सरसों उत्पादन होता है, जिसे बढ़ाकर 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य है. इसके लिए निदेशालय के वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की टीम असम में काम कर रही है.

तेल उत्पादन को बढ़ावा - डॉ. राय ने बताया कि असम में सरसों तेल इस्तेमाल अधिक होता है, लेकिन तेल राजस्थान और अन्य जगहों से आयात किया जाता है, जो कि वहां के लोगों को महंगा पड़ता है. ऐसे में निदेशालय अपार्ट प्रोजेक्ट के तहत 15 जिलों के 45 ब्लॉक में मिनी स्पेलर लगाएगा. प्रत्येक ब्लॉक में एक मिनी स्पेलर लगाया जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर ही सरसों तेल उत्पादन हो सकेगा. मिनी स्पेलर से प्रति घंटा 60 किलो सरसों की पिराई की जा सकेगी. इससे जहां लोगों को स्थानीय स्तर पर शुद्ध सरसों तेल मिल सकेगा. वहीं, यह कम कीमत में उपलब्ध होगा.

Assam will become self reliant in mustard
किसानों को प्रशिक्षित कर रहे कृषि वैज्ञानिक

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डॉ. राय ने बताया कि हमें असम में सरसों उत्पादन, सरसों का रकबा और सरसों तेल उत्पादन के लिए मिनी स्पेलर लगाने का लक्ष्य 5 साल में हासिल करना है. इसके लिए पूरी टीम मेहनत कर रही है.

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