नई दिल्ली: तलाक को समाज और इस्लाम दोनों में ही गलत माना गया है. दुनिया में लगभग 20 से अधिक ऐसे देश हैं, जिन्होंने तीन तलाक के कानूनों में बदलाव किया है. भारत में 'द मुस्लिम विमेन बिल 2019' (प्रोटेक्शन ऑफ लाइफ ऑन मैरिज) को लोकसभा में मंजूरी मिल गई.
अब इंतेजार है इसके राज्यसभा में पारित होने का. यदि ये राज्यसभा में भी पारित हो जाता है तो ऐसे में तीन तलाक देने वाले व्यक्ति को 3 साल की कैद की सजा हो सकती है.
इस बिल को और भी आसानी से समझाने के लिए ईटीवी भारते ने मुस्लिम मामलों की जानकार जैनब सिकंदर से बातचीत की. जैनब का कहना है कि इस बिल को जिन कारणों की वजह से लाया जा रहा है उन कारणों के खिलाफ इस्लाम भी है. इस्लाम भी तीन तलाक की इजाजत नहीं देता है. उन्होंने कहा यदि यह बिल राज्यसभा में पास हो जाता है तो हम बस यही उम्मीद कर सकते हैं कि इसका दुरुपयोग ना हो.
जैनब सिकंदर आगे कहती हैं कि इस बिल के अनुसार पति के तलाक देने पर तीन साल की सजा देने का प्रवधान होगा, ये सही नहीं है क्योंकि यदि किसी महिला का पति जेल में कैद रहेगा तो उसके परिवार की देखभाल कौन करेगा. सरकार यदि इस बिल में उस परिवार के लिए कुछ पैसे देने का प्रावधान रखती है तो वो बेहतर होगा.
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जैनब ने मोदी सरकार को भी घेरते हुए कहा कि सरकार तलाक देने पर सिर्फ मुस्लिम समाज के लोगों को ही दण्डित करना चाहती है. यदि सरकार मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी रखती है तो मॉब लिंचिंग में मारे गए अखलाक और तबरेज के परिवार वालों की सुध क्यों नहीं ले रही.
तीन तलाक बिल में पति को तलाक देने पर क्रिमिनैलिटी क्लॉज को गलत बताते हुए जैनब सिकंदर ने कहा कि यह बिल सिर्फ मुस्लिम समाज के लिये ही बनाना गलत है. अगर इस कानून को सरकार लाना चाहती है तो इसे सभी धर्मों के लिये लागू करे.
बता दें, तीन तलाक बिल लोकसभा में बहुमत के साथ पारित हो गया है. इसके पक्ष में 303 सांसदों ने वोट दिए. राज्यसभा में इसपर चर्चा होगी, जिसके बाद वहां भी इसके पारित होने के आसार हैं.