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योगी सरकार ने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में किया शामिल

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर दिया गया है. माना जा रहा है कि आने वाले उप चुनावों पर इसका असर पड़ेगा.

योगी आदित्यनाथ.
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Published : Jun 29, 2019, 3:18 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़े राजनीतिक फेरबदल किए हैं. इसके अनुसार प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर लिया है. योगी सरकार के इस फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले उपचुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलना तय है. राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है.

उत्तर प्रदेश की ओर से साफ किया गया कि प्रदेश के मझवारा जाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है. इसमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीवर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी तथा मछुआ जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है.

इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का राजनीतिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलना लगभग तय है. योगी सरकार इसका राजनीतिक लाभ भी लेना चाहेगी.

ऐसी मांगों को लेकर राजभर हुए सरकार से बाहर
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ऐसी ही जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल करके उन्हें आरक्षण का लाभ दिलाने की मांग कर रहे थे. इसी को लेकर वह सरकार पर लगातार दबाव बनाए और बीजेपी से रिश्ते खराब होते गए. बीजेपी की योगी सरकार नहीं चाहती थी कि उसके इस फैसले का लाभ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मिले. शायद यही वजह रही कि योगी सरकार ने लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही मंत्री ओमप्रकाश राजभर को पहले बर्खास्त किया और फिर इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया. अब योगी सरकार ने प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर दिया है.

योगी सरकार के इस फैसले से पिछड़े वर्ग समाज में भाजपा के प्रति सकारात्मक भाव पैदा होगा. सरकार समाज की अति पिछड़ी जातियों को इसके माध्यम से सरकारी योजनाओं और सरकार में आरक्षण का लाभ दिलाना चाहती है. जाहिर है सरकार के इस फैसले का लाभ प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में बीजेपी को मिलेगा. साथ ही 2022 में विधानसभा के आम चुनाव में भी पार्टी इस फैसले को भुनायेगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़े राजनीतिक फेरबदल किए हैं. इसके अनुसार प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर लिया है. योगी सरकार के इस फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले उपचुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलना तय है. राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है.

उत्तर प्रदेश की ओर से साफ किया गया कि प्रदेश के मझवारा जाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है. इसमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीवर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी तथा मछुआ जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है.

इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का राजनीतिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलना लगभग तय है. योगी सरकार इसका राजनीतिक लाभ भी लेना चाहेगी.

ऐसी मांगों को लेकर राजभर हुए सरकार से बाहर
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ऐसी ही जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल करके उन्हें आरक्षण का लाभ दिलाने की मांग कर रहे थे. इसी को लेकर वह सरकार पर लगातार दबाव बनाए और बीजेपी से रिश्ते खराब होते गए. बीजेपी की योगी सरकार नहीं चाहती थी कि उसके इस फैसले का लाभ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मिले. शायद यही वजह रही कि योगी सरकार ने लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही मंत्री ओमप्रकाश राजभर को पहले बर्खास्त किया और फिर इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया. अब योगी सरकार ने प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर दिया है.

योगी सरकार के इस फैसले से पिछड़े वर्ग समाज में भाजपा के प्रति सकारात्मक भाव पैदा होगा. सरकार समाज की अति पिछड़ी जातियों को इसके माध्यम से सरकारी योजनाओं और सरकार में आरक्षण का लाभ दिलाना चाहती है. जाहिर है सरकार के इस फैसले का लाभ प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में बीजेपी को मिलेगा. साथ ही 2022 में विधानसभा के आम चुनाव में भी पार्टी इस फैसले को भुनायेगी.

Intro:लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ी राजनीतिक चाल चलते हुए प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर लिया है। योगी सरकार के इस फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले उपचुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलना तय है। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है।


Body:उत्तर प्रदेश शासन को इस अनुरोध के साथ प्रेषित कि प्रदेश के मझवार जाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है। इसमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीवर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी तथा मछुआ जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है।

यूपी 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का राजनीतिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलना लगभग तय है। योगी सरकार इसका राजनीतिक लाभ भी लेना चाहेगी।

ऐसी मांगों को लेकर राजभर हुए सरकार से बाहर

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ऐसी ही जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल करके उन्हें आरक्षण का लाभ दिलाने की मांग कर रहे थे। इसी को लेकर वह सरकार पर लगातार दबाव बनाए और बीजेपी से रिश्ते खराब होते गए। बीजेपी की योगी सरकार नहीं चाहती थी कि उसके इस फैसले का लाभ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मिले। शायद यही वजह रही कि योगी सरकार ने लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही मंत्री ओमप्रकाश राजभर को पहले बर्खास्त किया और फिर इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया। अब योगी सरकार ने प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर दिया है।


Conclusion:योगी सरकार इस फैसले से पिछड़ा वर्ग समाज में भाजपा के प्रति सकारात्मक भाव पैदा होगा। सरकार समाज की अति पिछड़ी जातियों को इसके माध्यम से सरकारी योजनाओं और सरकार में आरक्षण का लाभ दिलाना चाहती है। जाहिर है सरकार के इस फैसले का लाभ प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में बीजेपी को लाभ मिलेगा। साथ ही 2022 में विधानसभा के आम चुनाव में भी पार्टी इस फैसले को भुनायेगी।
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