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सीमा विवाद पर चीन को कवि ने दिया जवाब, देखें वीडियो

हाल ही में हुए भारत-चीन सीमा विवाद में देश ने अपने 20 जवानों को खो दिया. इसे लेकर देश के लोगों में चीन के खिलाफ काफी आक्रोश है. वहीं, राजस्थान के भीलवाड़ा में राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने भी अपनी कविता के माध्यम से चीन को चुनौती दी है. पढ़ें, राष्ट्रीय कवि की देशभक्ति से ओतप्रोत यह कविता...

poetry on india china dispute
भीलवाड़ा के राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा
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Published : Jun 25, 2020, 2:20 PM IST

भीलवाड़ा (राजस्थान) : हाल ही में भारत-चीन की सीमा पर हिंसक झड़प हुई, इसमें देश के 20 जवान शहीद हो गए. इसे लेकर राजस्थान के भीलवाड़ा में राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने चीन को चुनौती भरी कविता लिखी है. इस देशभक्ति कविता को जो कोई भी सुन रहा है, उसका इन सैनिकों के सम्मान में सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है.

राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत के माध्यम से चीन को चुनौती दी. कवि योगेंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत पर अपनी कविता प्रस्तुत करने से पहले कहा कि जब देश के 20 जवानों की शहादत हुई, तब से मेरे मन में पीड़ा घर कर गई.

राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा की कविता

पढ़ें राष्ट्रीय कवि की देशभक्ति से ओतप्रोत यह कविता -

रे! शायद तुमने सोच लिया,

यह भारत वही पुराना है.

अपनी मिचमिच आंखें खोलो,

बासठ का नहीं जमाना है.

ऐसा लगता हथियारों की,

ताकत के मद में फूले हो.

अक्साई चिन तक भारत है,

इस सच्चाई को भूले हो.

मत रहना किसी भुलावे में,

बासठ के बाद नहीं देखा.

भारत के वीर जवानों का,

उद्भट उन्माद नहीं देखा.

रे! भारत मां के बेटों का,

घातक प्रतिघात नहीं देखा.

शैतान सिंह की हिम्मत का,

तुमने फौलाद नहीं देखा.

हम लोक-शांति के आराधक,

लेकिन अरि-घात नहीं सहते.

अंगिरा-भृगू की संतानें,

पानी की धार नहीं बहते.

'जननी जन्मभूमि' के गायक,

हम भारत-भू को मां कहते.

उस मां पर कोई घात करे,

तो वीर प्रशान्त नहीं रहते.

खर-दूषण मार दिए पल में,

उनका भी दम्भ भयंकर था.

वह रक्ष-वंश का कुलघाती,

दसकंधर भी प्रलयंकर था.

पर जब सारंग उठा लेंगे,

महि पर आकाश झुका देंगे.

हम तुंग हौसलों के बल पर,

अमृत के कुण्ड सुखा देंगे.

कैसे हैं सैनिक वीर यहां,

शायद तुमको यह भान नहीं.

जिस मां का दूध पिया हमने,

उसकी ताकत का ज्ञान नहीं.

जो माता अपने बेटों को,

छाती से दूध पिलाती है.

वह वीर प्रस्विनी जननी तब,

दो किलो सोंठ खा जाती है.

उस माता की छाती देखो,

वर्दी भी खुद पहनाती है.

'रे ! दूध लजाना मत मेरा',

कहकर पत्थर हो जाती है.

इसलिए सोचकर टकराना,

वरना जड़ से हिल जाओगे.

अरमान युद्ध के एक तरफ,

तुम मिट्टी में मिल जाओगे.

बेशक अस्त्रों से शक्तिवान,

लेकिन फिर भी पछताओगे.

नरसिंह शावकों के आगे,

तुम धूल चाटते जाओगे.

अपने बूचों को समझा लो

विध्वंस-ज्वाल को मत छूना.

वरना तुम सोच रहे उससे,

नुकसान उठाओगे दूना.

यह भारत देश सनातन है,

तुमको यकीन हो जाएगा.

आकाश अगर गूंजेगा तो,

शमशान चीन हो जाएगा.

- योगेन्द्र शर्मा

पढ़ें- वैश्विक तौर पर खुद को मजबूत करने का प्रयास कर रहा चीन : रक्षा विशेषज्ञ

उन्होंने कहा कि चीन हमेशा समझौतों का उल्लंघन करता रहता है. देश ने जब 20 जवानों का दर्द अपनी छाती पर झेला तो मेरे मन में भी 130 करोड़ लोगों की भावना जाग उठी. उनकी भावना क्या है और वह क्या कहना चाहते हैं चीन से, इस बात को कविता के शब्दों में लिखने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से मैं चीन को चुनौती देना चाहता हूं.

भीलवाड़ा (राजस्थान) : हाल ही में भारत-चीन की सीमा पर हिंसक झड़प हुई, इसमें देश के 20 जवान शहीद हो गए. इसे लेकर राजस्थान के भीलवाड़ा में राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने चीन को चुनौती भरी कविता लिखी है. इस देशभक्ति कविता को जो कोई भी सुन रहा है, उसका इन सैनिकों के सम्मान में सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है.

राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत के माध्यम से चीन को चुनौती दी. कवि योगेंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत पर अपनी कविता प्रस्तुत करने से पहले कहा कि जब देश के 20 जवानों की शहादत हुई, तब से मेरे मन में पीड़ा घर कर गई.

राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा की कविता

पढ़ें राष्ट्रीय कवि की देशभक्ति से ओतप्रोत यह कविता -

रे! शायद तुमने सोच लिया,

यह भारत वही पुराना है.

अपनी मिचमिच आंखें खोलो,

बासठ का नहीं जमाना है.

ऐसा लगता हथियारों की,

ताकत के मद में फूले हो.

अक्साई चिन तक भारत है,

इस सच्चाई को भूले हो.

मत रहना किसी भुलावे में,

बासठ के बाद नहीं देखा.

भारत के वीर जवानों का,

उद्भट उन्माद नहीं देखा.

रे! भारत मां के बेटों का,

घातक प्रतिघात नहीं देखा.

शैतान सिंह की हिम्मत का,

तुमने फौलाद नहीं देखा.

हम लोक-शांति के आराधक,

लेकिन अरि-घात नहीं सहते.

अंगिरा-भृगू की संतानें,

पानी की धार नहीं बहते.

'जननी जन्मभूमि' के गायक,

हम भारत-भू को मां कहते.

उस मां पर कोई घात करे,

तो वीर प्रशान्त नहीं रहते.

खर-दूषण मार दिए पल में,

उनका भी दम्भ भयंकर था.

वह रक्ष-वंश का कुलघाती,

दसकंधर भी प्रलयंकर था.

पर जब सारंग उठा लेंगे,

महि पर आकाश झुका देंगे.

हम तुंग हौसलों के बल पर,

अमृत के कुण्ड सुखा देंगे.

कैसे हैं सैनिक वीर यहां,

शायद तुमको यह भान नहीं.

जिस मां का दूध पिया हमने,

उसकी ताकत का ज्ञान नहीं.

जो माता अपने बेटों को,

छाती से दूध पिलाती है.

वह वीर प्रस्विनी जननी तब,

दो किलो सोंठ खा जाती है.

उस माता की छाती देखो,

वर्दी भी खुद पहनाती है.

'रे ! दूध लजाना मत मेरा',

कहकर पत्थर हो जाती है.

इसलिए सोचकर टकराना,

वरना जड़ से हिल जाओगे.

अरमान युद्ध के एक तरफ,

तुम मिट्टी में मिल जाओगे.

बेशक अस्त्रों से शक्तिवान,

लेकिन फिर भी पछताओगे.

नरसिंह शावकों के आगे,

तुम धूल चाटते जाओगे.

अपने बूचों को समझा लो

विध्वंस-ज्वाल को मत छूना.

वरना तुम सोच रहे उससे,

नुकसान उठाओगे दूना.

यह भारत देश सनातन है,

तुमको यकीन हो जाएगा.

आकाश अगर गूंजेगा तो,

शमशान चीन हो जाएगा.

- योगेन्द्र शर्मा

पढ़ें- वैश्विक तौर पर खुद को मजबूत करने का प्रयास कर रहा चीन : रक्षा विशेषज्ञ

उन्होंने कहा कि चीन हमेशा समझौतों का उल्लंघन करता रहता है. देश ने जब 20 जवानों का दर्द अपनी छाती पर झेला तो मेरे मन में भी 130 करोड़ लोगों की भावना जाग उठी. उनकी भावना क्या है और वह क्या कहना चाहते हैं चीन से, इस बात को कविता के शब्दों में लिखने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से मैं चीन को चुनौती देना चाहता हूं.

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