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World Soil Day : केमिकल के बेहिसाब इस्तेमाल से उपजाऊ भूमि हो रही बंजर - world soil day in haryana

आज विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है. बढ़ते प्रदूषण और खेती में केमिकल के लगातार बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है. हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग मिट्टी से आता है. मिट्टी के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जगरूक करने के लिए हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर...

world soil day
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Published : Dec 5, 2019, 9:15 AM IST

Updated : Dec 5, 2019, 9:27 PM IST

चंडीगढ़ : हमने मिट्टी से सोना निकलने की कहावत तो सुनी ही है. यह कहावत भारत में दशकों से चरितार्थ भी हो रही है. देश के खाद्यान भंडार में बड़ी मात्रा में अनाज की पैदावार हुई. लेकिन इसके पीछे रसायनों के दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं.

इसका कारण यह रहा है कि हमने मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाए जाने वाले प्राकृतिक उपायों को छोड़कर रसायनों पर निर्भरता बढ़ा दी है.

केमिकल के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता हो रही खराब
बढ़ते प्रदूषण और खेती में केमिकल के लगातार बढ़ते इस्तेमाल से हमारी मिट्टी की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है. किसानों द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ों को मारने वाली दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आ रही है, जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में भी गिरावट आ रही है. इससे कई जगहों पर उपजाऊ मिट्टी लगातार बंजर होती जा रही है. इसे देखते हुए मिट्टी की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का फैसला लिया.

मिट्टी की सेहत लगातार हो रही खराब
आपको बता दें कि हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग मिट्टी से आता है और वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मिट्टी का 33 प्रतिशत पहले से ही बंजर या खराब हो चुका है. खेतों की मिट्टी के लिए जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म तत्वों का अनुपात बिगड़ गया है, जिससे मिट्टी की सेहत लगातार गिरती जा रही है. खराब होती देश की मिट्टी को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil health card) योजना शुरू की थी. इसके तहत हर किसान के खेत की मिट्टी की जांच करके उसके रिजल्ट के आधार पर ही किसानों को पोषक तत्वों की तय मात्रा को इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.

जैविक खाद को देना होगा बढ़ावा
कृषि भूमि को रसायनों के प्रभाव से मुक्त करने के लिए हमें अपने देश में उपलब्ध जैविक खाद का भरपूर उपयोग करना होगा और किसानों को इस कार्य के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता देनी होगी, जिससे हमारी कृषि भूमि के साथ नदी और तालाबों का पानी जहर होने से बच जाए. इसी रासायनिक खाद की वजह से जमीन में जो जहर घुल रहा है, उससे भी बचा जा सकता है.

क्यों जरूरी हैं मिट्टी में पोषक तत्व
पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए उन्हें 18 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. यह पोषक तत्व उन्हें हवा, पानी और मिट्टी से मिलते हैं. 6 मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर पौधों को मिट्टी से मिलते हैं. मिट्टी में इन पोषक तत्वों में से किसी की भी कमी होने पर पौधे अपना जीवन-चक्र सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर पाते हैं.

पढ़ें: बढ़ते प्रदूषण पर स्वास्थ्य विभाग ने घर से कम निकलने की दी सलाह

चंडीगढ़ : हमने मिट्टी से सोना निकलने की कहावत तो सुनी ही है. यह कहावत भारत में दशकों से चरितार्थ भी हो रही है. देश के खाद्यान भंडार में बड़ी मात्रा में अनाज की पैदावार हुई. लेकिन इसके पीछे रसायनों के दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं.

इसका कारण यह रहा है कि हमने मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाए जाने वाले प्राकृतिक उपायों को छोड़कर रसायनों पर निर्भरता बढ़ा दी है.

केमिकल के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता हो रही खराब
बढ़ते प्रदूषण और खेती में केमिकल के लगातार बढ़ते इस्तेमाल से हमारी मिट्टी की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है. किसानों द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ों को मारने वाली दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आ रही है, जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में भी गिरावट आ रही है. इससे कई जगहों पर उपजाऊ मिट्टी लगातार बंजर होती जा रही है. इसे देखते हुए मिट्टी की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का फैसला लिया.

मिट्टी की सेहत लगातार हो रही खराब
आपको बता दें कि हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग मिट्टी से आता है और वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मिट्टी का 33 प्रतिशत पहले से ही बंजर या खराब हो चुका है. खेतों की मिट्टी के लिए जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म तत्वों का अनुपात बिगड़ गया है, जिससे मिट्टी की सेहत लगातार गिरती जा रही है. खराब होती देश की मिट्टी को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil health card) योजना शुरू की थी. इसके तहत हर किसान के खेत की मिट्टी की जांच करके उसके रिजल्ट के आधार पर ही किसानों को पोषक तत्वों की तय मात्रा को इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.

जैविक खाद को देना होगा बढ़ावा
कृषि भूमि को रसायनों के प्रभाव से मुक्त करने के लिए हमें अपने देश में उपलब्ध जैविक खाद का भरपूर उपयोग करना होगा और किसानों को इस कार्य के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता देनी होगी, जिससे हमारी कृषि भूमि के साथ नदी और तालाबों का पानी जहर होने से बच जाए. इसी रासायनिक खाद की वजह से जमीन में जो जहर घुल रहा है, उससे भी बचा जा सकता है.

क्यों जरूरी हैं मिट्टी में पोषक तत्व
पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए उन्हें 18 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. यह पोषक तत्व उन्हें हवा, पानी और मिट्टी से मिलते हैं. 6 मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर पौधों को मिट्टी से मिलते हैं. मिट्टी में इन पोषक तत्वों में से किसी की भी कमी होने पर पौधे अपना जीवन-चक्र सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर पाते हैं.

पढ़ें: बढ़ते प्रदूषण पर स्वास्थ्य विभाग ने घर से कम निकलने की दी सलाह

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Last Updated : Dec 5, 2019, 9:27 PM IST
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