नई दिल्ली : हर साल 10 अक्टूबर को मनाये जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस के अवसर पर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए चिकित्सक और चिकित्सा छात्रों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रही है.
जानकारों की मानें तो सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल भी मानसिक बीमारी का एक कारण हो सकता है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए, आईएमए अध्यक्ष, डॉ नीलिमा कदंब ने मानसिक स्वास्थ्य और सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि सोशल मीडिया का सीमित उपयोग किया जाना चाहिए.
दुनिया में कुल 8 लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं. इनमें भारत में एक साल में सबसे आत्महत्या के मामले सामने आते हैं.
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आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रवींद्र वानखेडकर ने इस मुद्दे पर चिंता जताई और कहा कि आत्महत्या को रोका जा सकता है. 'आत्महत्या दुनिया में दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी है. लेकिन आत्महत्या रोकी जा सकती है.'
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और डॉक्टर्स फॉर डॉक्टर्स द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम पहल में शामिल हो गये हैं. विश्व मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता पैदा करना होगा और वे इसका ध्यान रखेंगे.