हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय दिवस के रूप में जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय की उभरती प्रणाली को पहचानने के लिए प्रतिवर्ष 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है. आइए जानतें है इस दिवस से जुड़ीं अहम बातें...
थीम
वर्ष 2020 के सामाजिक न्याय दिवस की थीम सामाजिक न्याय प्राप्ति की दिशा में असमानता अंतराल को समाप्त करना है. यह सामाजिक न्याय पर केंद्रित है क्योंकि यह विकास और मानव गरिमा को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक मिशन है.
इस दिन का उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस का उद्देश्य उन सभी को एकजुट करना है, जो न्याय का समर्थन करना चाहते हैं, साथ ही पीड़ितों के अधिकारों को बढ़ावा देना चाहते हैं. इसके उद्देश्य गंभीर अपराधों और उन लोगों को रोकने में मदद करना है, जो दुनिया की शांति, सुरक्षा और कल्याण को खतरे में डालते हैं.
इतिहास
अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है क्योंकि यह दिन वर्ष 1998 में रोम संविधि के ऐतिहासिक अंगीकरण की याद दिलाता है.
यह लोगों को कई अपराधों से बचाने के लिए उन लोगों को भी चेतावनी देता है, जो शांति और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं. यह दिन लोगों को दण्ड से मुक्ति दिलाने और युद्ध अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय लाने के महत्व को भी दर्शाता है. इन्हीं उद्देश्यों के तहत आईसीसी की स्थापना की गई थी. यह दिन दुनियाभर के लोगों और सभी देशों को याद दिलाता है, जो अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली को निरंतर समर्थन सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध हैं.
एक जून, 2010 को कंपाला (युगांडा) में आयोजित रोम संविधि का समीक्षा सम्मेलन और राज्य दलों की विधानसभा ने 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
आईसीसी क्या है
आईसीसी का मतलब मतलब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट है. यह तब हुआ, जब 120 राज्यों ने रोम में एक कानून को अपनाया. यह एक स्थायी न्यायाधिकरण है, जिसमें जन-संहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराधों और आक्रमण के अपराध के लिए अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस का उद्देश्य दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्याय को मजबूत करना है. इस दिन के अवसर उन 150 देशों की भी सराहना की जाती है, जिन्होंने न्यायालयों की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं.
इससे लोगों को न्याय के समर्थन के लिए जागरूक और एकजुट करने की आवश्यकता है. उनका मुख्य उद्देश्य पीड़ितों के अधिकारों को बढ़ावा देना है. यह दिन गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने के लिए दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करता है. इस दिवस का अवलोकन लोगों को कई अपराधों से बचाता है और उन लोगों को चेतावनी देता है, जो शांति और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं.
भारतीय न्यायपालिका में लंबित मामले
उच्चतम न्यायालय में 59,867 मामले लंबित हैं. वहीं जिला और अधीनस्थ अदालतों के स्तर की बात करें तो 3.14 करोड़ लंबित मामले हैं. यह जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 2019 में दी थी. हालांकि हालिया महीनों के दौरान इन मामलों में गिरावट दर्ज की गई है.
आपको बता दें कि दिसंबर 2014 में उच्चतम न्यायालय में 62,791 लंबित मामले थे. उच्च न्यायालयों में 41.53 लाख और निचली अदालतों में 2.62 करोड़ मामले लंबित थे. देश में हर साल 2 करोड़ नए मामले अदालतों में दर्ज होते हैं.
विचाराधीन कैदी
देश के जिला कारागरों में 1,65,988 विचाराधानीन कैदी है. वहीं सेंट्रल जेल में 1,16,183 विचाराधीन कैदी हैं.
न्यायाधीशों की कमी
आंकड़ों के अनुसार, जज-आबादी का अनुपात 19.49 प्रति 10 लाख है. उच्च न्यायालय में 448 और अधीनस्थ अदालतों में 5000 रिक्तियां हैं जबकि अधीनस्थ न्यायालयों में अनुमानित क्षमता 21,542 है.
सूचकांक रिपोर्ट 2020 के विश्व न्याय परियोजना नियम : भारत कानून सूचकांक के नियम में 69वें पायदान पर है. सूचकांक में 128 देशों को शामिल किया गया है. लॉ इंडेक्स का नियम आठ कारकों पर आधारित है.
(1) सरकारी शक्तियां, (2) भ्रष्टाचार पर प्रतिबंध, (3) खुली सरकार, (4) मौलिक अधिकार, (5) आदेश और सुरक्षा, (6) विनियामक प्रवर्तन, (7) सिविल जस्टिस (8) आपराधिक न्याय.
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस पर कुछ विचार....
⦁ सत्य कभी ऐसे कारण को नुकसान नहीं पहुंचाता, जो उचित हो : महात्मा गांधी
⦁ गरीबी पर काबू पाना दान का इशारा नहीं है. यह न्याय का कार्य है : नेल्सन मंडेला
⦁ कहीं भी अन्याय हर जगह न्याय के लिए खतरा है : मार्टिन लूथर किंग जूनियर