रांची : झारखंड की राजधानी रांची में डीसी ऑफिस के सामने मजदूर मजबूर होकर खड़े हैं. राज्य सरकार बाहर काम कर रहे मजदूरों को अपने राज्य लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं अभी भी कई ऐसे मजबूर मजदूर हैं, जो सरकार के संसाधनों से महरूम हैं. रांची के डीसी ऑफिस के सामने 30 से अधिक मजदूर इसलिए खड़े हैं क्योंकि इनके पास अब रांची से आगे जाने के लिए न तो साधन है और न ही पैसे बचे हैं.
दरअसल यह मजदूर मुंबई मेट्रो में कार्यरत थे, अचानक लॉकडाउन होने के कारण सभी का काम बंद पड़ गया और इन्हें मजबूरन अपनी जमा पूंजी खर्च करनी पड़ी. अपनी जमा पूंजी को समाप्त होते देख सभी मजदूर आनन-फानन में अपने घर के लिए निकल पड़े, जिसके लिए लगभग दो लाख रुपए भाड़े के रूप में भुगतान भी करना पड़ा है.
रांची में असहाय हुए मजदूर
यह सभी मजदूर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के क्षेत्र दुमका जिले के रहने वाले हैं और इस जिले के मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय है. हमारे संवाददाता हितेश कुमार चौधरी ने जब इन मजदूरों से इनकी मजबूरी जानने के लिए बात की तो उन्होंने बताया कि सभी ट्रक से झारखंड आए हैं, जिसके लिए इन सभी मजदूरों ने मिलकर दो लाख रुपए भाड़ा भी भुगतान किया है.
साथ ही मजदूरों ने बताया कि मुंबई से झारखंड आने के दरमियान रास्ते में ना तो कहीं जांच की और ना ही उन्हें रोका गया. यहां तक कि झारखंड प्रवेश करने के बावजूद उनकी जांच नहीं हो पाई है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र के जिले को अति संक्रमित जिला के रूप में चिन्हित किया गया है, उसके बावजूद इन जिलों से आ रहे मजदूरों को सरकार किसी प्रकार की कोई चेकिंग नहीं करा रही है. जिससे कहीं ना कहीं संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
सरकार की खुली पोल
एक तरफ सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सभी मजदूरों को सकुशल सरकारी संसाधनों से घर भेजने की बात कह रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं के क्षेत्र के कई मजदूर घर जाने के लिए लालायित हैं, लेकिन उन्हें किसी तरह का कोई सरकारी संसाधन नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार मजदूरों के लिए और भी बेहतर विकल्प मुहैया कराए ताकि राज्य के 100 प्रतिशत मजदूर अपने घर को लौट सके.