रायपुर : लॉकडाउन ने जहां सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है, वहीं संकट के इस समय में लोग रोजगार के लिए भी जूझ रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला पंचायत में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को रोजगार देने का काम किया जा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान महिलाएं सैनिटाइजर बनाकर अपनी रोजी-रोटी चला रही हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की बिहान योजना के तहत रायपुर के सेरीखेड़ी गांव में मल्टी यूटिलिटी डोम का निर्माण किया गया है. यहां महिला स्वसहायता समूह की 10 महिलाएं सैनिटाइजर बनाने का काम कर रही हैं.
यह महिलाएं सैनिटाइजर बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपनी गृहस्थी की गाड़ी चला रही हैं.
10 महिलाएं मिलकर बनाती हैं सैनिटाइजर:
- यह महिलाएं दिनभर में तकरीबन एक हजार लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन करती हैं.
- महिलाएं अब तक करीब 20 हजार लीटर तक सैनिटाइजर बना चुकी हैं.
- तीन हजार लीटर सैनिटाइजर की बिक्री भी हो चुकी है.
- 250 रुपये प्रति लीटर के हिसाब ये सैनिटाइजर बेचे जा रहे हैं.
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महिलाएं रोजाना यहां सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक काम करती हैं और हर दिन 200 रुपये कमाती हैं. सैनिटाइजर बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें पहले सैनिटाइजर बनाने की ट्रेनिंग दी गई है. उसके बाद अब वे ये काम कर रही हैं.
महिलाओं को किया गया है ट्रेंड
सेंटर के प्रभारी किशोर कुमार ने बताया कि दो केमिस्ट भी यहां काम करते हैं और महिलाओं को यहां सैनिटाइजर बनाने की ट्रेनिंग देते हैं. किशोर कुमार ने बताया कि यहां सैनिटाइजर की मैनुअली फिलिंग की जा रही है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजर और मास्क की डिमांड बढ़ गई, इसलिए शुरुआत में यहां की महिलाओं ने मास्क बनाने का भी काम किया है.
सेंटर के पास है WHO का अप्रूवल
सेंटर के प्रभारी ने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के कंपोजिशन के मुताबिक यहां सैनिटाइजर का उत्पादन किया जा रहा है. इस सैनिटाइजर की कीमत 250 रुपए प्रति लीटर रखी गई है. इन सैनिटाइजर्स को अलग-अलग तरह की पैकिंग कर बेचा जा रहा है. 100 एमएल से लेकर पांच लीटर तक के सैनिटाइजर के पैक यहां तैयार किए जा रहे हैं.