नई दिल्ली: चिन्मयानंद मामले में लड़की को राजस्थान से दिल्ली लाकर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया. जजों के सामने लड़की ने अपना पक्ष रखा और बताया कि वह घर नहीं जाना चाहती. साथ ही कहा कि जब तक उसके माता पिता नहीं आ जाते उसे सुरक्षा दी जाए. छात्रा की बातों को सुनने के बाद अदालत ने पुलिस को आदेश दिए कि घर वालों को दिल्ली ले आया जाए.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 12 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस शाहजहांपुर नहीं पहुंची थी. पीड़िता के परिवार का कहना है कि वह अपनी बेटी से मिलने के लिए तड़प रहे हैं, लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी अभी तक दिल्ली पुलिस यहां नहीं आई.
कुछ घंटे पहले ही दिल्ली पुलिस पहुंची और छात्रा के परिवार वाले दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं.
बता दें कि न्यायाधीशों ने लड़की से बंद कमरे में बात की. उत्तर प्रदेश पुलिस उसे राजस्थान से शाहजहांपुर लेकर जा रही थी, जब शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद उसे न्यायालय लेकर आया गया.
न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने खुली अदालत में सुनवाई में कहा कि लड़की 'खुद को बचाने के लिए' अपने कॉलेज के तीन साथियों के साथ उत्तर प्रदेश से निकल गई थी. पीठ मामले पर सुनवाई के लिए शाम सात बजकर 35 मिनट पर एकत्रित हुई.
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शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 'दिल्ली में अपने माता-पिता से मुलाकात करने तक उत्तर प्रदेश वापस नहीं जाना चाहती' और कहा कि पीठ महिला की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. इसने दिल्ली पुलिस के आयुक्त को लड़की के माता-पिता को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से सुरक्षित दिल्ली लाने के लिए पुलिस की एक टीम को जल्द से जल्द तैनात करने का निर्देश दिया.
हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस स्तर पर लड़की के माता-पिता से वकीलों या किसी और को मिलने की इजाजत नहीं देगा. शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री को लड़की को ऑल इंडिया वीमेन कॉन्फ्रेंस में सुरक्षित एवं सहज तरीके से ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. दिल्ली विधायी सेवाएं प्राधिकरण ऐसी पीड़ितों को ठहराने के लिए इसका इस्तेमाल करता है.
पीठ ने अपने आदेश में गौर किया, 'हमने लड़की से बात की. उसने सवालों के अच्छे तरीके से जवाब दिए. वह अंग्रेजी समझ रही थी लेकिन उसने ज्यादातर सवालों के जवाब हिंदी में दिए. उसने बताया कि खुद को बचाने के लिए वह कॉलेज के अपने तीन सहपाठियों के साथ शाहजहांपुर से निकल गई थी जो उसके पारिवारिक मित्र भी थे.
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'लड़की ने कहा है कि वह दिल्ली में अपने माता-पिता से मिलने और उनसे बातचीत करने तक उत्तर प्रदेश नहीं लौटना चाहती. उसने कहा कि माता-पिता से मिलने और बात करने के बाद ही वह आगे के बारे में निर्णय लेगी.'
पीठ ने लड़की के माता-पिता के साथ मौजूद रहने वाली दिल्ली पुलिस की टीम को शीर्ष अदालत के अगले आदेश तक सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया.
इसने कहा, 'हम उसकी सुरक्षा एवं सहजता को लेकर चिंतित हैं. उसे पहले सहज हो जाने दीजिए और उसके माता-पिता को दिल्ली आने दीजिए. हम वकीलों को अभी उससे मिलने की अनुमति नहीं देंगे.'
न्यायमित्र नियुक्त की गईं अधिवक्ता शोभा ने कहा कि उन्होंने लड़की के माता-पिता से बातचीत की और वे अपनी बेटी के साथ बातचीत करना चाहते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि महिला, 'आरोपी नहीं है और वह अपने माता-पिता या किसी को भी फोन करने के लिए स्वतंत्र है.' उन्होंने पीठ से कहा, 'हम उसकी सुरक्षा, संरक्षण को लेकर चिंतित हैं और वह जहां सहज महसूस करती हैं वहां ठहर सकती है.'
बनर्जी ने यह भी कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उत्तर प्रदेश पुलिस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करेगी. पीठ ने कहा कि उसके माता-पिता को दिल्ली लाने के लिए अदालत दिल्ली पुलिस से व्यवस्था करने को कहेगी.
इसने कहा, 'हम उत्तर प्रदेश पुलिस के बारे में कुछ नहीं कह रहे. हम कोई राय जाहिर नहीं कर रहे. हमारे लिए लड़की की सुरक्षा अहम है.'
जब पीठ ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली पुलिस की टीम उसके माता-पिता को यहां लाएगी, बनर्जी ने कहा, 'यह नहीं कहा जाना चाहिए था. उत्तर प्रदेश पुलिस यह करेगी. यह अनुचित होगा और उत्तर प्रदेश पुलिस पर इसका बुरा असर पड़ेगा.'
हालांकि, पीठ ने उनके तर्क को अनदेखा कर दिया और कहा कि दिल्ली पुलिस लड़की के माता-पिता को सुरक्षित दिल्ली लाना सुनिश्चित करेगी. रात करीब आठ बजे सुनवाई खत्म होने के बाद शोभा ने अदालत का शुक्रिया किया और कहा कि वे क्षमाप्रार्थी हैं कि पीठ को अदालती काम-काज के सामान्य घंटों के बाद फिर से बैठना पड़ा.
पीठ ने कहा, 'माफी मत मांगिए.' यह हमारा कर्तव्य है और मामले में अगली सुनवाई दो सितंबर को तय की.