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जलवायु परिवर्तन : 'कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों पर ध्यान देना जरूरी'

जलवायु परिवर्तन आज पूरे विश्व के लिए समस्या का विषय बना हुआ है, UN ने भी अपनी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के बारे में बताते हुए चेतावनी दी है. इसे लेकर क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क के निदेशक ने ईटीवी भारत से बातचीत की है. उन्होंने इस मामले में कड़े निर्णय लिए जाने पर जोर दिया है. जाने चिंता का विषय बने इस मामले पर उन्होंने और क्या कुछ कहा...

जलवायु परिवर्तन
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Published : Sep 27, 2019, 11:19 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 7:07 AM IST

नई दिल्लीः हाल ही में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट सामने आई है, जो कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है. UN की इसी रिपोर्ट को लेकर दक्षिण एशिया विंग के क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क के निदेशक संजय वशिष्ठ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

वशिष्ठ ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से ग्रह को बचाने की जो समय सीमा थी वह निकल चुकी है.

उन्होंने कहा कि ग्रह को बचाने के लिए कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है. साथ ही इससे होने वाले बुरे परिणामों पर कडे़ निर्णय लिए जाने चाहिए.

क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क के निदेशक ने ईटीवी भारत से की बातचीत, देखें वीडियो...

ईटीवी भारत से बातचीत में वशिष्ठ ने बताया कि, इस गंभीर मुद्दे पर किसी तरह की कोई बैठक न करके हम बर्बाद होते जा रहे हैं. समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.

हम साल 2100 तक समुद्र तल में एक मीटर की बढ़ोतरी देख रहे हैं. इसका मतलब साफ है कि कोलकाता, चेन्नई, सूरत और मुंबई जैसे शहर जलमग्न हो जाएंगे.

वशिष्ठ ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाउस उत्सर्जक है. उन्होंने देश में ऊर्जा संक्रमण पर भी जोर दिया है.

उन्होंने दुनिया भर की सरकारों से कोयले का उपयोग रोकने का आग्रह किया है.

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा.

उन्होंने कहा कि बातचीत का समय समाप्त हो गया है और यह कार्रवाई का समय है.

पढ़ेंः क्लाइमेट चेंज पर रोड मैप के साथ आए हैं हम : पीएम मोदी

पीएम के नजरिये को सलामी देते हुए संजय वशिष्ठ ने दावा किया कि सरकार इसपर कुछ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है.
उन्होंने भारत की सोलर पॉलिसी के बारे में भी बात की, ताकि और भी ज्यादा विदेशी निवेश प्राप्त किया जा सके.

आपको बता दें कि कुछ समय पहले नीती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक चेतावनी जारी की थी कि भारत के 21 शहरों में अगले साल से पानी की भारी कमी होगी.

संजय ने पानी की कमी के चलते पुराने समय में कई बड़े शहरों के डूबने के बारे में भी बात की.

36 से अधिक देशों के 100 से अधिक जलवायु और समुद्री वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया कि पूरे 20 वीं सदी के दौरान समुद्र का स्तर वैश्विक स्तर पर लगभग छह इंच बढ़ गया और इस समय यह दोगुनी गति से बढ़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि उत्सर्जन में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी जारी रहती है तो समुद्र का स्तर 2100 तक 61 से 110 सेमी के बीच बढ़ सकता है.

नई दिल्लीः हाल ही में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट सामने आई है, जो कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है. UN की इसी रिपोर्ट को लेकर दक्षिण एशिया विंग के क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क के निदेशक संजय वशिष्ठ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

वशिष्ठ ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से ग्रह को बचाने की जो समय सीमा थी वह निकल चुकी है.

उन्होंने कहा कि ग्रह को बचाने के लिए कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है. साथ ही इससे होने वाले बुरे परिणामों पर कडे़ निर्णय लिए जाने चाहिए.

क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क के निदेशक ने ईटीवी भारत से की बातचीत, देखें वीडियो...

ईटीवी भारत से बातचीत में वशिष्ठ ने बताया कि, इस गंभीर मुद्दे पर किसी तरह की कोई बैठक न करके हम बर्बाद होते जा रहे हैं. समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.

हम साल 2100 तक समुद्र तल में एक मीटर की बढ़ोतरी देख रहे हैं. इसका मतलब साफ है कि कोलकाता, चेन्नई, सूरत और मुंबई जैसे शहर जलमग्न हो जाएंगे.

वशिष्ठ ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाउस उत्सर्जक है. उन्होंने देश में ऊर्जा संक्रमण पर भी जोर दिया है.

उन्होंने दुनिया भर की सरकारों से कोयले का उपयोग रोकने का आग्रह किया है.

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा.

उन्होंने कहा कि बातचीत का समय समाप्त हो गया है और यह कार्रवाई का समय है.

पढ़ेंः क्लाइमेट चेंज पर रोड मैप के साथ आए हैं हम : पीएम मोदी

पीएम के नजरिये को सलामी देते हुए संजय वशिष्ठ ने दावा किया कि सरकार इसपर कुछ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है.
उन्होंने भारत की सोलर पॉलिसी के बारे में भी बात की, ताकि और भी ज्यादा विदेशी निवेश प्राप्त किया जा सके.

आपको बता दें कि कुछ समय पहले नीती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक चेतावनी जारी की थी कि भारत के 21 शहरों में अगले साल से पानी की भारी कमी होगी.

संजय ने पानी की कमी के चलते पुराने समय में कई बड़े शहरों के डूबने के बारे में भी बात की.

36 से अधिक देशों के 100 से अधिक जलवायु और समुद्री वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया कि पूरे 20 वीं सदी के दौरान समुद्र का स्तर वैश्विक स्तर पर लगभग छह इंच बढ़ गया और इस समय यह दोगुनी गति से बढ़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि उत्सर्जन में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी जारी रहती है तो समुद्र का स्तर 2100 तक 61 से 110 सेमी के बीच बढ़ सकता है.

Intro:New Delhi: After UN report warned of accelerating sea level by 2020 across the world, Director of Climate Action Network's South Asia wing Sanjay Vashisht called for mitigation to save the planet as the time for adaptation has already passed.


Body:Talking exclusively to ETV Bharat on the UN report, Sanjay Vashisht said, 'without mitigation we are doomed. Sea levels are rising, drinking water levels are shrinking. We are looking one metre sea level rise by year 2100. It would means cities like Kolkata, Chennai, Surat and Mumbai will be submerged.'

Calling India one of the biggest green house emitters in the world, Vashisht emphasised on the energy transition in the country. He urged the governments from across the world to stop usage of coal.

PM Modi during his speech at the UN climate summit asked world leaders to take necessary actions to tackle the problem of climate shift. He said that time for talks are over and it is time for action.


Conclusion:Hailing PM's vision, Sanjay Vashisht claimed that government hasn't been able to show some decisive action on the ground. He even talked about upgradation of India's solar policy so that more foreign investment can be obtained.

Not long ago, Niti Ayog report issued a warning saying that 21 cities across India will face acute water shortage from next year. Sanjay talked about many great cities in ancient time fell due to lack of water.

The UN report written by more than 100 climate and marine scientists from over 36 countries claimed that the sea level rose globally by about six inches during the entire 20th century. And, at this time it is rising at a double speed.

The report further went on to claim that if emissions continue to rise instead of fall then sea levels could rise between 61 to 110 cm by 2100.
Last Updated : Oct 2, 2019, 7:07 AM IST
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