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लॉकडाउन : क्या बच पाएगी तमिलनाडु के नमक कर्मचारियों की रोजी-रोटी

देशव्यापी लॉकडाउन से तमिलनाडु का नमक उद्योग मानो अपंग सा हो गया हो. इस नमक उत्पादन के उद्योग से 60 हजार से ज्यादा लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है, जिसमें लगभग 30 हजार सीधे नमक उत्पादन के क्षेत्र में, 25 हजार अप्रत्यक्ष रूप से इसमें या इससे संबंधित नौकरियों से जुड़े हैं. नमक का उत्पादन 25 हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में किया जाता है, लेकिन लॉकडाउन के इस दौर से नमक व्यापार काफी प्रभावित है. ऐसे में नमक उत्पादन में कार्यरत श्रमिकों की मांग है कि नमक को भी अन्य वस्तुओं जैसे ही जरूरी माना जाए और इसकी उत्पादन प्रक्रिया के लिए कर्फ्यू में कुछ हद तक छूट दी जाए. पढ़ें विस्तार से...

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Published : Apr 12, 2020, 8:43 PM IST

Updated : Apr 13, 2020, 9:38 AM IST

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क्या लॉकडाउन के इस दौर में बच पाएगी तमिलनाडु के नमक कर्मचारियों की रोजी-रोटी

हैदराबाद : नमक रहित खाना कचरे जैसा है.. यह सिर्फ एक कहावत ही नहीं, बल्कि जैविक तथ्य है. भारत में तकरीबन 16,000 उद्योग ऐसे हैं, जो सिर्फ और सिर्फ नमक पर निर्भर करते हैं. जिस तरह खेती के क्षेत्र में छोटे जल निकाय, जिन्हें सॉल्ट पैन भी कहा जाता है, वह नमक बनाने वाले उद्योग में बनते हैं ठीक उसी तरह असंगठित क्षेत्र के मजदूरों द्वारा भी बनाए जाते हैं.

असल में महात्मा गांधी ने नमक उत्पादक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए ही अपने नमक सत्याग्रह का निर्माण किया.

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में नमक मजदूरों की आजीविका के नुकसान पर एक नजर...

आपको बता दें, भारत में तमिलनाडु नमक का बहुत बड़ा उत्पादक है. तूतीकोरिन जिले के वेम्बर से पेरियाथजई तक के तटीय गांवों में मछली पकड़ने जैसा ही एक प्रमुख उद्योग नमक उत्पादन है.

देखें, ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

गुजरात के बाद तमिलनाडु देश का दूसरा सबसे बड़ा नमक उत्पादक है. देश के कुल नमक उत्पादन में राज्य का 12 फीसदी योगदान है. थूथुकुडी, रामनाथपुरम, नागपट्टिनम, विलुप्पुरम और कांचीपुरम प्रमुख नमक उत्पादक जिले हैं.

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नमक कर्मचारियों की रोजी-रोटी को खतरा

इस नमक उत्पादन के उद्योग से 60 हजार से ज्यादा लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है, जिसमें लगभग 30 हजार सीधे नमक उत्पादन के क्षेत्र में, 25 हजार अप्रत्यक्ष रूप से इसमें या इससे संबंधित नौकरियों से जुड़े हैं. नमक का उत्पादन 25 हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में किया जाता है.

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार के कारण, पूरे देश में लॉकडाउन के हालात हैं. देश में ऐसी अभूतपूर्व स्थिति के कारण नमक उद्योग पूरी तरह से अपंग हो चुका है.

लॉकडाउन के बीच सब्जियों, डेयरी और फार्मेसी जैसी जरूरी चीजों के चलते कर्फ्यू में ढील दी गई है. किराने की दुकानें और पेट्रोल-डीजल से लेकर दैनिक कामकाज के लिए भी समय दिया गया है. ऐसे में नमक उत्पादक श्रमिकों की मांग है कि नमक को भी जरूरी वस्तु माना जाए और इसकी उत्पादन प्रक्रिया के लिए कर्फ्यू में कुछ हद तक छूट दी जाए.

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चिंता में श्रमिक

नमक का उत्पादन अप्रैल से जुलाई के चरम गर्मियों के महीने के दौरान ही किया जा सकता है. कोरोना के मद्देनजर लगे लॉकडाउन ने मजदूरों की वार्षिक आय को काफी हद तक कम कर दिया है.

यही कारण है कि नमक के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की मांग है कि तमिलनाडु सरकार को चाहिए कि वह नमक की खेती के उत्पादन को छूट प्रदान करे.

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नमक मजदूरों की आजीविका को नुकसान

इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के अनुसार, सॉल्ट पैन की सभी गतिविधियां जैसे नमक का उत्पादन, सॉल्ट स्ट्रीविंग (एक स्थान पर नमक को फैलाकर रखना), फावड़ा चलाना, नमक की लोडिंग सभी गतिविधियां एक निश्चित दूरी बनाकर ही की जाती हैं. इस प्रकार उत्पादित नमक की सुरक्षित मार्केटिंग को ध्यान में रखकर किया जाता है.

जैसा कि सरकार देशव्यापी लॉकडाउन की समय सीमा को बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है. ऐसे में देखना यह होगा कि नमक पैन पर निर्भर इन मजदूरों की प्रार्थना सुनकर उनकी आजीविका की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं या नहीं..

हैदराबाद : नमक रहित खाना कचरे जैसा है.. यह सिर्फ एक कहावत ही नहीं, बल्कि जैविक तथ्य है. भारत में तकरीबन 16,000 उद्योग ऐसे हैं, जो सिर्फ और सिर्फ नमक पर निर्भर करते हैं. जिस तरह खेती के क्षेत्र में छोटे जल निकाय, जिन्हें सॉल्ट पैन भी कहा जाता है, वह नमक बनाने वाले उद्योग में बनते हैं ठीक उसी तरह असंगठित क्षेत्र के मजदूरों द्वारा भी बनाए जाते हैं.

असल में महात्मा गांधी ने नमक उत्पादक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए ही अपने नमक सत्याग्रह का निर्माण किया.

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में नमक मजदूरों की आजीविका के नुकसान पर एक नजर...

आपको बता दें, भारत में तमिलनाडु नमक का बहुत बड़ा उत्पादक है. तूतीकोरिन जिले के वेम्बर से पेरियाथजई तक के तटीय गांवों में मछली पकड़ने जैसा ही एक प्रमुख उद्योग नमक उत्पादन है.

देखें, ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

गुजरात के बाद तमिलनाडु देश का दूसरा सबसे बड़ा नमक उत्पादक है. देश के कुल नमक उत्पादन में राज्य का 12 फीसदी योगदान है. थूथुकुडी, रामनाथपुरम, नागपट्टिनम, विलुप्पुरम और कांचीपुरम प्रमुख नमक उत्पादक जिले हैं.

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नमक कर्मचारियों की रोजी-रोटी को खतरा

इस नमक उत्पादन के उद्योग से 60 हजार से ज्यादा लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है, जिसमें लगभग 30 हजार सीधे नमक उत्पादन के क्षेत्र में, 25 हजार अप्रत्यक्ष रूप से इसमें या इससे संबंधित नौकरियों से जुड़े हैं. नमक का उत्पादन 25 हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में किया जाता है.

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार के कारण, पूरे देश में लॉकडाउन के हालात हैं. देश में ऐसी अभूतपूर्व स्थिति के कारण नमक उद्योग पूरी तरह से अपंग हो चुका है.

लॉकडाउन के बीच सब्जियों, डेयरी और फार्मेसी जैसी जरूरी चीजों के चलते कर्फ्यू में ढील दी गई है. किराने की दुकानें और पेट्रोल-डीजल से लेकर दैनिक कामकाज के लिए भी समय दिया गया है. ऐसे में नमक उत्पादक श्रमिकों की मांग है कि नमक को भी जरूरी वस्तु माना जाए और इसकी उत्पादन प्रक्रिया के लिए कर्फ्यू में कुछ हद तक छूट दी जाए.

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चिंता में श्रमिक

नमक का उत्पादन अप्रैल से जुलाई के चरम गर्मियों के महीने के दौरान ही किया जा सकता है. कोरोना के मद्देनजर लगे लॉकडाउन ने मजदूरों की वार्षिक आय को काफी हद तक कम कर दिया है.

यही कारण है कि नमक के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की मांग है कि तमिलनाडु सरकार को चाहिए कि वह नमक की खेती के उत्पादन को छूट प्रदान करे.

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नमक मजदूरों की आजीविका को नुकसान

इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के अनुसार, सॉल्ट पैन की सभी गतिविधियां जैसे नमक का उत्पादन, सॉल्ट स्ट्रीविंग (एक स्थान पर नमक को फैलाकर रखना), फावड़ा चलाना, नमक की लोडिंग सभी गतिविधियां एक निश्चित दूरी बनाकर ही की जाती हैं. इस प्रकार उत्पादित नमक की सुरक्षित मार्केटिंग को ध्यान में रखकर किया जाता है.

जैसा कि सरकार देशव्यापी लॉकडाउन की समय सीमा को बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है. ऐसे में देखना यह होगा कि नमक पैन पर निर्भर इन मजदूरों की प्रार्थना सुनकर उनकी आजीविका की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं या नहीं..

Last Updated : Apr 13, 2020, 9:38 AM IST
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