हैदराबाद : एक जुलाई को देश में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य चिकित्सकों को उनकी निस्वार्थ सेवाओं के लिए सम्मानित करना होता है, यह चिकित्सा पेशेवरों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए है जो 24 घंटे लोगों की सेवा करते हैं. राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जन्म और पुण्यतिथि के सम्मान के लिए भी मनाया जाता है, जो एक चिकित्सक के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे. भारत चिकित्सा क्षेत्र में तेजी से बढ़ा है इसमें नवीन तकनीकी के साथ-साथ डॉ. बिधान चंद्र रॉय का भी योगदान है.
भारत सरकार ने एक जुलाई, 1991 को देश में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस अनुमति दी. उसके बाद से यह हर वर्ष मनाया जाने लगा. दुनियाभर में डॉक्टर दिवस अलग-अलग तरीखों पर मनाया जाता है, जैसे अमेरिका में 30 मार्च को, क्यूबा में तीन दिसंबर और ईरान में 23 अक्टूबर को.
डॉ. बिधान चंद्र रॉय
डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म एक जुलाई, 1882 में बिहार के पटना के बांकीपुर स्थित खजांची रोड में हुआ था. रॉय को चिकित्सा के क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी थी और 30 बार उनके आवेदन को अस्वीकार किया गया था. इसके बाद भी वह इंग्लैंड के सेंट बार्थोलोम्यू हॉस्पिटल में अपना आवेदन करते रहे. उन्होंने कलकत्ता से मेडिकल ग्रेजुएशन और लंदन में एमआरसीपी और एफआरसीएस की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने 1911 में भारत में एक चिकित्सक के रूप में अपना मेडिकल करियर शुरू किया. फिर वह कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से जुड़ गए और बाद में कैंपबेल मेडिकल स्कूल और फिर कारमाइकल मेडिकल कॉलेज चले गए.
वह एक प्रसिद्ध चिकित्सक और शिक्षाविद् होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे. वह सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के साथ जुड़े. बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और फिर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने. एक जुलाई, 1962 को उनका निधन हो गया.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनकी याद में डॉ. बी.सी. रॉय नेशनल अवार्ड फंड 1962 की घोषणा की. चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं में विशिष्टताओं के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए व सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को पहचानने के लिए डॉ. बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1976 में की गई थी. डॉ. रॉय को चार फरवरी, 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
भारत में चिकित्सक
2017 के आंकड़ों के मुताबिक 1.8 मिलियन पंजीकृत मेडिकल स्नातकों द्वारा 1.33 बिलियन भारतीय आबादी की सेवा की जा रही है. 2017 तक 1,000 भारतीय नागरिकों के लिए डॉक्टरों का अनुपात 1.34 है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए.
वर्तमान में, भारत में 479 मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें 67,218 एमबीबीएस छात्र हैं. तीन वर्षों में देश में एमबीबीएस की 12,870 सीटें बढ़ाई गई हैं.
पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की कुल संख्या (2018 तक) 11, 54,686 थी. वहीं डेंटल सर्जनों की संख्या 2,54,283 थी. 2007 से 2018 तक भारत के केंद्रीय / राज्य दंत परिषद के साथ पंजीकृत दंत सर्जनों की संख्या में वृद्धि हुई है. इसके अलावा भारत में पंजीकृत आयुष चिकित्सकों की कुल संख्या 7,99,879 है.
आयुष में पंजीकृत आयुर्वेदिक डॉक्टरों की अधिकतम संख्या (55.47%) है, इसके बाद भारत में पंजीकृत होम्योपैथी चिकित्सक (36.69%) हैं.
डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात (1: 2203) के मामले में दिल्ली बेहतर है, लेकिन यह अभी भी डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित अनुपात से दोगुना है. अरुणाचल प्रदेश, पुदुचेरी, मणिपुर और सिक्किम डब्ल्यूएचओ के मानक के करीब हैं.
31 मार्च, 2017 तक देश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 10,112 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, 11,712 महिला स्वास्थ्य सहायकों, 15,592 पुरुष स्वास्थ्य सहायकों और उप-केंद्रों में 6,1000 से अधिक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सहायक नर्सों की कमी थी.
वास्तव में, देशभर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कम से कम 3,000 डॉक्टर होने चाहिए, जिनमें 1,974 ऐसे केंद्र हैं, जो बिना डॉक्टरों के संचालित किए जा रहे हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में, लगभग 5,000 सर्जनों की कमी है.
बिहार में, एक सरकारी डॉक्टर 28,391 लोगों की सेवा करता है. उत्तर प्रदेश में एक डॉक्टर 19,962 रोगियों की सेवा करता है. वहीं झारखंड 18,518, मध्य प्रदेश 16,992, छत्तीसगढ़ में 15,916 कर्नाटक 13,556 लोगों की सेवा एक डॉक्टर करता है.
कोरोना महामारी और डॉक्टर
कोरोना महामारी में डॉक्टर अहम भूमिका निभा रहे हैं. यह अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचान में लगे हुए हैं. इस दौरान देश के कई डॉक्टर भी संक्रमित हो गए. केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक मई, 2020 तक में इस महामारी से 548 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हुए थे.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में कोविड-19 से कम से कम 500 डॉक्टर संक्रमित हुए हैं.
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के मुताबिक, मुंबई में के सायन अस्पताल में 70 रेजिडेंट डॉक्टर संक्रमति हैं, केईएम अस्पताल में 40 और नायर अस्पताल में 35 संक्रमित हैं.
तीन जून तक के आंकड़ों के मुताबिक एम्स के 479 स्वास्थ्य कर्मी, फैकल्टी, रेजिडेंट्स, नर्सिंग स्टाफ, अटेंडेंट, सेनिटेशन और सिक्योरिटी स्टाफ कोरोना संक्रमित पाए गए. पांच जून तक हैदराबाद में कोरोना के लिए कुल 48 स्नातकोत्तर (PG) डॉक्टरों की कोरोना रिपोर्ट पॉजटिव आई.
ओडिशा में पांच डॉक्टरों का कोराना रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
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दिल्ली के 10 प्रमुख सार्वजनिक और निजी कोविड देखभाल अस्पतालों के डाटा से पता चलता है कि 2,109 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित पाए गए. मुहल्ला क्लिनिक के एक डॉक्टर समेत 18 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो गई.
दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में 84 डॉक्टर और नर्स की रिपोर्ट कोरोना पॉजटिव आई है, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है.
23 जून को तेलंगाना में एक 70 वर्षीय डॉक्टर की कोरोना से मौत हो गई थी.