हैदराबाद: एक 14 साल के सफेद बाघ की तेलंगाना की राजधानी हैदाराबाद में मौत हो गई. इस सफेद बाघ का नाम बदरी था और ये कई सालों से नेहरू जूलॉजिकल पार्क में रह रहा था. इसकी मौत का कारण ट्यूमर बताया जा रहा है.
जानकारों का कहना है कि बीते एक महीने पहले ही बाघ को हुए ट्यूमर के बारे में डॉक्टरों को पता चला. ये ट्यूमर बाघ के दाहिने कान के नीचे था. धीरे-धीरे बाघ की हालत बिगड़ने लगी, जिससे उसकी मौत हो गई.
बाघ के सही इलाज के लिए उसे अलग से एक पिंजरे में रखा गया, जहां उसका सही ढ़ंग से इलाज किया जा रहा था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. शुक्रवार को 11.30 बजे दिन में बाघ ने अंतिम सांसे ली. शनिवार को बाघ का पोसमार्टम किया गया, जिसके बाद जांच में ये साफ हुआ की मौत की वजह ट्यूमर ही रही होगी.
कान के नीचे गले पर हुए ट्यूमर का वजन करीब पांच किलो था. शुरुआती इलाज के बाद बाघ को थोड़ा राहत मिली और वो खाना भी पूरा खाने लगा था. सात अगस्त 2019 को देखा गया कि गाल पर सूजन बढ़ गई और बढ़ते-बढ़ते वो गले तक पहुंच गई.
इसके साथ ही बाघ के खाने की आदतों में भी बदलाव देखे गए और वो अब कुछ ही मांस के तुकड़े खाता था. 13 अगस्त को बाघ की हालत ज्यादा बिगड़ गई. मामले को संभालने के लिए इलाज के कई तरीके अपनाए गए, खून भी चढ़ाया गया. इसके बाद भी कोई फर्क न पड़ा, सूजन बढ़ती ही रही.
पोस्टमार्टम के दौरान इकट्ठा किए गए सैंपलों को शांतिनगर के वेटनरी बाइयोलॉजिक संस्थान, राजेंद्रनगर के वेटनरी सांइस कॉलेज और खत्म होती प्रजातियों के संरक्षण केंद्र पर भेजा गया है. वहीं अत्तापुर स्थित सेल्लुलर और मॉलिक्यूलर बाइयोलाजी केंद्र पर भी ये सैंपल भेजे गए हैं. इन स्थानों पर इसकी पूरी जांच की जाएगी.
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बता दें, ये दूसरी घटना है, जिसमें बाघ की जान जू में चली गई. इससे पहले भी जिन बाघों की मौत हुई, उनमें एक रॉयल बंगाल टाइगर था, जिसका नाम विनय था. उस बाघ की उम्र 21 साल थी और इस महीने पांच तारीख को ही उसकी भी मौत हो गई.