हैदराबाद : पीएफआई, पिछले कुछ दिनों से यह नाम बार-बार मीडिया में आता रहा है. इसे नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है. अलग-अलग प्रदेशों की पुलिस ने इस संगठन पर कई संगीन आरोप भी लगाए हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है पीएफआई और क्या हैं इस संगठन पर पर लगने वाले आरोप.
पीएफआई खुद को न्याय, आजादी और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले नव-समाज के आंदोलन के रूप में बताता है, लेकिन कई राज्य सरकारों ने इसे सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठन का दूसरा रूप मानती है. इस पर आतंकियों से सहानुभूति रखने का भी आरोप है.
पीएफआई की राजनीतिक शाखा है -एसडीपीआई- यानी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया.
पीएफआई 2006 में केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के रूप में शुरू हुआ था.
पीएफआई - नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट, मनिथा नीति पासराई, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, गोवा के सिटिजन्स फोरम, राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी, आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस और कई अन्य संगठनों के जरिए देश के कई हिस्सों में सक्रिय है. पीएफआई का असर 16 राज्यों में है.
पीएफआई ने महिलाओं के लिए अलग शाखा खोली है. इसका नाम है नेशनल वीमेंस फ्रंट. युवाओं के लिए पीएफआई की शाखा का नाम है - कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया.
2012 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीएफआई को देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक बताया था. केरल सरकार ने शपथ पत्र में पीएफआई को सिमी का ही एक दूसरा रूप बताया था. सिमी एक प्रतिबंधित गैर कानूनी संगठन है.
सीएए के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शन में पीएफआई की भूमिका बताई गई है. असम और यूपी सरकार ने इस बाबत कई जानकारियां साझा की हैं. असम में पीएफआई के चीफ अमिनुल हक को गिरफ्तार किया जा चुका है. यूपी में भी इनके खिलाफ कार्रवाई जारी है. इनके कई सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है.