हम सब वायरल बुखार से परिचित हैं. हर साल जब मौसम अब्दालने के साथ ही ऐसी समस्याएं सर उठाती हैं, लेकिन नया खतरा डेंगू है, जो पूरे साल सर पर मंडराता है. इस बुखार से तकरीबन 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हैं. 10 करोड़ लोग बिना कोई लक्षण दर्शाए इस बीमारी से प्रभावित हैं. एक समय था, जब यह रोग सिर्फ बच्चों को और शहरी नागरिकों को ही सताता था.
मगर अब ये हर जगर, हर किसी को निशाना बना रहा है. इससे पहले, जब ये बीमारी बढती थी तो प्लेटलेट्स का गिरना, खून का गाढ़ा होना, खून का बहना जैसे लक्षण नज़र आने लगते थे. अब भले ही इस तरह के लक्षण प्रकट नहीं हो रहे हैं. यह मस्तिष्क, हृदय, जिगर को प्रभावित करके गंभीर समस्याएं (असामान्य) पैदा कर रहा है. यह आंखों और जोड़ों को भी प्रभावित करता है. यही वजह है कि लोग इससे भयभीत हैं. वास्तव में, 98% डेंगू बुखार के रूप में आता है और गायब हो जाता है.
कभी-कभी, लोगों को इस तकलीफ के बारे में पता भी नहीं चलता. केवल एक प्रतिशत रोगियों में यह एक गंभीर बीमारी के रूप में प्रकट होता है. वर्तमान मौतों के लिए इस श्रेणी का बुखार एक समस्या है. यदि उचित उपचार किया जाये तो अधिकांश समस्याओं को रोका जा सकता है. अगर मच्छरों के काटने से बचने के लिए सावधानी बरती जाए तो हम संक्रमित होने से बच सकते हैं. जरूरत है डेंगू पर जागरूकता बढ़ाने और सतर्क रहने की.
डेंगू की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
डेंगू का मूल कारण फ्लेविवायरस है. यह चार प्रकार होते हैं- डेंगू 1, डेंगू 2, डेंगू 3, डेंगू 4. ये एडीज एजिप्टी नाम की मादा मच्छर द्वारा काटे जाने के कारण फैलते हैं. अगर किसी को एक प्रकार के डेंगू की वजह से किसी को बुखार हो जाता है तो उसे फिर से बुखार नहीं आएगा, लेकिन अगर उसे दूसरे प्रकार के मच्छरों ने काट लिया तो बुखार आएगा. इसका मतलब है, उसे जीवन काल में 4 बार डेंगू होने की संभावना है. यदि उसे दूसरे प्रकार के वायरस के कारण दूसरी बार बुखार आता है, तो यह बहुत गंभीर हो सकता है.
हर उस शख्स को जिसे मच्छर ने काटा है बुखार आएगा?
नहीं. यह समस्या तभी होती है, जब डेंगू द्वारा संक्रमित मच्छर काटता है. वायरस होने के बावजूद बुखार आने की संभावना नहीं होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ समय पहले वह व्यक्ति डेंगू के संक्रमण से प्रभावित हुआ होगा. उस वायरस के साथ लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी मौजूद होते हैं. भले ही डेंगू वायरस शरीर में प्रवेश कर जाए, लेकिन हर किसी को बुखार के लक्षण नहीं नजर हैं. केवल 10% लोगों में, ये लक्षण दिखाई देते हैं. अधिकांश व्यक्तियों में एक या दो लक्षण हो सकते हैं. कुछ गंभीर सिरदर्द और शरीर के दर्द से पीड़ित होते हैं.
अस्पताल में कब एडमिट करना चाहिए?
जब पेट में दर्द, लगातार उल्टी, पेट और छाती में तरल पदार्थ का जमा होना, थकावट, जिगर का बढ़ना जैसे लक्षण दिखाई देने लगें तो रोगी को अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज किया जाना चाहिए. यदि रक्तचाप गिरता है, अनियंत्रित रक्तस्राव शुरू हो जाता है, किसी भी अंग का काम करना बाधित होने (सीने में दर्द, सांस लेने की समस्या, दौरा पड़ना आदि) के संकेत दिखाई देते हैं, रोगी को भर्ती करने में देरी नहीं होनी चाहिए. मधुमेह, अतिरक्तदाब, पेट के अल्सर, एनीमिया से ग्रस्त लोग, गर्भवती महिलाओं, मोटे व्यक्तियों, एक साल से कम उम्र के बच्चों, वृद्ध लोगों को डेंगू गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. इसलिए ऐसे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए, भले ही लक्षण बहुत स्पष्ट न हों और उनका इलाज करवाएं.
स्थिति के अनुसार उपचार करें
ओवल (Oval): गर्भवती महिलाओं के मामले में, विशेष देखभाल की जानी चाहिए. चूंकि रक्तस्राव की संभावना बढ़ जाती है, जहां तक संभव हो, सिजेरियन न करके सामान्य प्रसव से बच्चे का जन्म करवाना चाहिए.मध्यम बुखार के लिए सिर्फ पैरासिटामोल पर्याप्त है. यदि कोई उल्टी नहीं हो रही है तो जीवन रक्षक घोल (ओआरएस) दिया जाना चाहिए. खासतौर से बच्चों का ख्याल रखा जाना चाहिए. उनको फौरन अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए.
यदि प्लेटलेट कोशिकाओं के गिरनना, रक्त का गाढ़ा होना, हेमटोक्रिट / पैक्ड सेल की मात्रा जैसे परीक्षण होते हैं, तो प्लेटलेट कोशिकाओं को जानने के लिए रक्त परीक्षण समय-समय पर किया जाना चाहिए. यदि भोजन को मुंह से नहीं लिया जा सकता है या हीमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ गया है या रक्तचाप में गिरावट होती है तो सेलाइन चढ़वाना चाहिए.
अगर किसी को फेफड़ों में तरल पदार्थ के रिसाव के कारण सांस लेने में समस्या हो रही है तो वेंटिलेटर की व्यवस्था करनी होगी और उपचार जारी रखना होगा. फेफड़ों और पेट से तरल पदार्थ निकालने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अगर ऐसा किया जाता है तो रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाएगा. यदि जिगर और हृदय जैसे अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो उपचार उसी के अनुसार किया जाना चाहिए.
रक्त का गाढ़ा होना एक गंभीर समस्या है डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की कमी से अधिक, रक्त का गाढ़ा होना एक बहुत खतरनाक लक्षण है. आम तौर पर रक्त वाहिका की दीवारों में कोशिकाएं एक दूसरे से चिपकी रहती हैं. डेंगू, जब आक्रमण करता है तो इंटरल्यूकिन नाम के रसायन का रिसाव होता है.
यह कोशिकाओं की आंतरिक दीवारों में कोशिकाओं को हटा देते हैं, जिससे छोटे छोटे छेद बन जाते हैं, जिनसे तरल पदार्थ बहने लगता है. हेमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद कोशिकाओं आदि जैसे ठोस तत्व में वृद्धि होती है और रक्त गाढ़ा होने लगता है. इस तरह से रक्त गाढ़ा होता है तो रक्तचाप गिरने लगता है. परिणामस्वरूप अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और रोगी इस अघात से आपातकालीन स्थिति में पहुंच जाता है. वर्तमान में डेंगू से होने वाली अधिकांश मौतें इसी तरह हुई हैं.
रक्त का गाढ़ा होना एक गंभीर समस्या है डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की कमी से रक्त का अधिक गाढ़ा होना एक बहुत खतरनाक लक्षण है. आम तौर पर रक्त वाहिका की दीवारों में कोशिकाएं एक दूसरे से चिपकीं रहती हैं. डेंगू जब आक्रमण करता है तो इंटरल्यूकिन नाम के रसायन का रिसाव होता है. यह कोशिकाओं की आंतरिक दीवारों में पाई जाने वाली अतिरिक्त कोशिकाओं को हटा देता है, जिससे छोटे छेद बन जाते हैं, जिनसे तरल पदार्थ (खून) बहने लगत है. हेमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद कोशिकाओं आदि जैसे ठोस तत्व में वृद्धि होती है और रक्त गाढ़ा होने लगता है. इस तरह से जब रक्त गाढ़ा होता है तो रक्तचाप गिरने लगता है. परिणामस्वरूप अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और रोगी इस अघात से आपातकालीन स्थिति में पहुंच जाता है. वर्तमान से होने वाली अधिकांश मौतें इसी तरह हुई हैं. |
अस्पताल से छुट्टी कब होती है?
- जब बिना किसी पेरासिटामोल की गोलियां लिए लगातार दो दिनों तक बुखार न हो.
- जब सामान्य तरीके से भूख लगने लगे.
- जब नाड़ी की गति, सांस की गति और रक्तचाप सामान्य हो जायें.
- जब मूत्र आसानी से होने लगे.
- जब प्लेटलेट्स कम से कम 50,000 से अधिक हो जायें, आदर्श रूप से एक लाख से अधिक.
- जब हेमेटोक्रिट स्तर सेलाइन दिए बिना भी सामान्य हो जाये.
आरोग्य प्राप्ति का चरण कौन सा होता है?
बुखार कम होने के बाद, प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या 3-5 दिनों के भीतर बढ़ जाएगी. नाड़ी की गति, सांस की गति और रक्तचाप सामान्य हो जाना चाहिए. उलटी और पेट दर्द बंद हो जाना, भूख बढ़ना, मूत्र आसानी से होना, हीमोग्लोबिन का स्तर समान्य होना, यह सब लक्षण बताते हैं कि डेंगू बुखार का असर ख़त्म हो रहा है. कुछ के लिए त्वचा पर फफोले गायब हो सकते हैं और उनमें खुजली हो सकती है. इससे डरने की जरूरत नहीं है.
पढ़ें: भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य का पतन
लक्षण - बहुत सारे लोगों के लिए
मच्छर के काटने के बाद 3-14 दिनों में डेंगू का संक्रमण हो सकता है. इसमें तीन चरण होंगे: शुरुआती, गंभीर और राहत का चरण. पहला चरण 5 दिन, गंभीर चरण दो से तीन दिन का होगा.
पहले चरण में:
- अचानक तेज बुखार आना.
- सिर में दर्द होना.
- आँखों के पीछे दर्द.
- उल्टी, मतली.
- शरीर और जोड़ों का दर्द.
- भूख में कमी.
गंभीर अवस्था में:
- पेट दर्द, सांस फूलना.
- पेट या छाती में तरल पदार्थ का जमा होना.
- बार-बार उल्टी होना.
- मसूड़ों जैसी जगहों से खून का रिसाव.
- त्वचा पर लाल धब्बे.
- रक्तचाप का गिरना, बेहोशी.
- हाथ-पैर ठंडे पड़ना.
- कमजोरी और बेचैनी.
- जलन, उनींदापन.
- लीवर का बढ़ना.
- शरीर में हीमोग्लोबिन का बढ़ना.
- प्लेटलेट कोशिकाओं का तेजी से गिरना.
निदान कैसे करें?
बुखार शुरू होने के बाद एसएस1 एंटीजन टेस्ट किया जाना चाहिए. यदि यह पुष्टि करता है तो इसका मतलब है कि मरीज को डेंगू है. यदि यह पांच दिनों के बाद है तो आईजीएम एंटीबॉडी परीक्षण किया जाना है क्योंकि एसएस1 एंटीजन उस स्तर पर दिखाई नहीं देगा. यदि आईजीएम पाया जाता है तो डेंगू का प्रभाव अभी भी बना हुआ है. भले ही डेंगू त्वरित किये नैदानिक परीक्षणों में पाया जाता है, फिर भी पुष्टि के लिए सामान्य परीक्षणों को भी किया जाना चाहिए. यदि आवश्यक हो तो आईजीजी एंटीबॉडी परीक्षण करना चाहिए. वह लोग, जिन्हे पहले भी डेंगू हुआ था, उनके लिए इस टेस्ट में भी एंटीजन पाए जायेंगे. इसका मतलब है कि डेंगू का उन पर दूसरा या तीसरा प्रहार है. चूंकि ऐसा डेंगू खतरनाक हो सकता है, इसलिए अधिक सावधानी बरतने के लिए आईजीजी टेस्ट कराना पड़ता है।
क्या करें और क्या नहीं
- बुखार उतारने के लिए आप पेरासिटामोल ले सकते हैं.
- दर्द निवारक दवाएं जैसे ब्रूफेन, एनलजिन, डिक्लोफेनाक, एस्पिरिन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
- इंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन नहीं लेना चाहिए.
- एंटीबायोटिक, एंटीवायरल दवाएं नहीं लेनी चाहिए.
- रक्त, प्लेटलेट्स, सेलाइन जब तक ज़रुरत न हो नहीं चढ़वाना चाहिए. डॉक्टरों को उनके लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए.
- पर्याप्त तरल पदार्थ लेना चाहिए.
- ठीक से आराम करना चाहिए.
- बुखार उतरने के बाद अधिक देखभाल करनी चाहिए.
- अनावश्यक रूप से फल और फलों के रस नहीं लेने चाहिए. इससे पोटेशियम का स्तर रक्त में बढ़ जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है.
- अगर बुखार बना रहता है और अगर उल्टी नहीं होती है और अगर रोगी भोजन करने की हालत में होता है तो भोजन लिया जा सकता है.
- बुखार उतरने के बाद सामान्य भोजन लेना चाहिए. किसी विशेष भोजन की आवश्यकता नहीं है.
पपीते की पत्ती/फलों का रस प्लेटलेट बढाने में कारगर साबित होता है, लेकिन वह इतनी मात्रा में नहीं बढ़ते हैं कि डेंगू को कम कर सकें. इसलिए सिर्फ इनपर पूर्णतः भरोसा करके इलाज बंद नहीं करना चाहिए.
बुखार उतरने पर खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.
कई लोगों को लगता है कि जबतक बुखार तेज होता है बस तब तक ही अस्पताल में रहने की जरुरत है. बुखार कम होने के बाद वे घर जाने की जिद करने लगते हैं. दरअसल, असली खतरा तब शुरू होता है जब तापमान सामान्य होने लगता है. रक्तचाप का गिरना, प्लेटलेट्स की कमी इस दौरान शुरू होती है. इसलिए, यह नहीं मान लेना चाहिए कि चूंकि बुखार कम हो गया है, इसलिए कोई समस्या नहीं है. अब अधिक सतर्क रहना चाहिए.
प्लेटलेट्स को कब दिया जाना है? और किससे लेकर?
डेंगू से संक्रमित हर मरीज को प्लेटलेट दिए जाने की आवश्यकता नहीं होती है. जब प्लेटलेट की संख्या एक लाख से कम हो जाती है तो उन्हें डॉक्टर की देखरेख में होना चाहिए. यदि प्लेटलेट 50 हजार से कम गिरते हैं, तो रोगी को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए और करीब से निगरानी की जानी चाहिए. 20 हजार से कम प्लेटलेट गिरने और रक्त के रिसाव के लक्षण दिखाई देने की स्थिति में हमें प्लेटलेट का पूरक लेना होगा. अगर 10 हजार तक गिरता है और रक्तस्राव होने या न होने के बावजूद, प्लेटलेट चढ़वाने की जरुरत पड़ती है.
बचाव महत्वपूर्ण है
डेंगू की रोकथाम उसके परिणाम झेलने से बेहतर है. हम डेंगू से पूरी तरह से बच सकते हैं अगर यह सुनिश्चित कर लें कि मच्छर हमें नहीं काटे. ध्यान रखा जाना चाहिए कि घर के आसपास कहीं पानी जमा न हो. मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. हम जब बाहर जाते हैं तो पूरी आस्तीन की शर्ट और पैंट पहननी चाहिए. मच्छर को दूर रखने वाली क्रीम को हाथों और पैरों पर लगाना चाहिए.
हम सब वायरल बुखार से परिचित हैं. हर साल जब मौसम अब्दालने के साथ ही ऐसी समस्याएं सर उठाती हैं, लेकिन नया खतरा डेंगू है, जो पूरे साल सर पर मंडराता है. इस बुखार से तकरीबन 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हैं. 10 करोड़ लोग बिना कोई लक्षण दर्शाए इस बीमारी से प्रभावित हैं. एक समय था, जब यह रोग सिर्फ बच्चों को और शहरी नागरिकों को ही सताता था.
मगर अब ये हर जगर, हर किसी को निशाना बना रहा है. इससे पहले, जब ये बीमारी बढती थी तो प्लेटलेट्स का गिरना, खून का गाढ़ा होना, खून का बहना जैसे लक्षण नज़र आने लगते थे. अब भले ही इस तरह के लक्षण प्रकट नहीं हो रहे हैं. यह मस्तिष्क, हृदय, जिगर को प्रभावित करके गंभीर समस्याएं (असामान्य) पैदा कर रहा है. यह आंखों और जोड़ों को भी प्रभावित करता है. यही वजह है कि लोग इससे भयभीत हैं. वास्तव में, 98% डेंगू बुखार के रूप में आता है और गायब हो जाता है.
कभी-कभी, लोगों को इस तकलीफ के बारे में पता भी नहीं चलता. केवल एक प्रतिशत रोगियों में यह एक गंभीर बीमारी के रूप में प्रकट होता है. वर्तमान मौतों के लिए इस श्रेणी का बुखार एक समस्या है. यदि उचित उपचार किया जाये तो अधिकांश समस्याओं को रोका जा सकता है. अगर मच्छरों के काटने से बचने के लिए सावधानी बरती जाए तो हम संक्रमित होने से बच सकते हैं. जरूरत है डेंगू पर जागरूकता बढ़ाने और सतर्क रहने की.
डेंगू की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
डेंगू का मूल कारण फ्लेविवायरस है. यह चार प्रकार होते हैं- डेंगू 1, डेंगू 2, डेंगू 3, डेंगू 4. ये एडीज एजिप्टी नाम की मादा मच्छर द्वारा काटे जाने के कारण फैलते हैं. अगर किसी को एक प्रकार के डेंगू की वजह से किसी को बुखार हो जाता है तो उसे फिर से बुखार नहीं आएगा, लेकिन अगर उसे दूसरे प्रकार के मच्छरों ने काट लिया तो बुखार आएगा. इसका मतलब है, उसे जीवन काल में 4 बार डेंगू होने की संभावना है. यदि उसे दूसरे प्रकार के वायरस के कारण दूसरी बार बुखार आता है, तो यह बहुत गंभीर हो सकता है.
हर उस शख्स को जिसे मच्छर ने काटा है बुखार आएगा?
नहीं. यह समस्या तभी होती है, जब डेंगू द्वारा संक्रमित मच्छर काटता है. वायरस होने के बावजूद बुखार आने की संभावना नहीं होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ समय पहले वह व्यक्ति डेंगू के संक्रमण से प्रभावित हुआ होगा. उस वायरस के साथ लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी मौजूद होते हैं. भले ही डेंगू वायरस शरीर में प्रवेश कर जाए, लेकिन हर किसी को बुखार के लक्षण नहीं नजर हैं. केवल 10% लोगों में, ये लक्षण दिखाई देते हैं. अधिकांश व्यक्तियों में एक या दो लक्षण हो सकते हैं. कुछ गंभीर सिरदर्द और शरीर के दर्द से पीड़ित होते हैं.
अस्पताल में कब एडमिट करना चाहिए?
जब पेट में दर्द, लगातार उल्टी, पेट और छाती में तरल पदार्थ का जमा होना, थकावट, जिगर का बढ़ना जैसे लक्षण दिखाई देने लगें तो रोगी को अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज किया जाना चाहिए. यदि रक्तचाप गिरता है, अनियंत्रित रक्तस्राव शुरू हो जाता है, किसी भी अंग का काम करना बाधित होने (सीने में दर्द, सांस लेने की समस्या, दौरा पड़ना आदि) के संकेत दिखाई देते हैं, रोगी को भर्ती करने में देरी नहीं होनी चाहिए. मधुमेह, अतिरक्तदाब, पेट के अल्सर, एनीमिया से ग्रस्त लोग, गर्भवती महिलाओं, मोटे व्यक्तियों, एक साल से कम उम्र के बच्चों, वृद्ध लोगों को डेंगू गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. इसलिए ऐसे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए, भले ही लक्षण बहुत स्पष्ट न हों और उनका इलाज करवाएं.
स्थिति के अनुसार उपचार करें
ओवल (Oval): गर्भवती महिलाओं के मामले में, विशेष देखभाल की जानी चाहिए. चूंकि रक्तस्राव की संभावना बढ़ जाती है, जहां तक संभव हो, सिजेरियन न करके सामान्य प्रसव से बच्चे का जन्म करवाना चाहिए.मध्यम बुखार के लिए सिर्फ पैरासिटामोल पर्याप्त है. यदि कोई उल्टी नहीं हो रही है तो जीवन रक्षक घोल (ओआरएस) दिया जाना चाहिए. खासतौर से बच्चों का ख्याल रखा जाना चाहिए. उनको फौरन अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए.
यदि प्लेटलेट कोशिकाओं के गिरनना, रक्त का गाढ़ा होना, हेमटोक्रिट / पैक्ड सेल की मात्रा जैसे परीक्षण होते हैं, तो प्लेटलेट कोशिकाओं को जानने के लिए रक्त परीक्षण समय-समय पर किया जाना चाहिए. यदि भोजन को मुंह से नहीं लिया जा सकता है या हीमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ गया है या रक्तचाप में गिरावट होती है तो सेलाइन चढ़वाना चाहिए.
अगर किसी को फेफड़ों में तरल पदार्थ के रिसाव के कारण सांस लेने में समस्या हो रही है तो वेंटिलेटर की व्यवस्था करनी होगी और उपचार जारी रखना होगा. फेफड़ों और पेट से तरल पदार्थ निकालने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अगर ऐसा किया जाता है तो रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाएगा. यदि जिगर और हृदय जैसे अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो उपचार उसी के अनुसार किया जाना चाहिए.
रक्त का गाढ़ा होना एक गंभीर समस्या है डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की कमी से अधिक, रक्त का गाढ़ा होना एक बहुत खतरनाक लक्षण है. आम तौर पर रक्त वाहिका की दीवारों में कोशिकाएं एक दूसरे से चिपकी रहती हैं. डेंगू, जब आक्रमण करता है तो इंटरल्यूकिन नाम के रसायन का रिसाव होता है.
यह कोशिकाओं की आंतरिक दीवारों में कोशिकाओं को हटा देते हैं, जिससे छोटे छोटे छेद बन जाते हैं, जिनसे तरल पदार्थ बहने लगता है. हेमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद कोशिकाओं आदि जैसे ठोस तत्व में वृद्धि होती है और रक्त गाढ़ा होने लगता है. इस तरह से रक्त गाढ़ा होता है तो रक्तचाप गिरने लगता है. परिणामस्वरूप अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और रोगी इस अघात से आपातकालीन स्थिति में पहुंच जाता है. वर्तमान में डेंगू से होने वाली अधिकांश मौतें इसी तरह हुई हैं.
रक्त का गाढ़ा होना एक गंभीर समस्या है डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की कमी से रक्त का अधिक गाढ़ा होना एक बहुत खतरनाक लक्षण है. आम तौर पर रक्त वाहिका की दीवारों में कोशिकाएं एक दूसरे से चिपकीं रहती हैं. डेंगू जब आक्रमण करता है तो इंटरल्यूकिन नाम के रसायन का रिसाव होता है. यह कोशिकाओं की आंतरिक दीवारों में पाई जाने वाली अतिरिक्त कोशिकाओं को हटा देता है, जिससे छोटे छेद बन जाते हैं, जिनसे तरल पदार्थ (खून) बहने लगत है. हेमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद कोशिकाओं आदि जैसे ठोस तत्व में वृद्धि होती है और रक्त गाढ़ा होने लगता है. इस तरह से जब रक्त गाढ़ा होता है तो रक्तचाप गिरने लगता है. परिणामस्वरूप अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और रोगी इस अघात से आपातकालीन स्थिति में पहुंच जाता है. वर्तमान से होने वाली अधिकांश मौतें इसी तरह हुई हैं. |
अस्पताल से छुट्टी कब होती है?
- जब बिना किसी पेरासिटामोल की गोलियां लिए लगातार दो दिनों तक बुखार न हो.
- जब सामान्य तरीके से भूख लगने लगे.
- जब नाड़ी की गति, सांस की गति और रक्तचाप सामान्य हो जायें.
- जब मूत्र आसानी से होने लगे.
- जब प्लेटलेट्स कम से कम 50,000 से अधिक हो जायें, आदर्श रूप से एक लाख से अधिक.
- जब हेमेटोक्रिट स्तर सेलाइन दिए बिना भी सामान्य हो जाये.
आरोग्य प्राप्ति का चरण कौन सा होता है?
बुखार कम होने के बाद, प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या 3-5 दिनों के भीतर बढ़ जाएगी. नाड़ी की गति, सांस की गति और रक्तचाप सामान्य हो जाना चाहिए. उलटी और पेट दर्द बंद हो जाना, भूख बढ़ना, मूत्र आसानी से होना, हीमोग्लोबिन का स्तर समान्य होना, यह सब लक्षण बताते हैं कि डेंगू बुखार का असर ख़त्म हो रहा है. कुछ के लिए त्वचा पर फफोले गायब हो सकते हैं और उनमें खुजली हो सकती है. इससे डरने की जरूरत नहीं है.
पढ़ें: भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य का पतन
लक्षण - बहुत सारे लोगों के लिए
मच्छर के काटने के बाद 3-14 दिनों में डेंगू का संक्रमण हो सकता है. इसमें तीन चरण होंगे: शुरुआती, गंभीर और राहत का चरण. पहला चरण 5 दिन, गंभीर चरण दो से तीन दिन का होगा.
पहले चरण में:
- अचानक तेज बुखार आना.
- सिर में दर्द होना.
- आँखों के पीछे दर्द.
- उल्टी, मतली.
- शरीर और जोड़ों का दर्द.
- भूख में कमी.
गंभीर अवस्था में:
- पेट दर्द, सांस फूलना.
- पेट या छाती में तरल पदार्थ का जमा होना.
- बार-बार उल्टी होना.
- मसूड़ों जैसी जगहों से खून का रिसाव.
- त्वचा पर लाल धब्बे.
- रक्तचाप का गिरना, बेहोशी.
- हाथ-पैर ठंडे पड़ना.
- कमजोरी और बेचैनी.
- जलन, उनींदापन.
- लीवर का बढ़ना.
- शरीर में हीमोग्लोबिन का बढ़ना.
- प्लेटलेट कोशिकाओं का तेजी से गिरना.
निदान कैसे करें?
बुखार शुरू होने के बाद एसएस1 एंटीजन टेस्ट किया जाना चाहिए. यदि यह पुष्टि करता है तो इसका मतलब है कि मरीज को डेंगू है. यदि यह पांच दिनों के बाद है तो आईजीएम एंटीबॉडी परीक्षण किया जाना है क्योंकि एसएस1 एंटीजन उस स्तर पर दिखाई नहीं देगा. यदि आईजीएम पाया जाता है तो डेंगू का प्रभाव अभी भी बना हुआ है. भले ही डेंगू त्वरित किये नैदानिक परीक्षणों में पाया जाता है, फिर भी पुष्टि के लिए सामान्य परीक्षणों को भी किया जाना चाहिए. यदि आवश्यक हो तो आईजीजी एंटीबॉडी परीक्षण करना चाहिए. वह लोग, जिन्हे पहले भी डेंगू हुआ था, उनके लिए इस टेस्ट में भी एंटीजन पाए जायेंगे. इसका मतलब है कि डेंगू का उन पर दूसरा या तीसरा प्रहार है. चूंकि ऐसा डेंगू खतरनाक हो सकता है, इसलिए अधिक सावधानी बरतने के लिए आईजीजी टेस्ट कराना पड़ता है।
क्या करें और क्या नहीं
- बुखार उतारने के लिए आप पेरासिटामोल ले सकते हैं.
- दर्द निवारक दवाएं जैसे ब्रूफेन, एनलजिन, डिक्लोफेनाक, एस्पिरिन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
- इंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन नहीं लेना चाहिए.
- एंटीबायोटिक, एंटीवायरल दवाएं नहीं लेनी चाहिए.
- रक्त, प्लेटलेट्स, सेलाइन जब तक ज़रुरत न हो नहीं चढ़वाना चाहिए. डॉक्टरों को उनके लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए.
- पर्याप्त तरल पदार्थ लेना चाहिए.
- ठीक से आराम करना चाहिए.
- बुखार उतरने के बाद अधिक देखभाल करनी चाहिए.
- अनावश्यक रूप से फल और फलों के रस नहीं लेने चाहिए. इससे पोटेशियम का स्तर रक्त में बढ़ जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है.
- अगर बुखार बना रहता है और अगर उल्टी नहीं होती है और अगर रोगी भोजन करने की हालत में होता है तो भोजन लिया जा सकता है.
- बुखार उतरने के बाद सामान्य भोजन लेना चाहिए. किसी विशेष भोजन की आवश्यकता नहीं है.
पपीते की पत्ती/फलों का रस प्लेटलेट बढाने में कारगर साबित होता है, लेकिन वह इतनी मात्रा में नहीं बढ़ते हैं कि डेंगू को कम कर सकें. इसलिए सिर्फ इनपर पूर्णतः भरोसा करके इलाज बंद नहीं करना चाहिए.
बुखार उतरने पर खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.
कई लोगों को लगता है कि जबतक बुखार तेज होता है बस तब तक ही अस्पताल में रहने की जरुरत है. बुखार कम होने के बाद वे घर जाने की जिद करने लगते हैं. दरअसल, असली खतरा तब शुरू होता है जब तापमान सामान्य होने लगता है. रक्तचाप का गिरना, प्लेटलेट्स की कमी इस दौरान शुरू होती है. इसलिए, यह नहीं मान लेना चाहिए कि चूंकि बुखार कम हो गया है, इसलिए कोई समस्या नहीं है. अब अधिक सतर्क रहना चाहिए.
प्लेटलेट्स को कब दिया जाना है? और किससे लेकर?
डेंगू से संक्रमित हर मरीज को प्लेटलेट दिए जाने की आवश्यकता नहीं होती है. जब प्लेटलेट की संख्या एक लाख से कम हो जाती है तो उन्हें डॉक्टर की देखरेख में होना चाहिए. यदि प्लेटलेट 50 हजार से कम गिरते हैं, तो रोगी को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए और करीब से निगरानी की जानी चाहिए. 20 हजार से कम प्लेटलेट गिरने और रक्त के रिसाव के लक्षण दिखाई देने की स्थिति में हमें प्लेटलेट का पूरक लेना होगा. अगर 10 हजार तक गिरता है और रक्तस्राव होने या न होने के बावजूद, प्लेटलेट चढ़वाने की जरुरत पड़ती है.
बचाव महत्वपूर्ण है
डेंगू की रोकथाम उसके परिणाम झेलने से बेहतर है. हम डेंगू से पूरी तरह से बच सकते हैं अगर यह सुनिश्चित कर लें कि मच्छर हमें नहीं काटे. ध्यान रखा जाना चाहिए कि घर के आसपास कहीं पानी जमा न हो. मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. हम जब बाहर जाते हैं तो पूरी आस्तीन की शर्ट और पैंट पहननी चाहिए. मच्छर को दूर रखने वाली क्रीम को हाथों और पैरों पर लगाना चाहिए.
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डेंगू… डेंगू…डेंगू
हम सब वायरल बुखार से परिचित हैं. हर साल जब मौसम अब्दालने के साथ ही ऐसी समस्याएं सर उठाती हैं. मगर लेकिन नया खतरा डेंगू है, जो पूरे साल सर पर मंडराता है. इस बुखार से तकरीबन 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हैं. 10 करोड़ लोग बिना कोई लक्षण दर्शाए इस बीमारी से प्रभावित हैं. एक समय था जब ये रोग सिर्फ बच्चों को और शहरी नागरिकों को ही सताता था.
मगर अब ये हर जगर, हर किसी को निशाना बना रहा है. इससे पहले, जब ये बीमारी बढती थी तो प्लेटलेट्स का गिरना, खून का गाढ़ा होना, खून का बहना जैसे लक्षण नज़र आने लगते थे. अब, भले ही इस तरह के लक्षण प्रकट नहीं हो रहे हैं, यह मस्तिष्क, हृदय, जिगर को प्रभावित करके गंभीर समस्याएं (असामान्य) पैदा कर रहा है. ये आंखों और जोड़ों को भी प्रभावित करता है. यही वजह है कि लोग इससे भयभीत हैं. वास्तव में, 98% डेंगू बुखार के रूप में आता है और गायब हो जाता है.
कभी-कभी, लोगों को इस तकलीफ के बारे में पता भी नहीं चलता. केवल एक प्रतिशत रोगियों में, यह एक गंभीर बीमारी के रूप में प्रकट होता है. वर्तमान मौतों के लिए, इस श्रेणी का बुखार एक समस्या है. यदि उचित उपचार किया जाये, तो अधिकांश समस्याओं को रोका जा सकता है. अगर मच्छरों के काटने से बचने के लिए सावधानी बरती जाए तो हम संक्रमित होने से बच सकते हैं. जरूरत है डेंगू पर जागरूकता बढ़ाने और सतर्क रहने की.
डेंगू की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
डेंगू का मूल कारण फ्लेविवायरस है। यह चार प्रकार होते हैं- डेंगू 1, डेंगू 2, डेंगू 3, डेंगू 4. ये एडीज एजिप्टी नाम की मादा मच्छर द्वारा काटे जाने के कारण फैलते हैं. अगर किसी को एक प्रकार के डेंगू की वजह से किसी को बुखार हो जाता है, तो उसे फिर से बुखार नहीं आएगा, लेकिन अगर उसे दूसरे प्रकार के मच्छरों ने काट लिया तो बुखार आएगा. इसका मतलब है, उसे जीवन काल में 4 बार डेंगू होने की संभावना है. यदि उसे दूसरे प्रकार के वायरस के कारण दूसरी बार बुखार आता है, तो यह बहुत गंभीर हो सकता है.
हर उस शख्स को जिसे मच्छर ने काटा है बुखार आएगा?
नहीं. ये समस्या तभी होती है जब डेंगू द्वारा संक्रमित मच्छर काटता है. वायरस होने के बावजूद बुखार आने की संभावना नहीं होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ समय पहले वह व्यक्ति डेंगू के संक्रमण से प्रभावित हुआ होगा. उस वायरस के साथ लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी मौजूद होते हैं। भले ही डेंगू वायरस शरीर में प्रवेश कर जाए, लेकिन हर किसी को बुखार के लक्षण नहीं नज़र हैं. केवल 10% लोगों में, ये लक्षण दिखाई देते हैं. अधिकांश व्यक्तियों में एक या दो लक्षण हो सकते हैं. कुछ गंभीर सिरदर्द और शरीर के दर्द से पीड़ित होते हैं.
अस्पताल में कब एडमिट करना चाहिए?
जब पेट में दर्द, लगातार उल्टी, पेट और छाती में तरल पदार्थ का जमा होना, थकावट, जिगर का बढ़ना जैसे लक्षण दिखाई देने लगें, तो रोगी को अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज किया जाना चाहिए. यदि रक्तचाप गिरता है, अनियंत्रित रक्तस्राव शुरू हो जाता है, किसी भी अंग का काम करना बाधित होने (सीने में दर्द, सांस लेने की समस्या, दौरा पड़ना आदि) के संकेत दिखाई देते हैं, रोगी को भर्ती करने में देरी नहीं होनी चाहिए. मधुमेह, अतिरक्तदाब, पेट के अल्सर, एनीमिया से ग्रस्त लोगों को, गर्भवती महिलाओं, मोटे व्यक्तियों, एक साल से कम उम्र के बच्चों, वृद्ध लोगों को डेंगू गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए, ऐसे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए, भले ही लक्षण बहुत स्पष्ट न हों और उनका इलाज करवाएं.
स्थिति के अनुसार उपचार करें
Oval: गर्भवती महिलाओं के मामले में, विशेष देखभाल की जानी चाहिए.चूंकि रक्तस्राव की संभावना बढ़ जाती है, जहां तक संभव हो, सिजेरियन ना करके सामान्य प्रसव से बच्चे का जन्म करवाना चाहिए.मध्यम बुखार के लिए सिर्फ पैरासिटामोल पर्याप्त है. यदि कोई उल्टी नहीं हो रही है, तो जीवन रक्षक घोल (ओआरएस) दिया जाना चाहिए. खासतौर से बच्चों का ख्याल रखा जाना चाहिए. उनको फ़ौरन अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए.
यदि प्लेटलेट कोशिकाओं के गिरनना, रक्त का गाढ़ा होना, हेमटोक्रिट / पैक्ड सेल की मात्रा जैसे परीक्षण होते हैं, तो प्लेटलेट कोशिकाओं को जानने के लिए रक्त परीक्षण समय-समय पर किया जाना चाहिए. यदि भोजन को मुंह से नहीं लिया जा सकता है या हीमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ गया है या रक्तचाप में गिरावट होती है, तो सेलाइन चढ़वाना चाहिए.
अगर किसी को फेफड़ों में तरल पदार्थ के रिसाव के कारण सांस लेने में समस्या हो रही है, तो वेंटिलेटर की व्यवस्था करनी होगी और उपचार जारी रखना होगा. फेफड़ों और पेट से तरल पदार्थ निकालने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अगर ऐसा किया जाता है, तो रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाएगा. यदि जिगर और हृदय जैसे अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो उपचार उसी के अनुसार किया जाना चाहिए.
रक्त का गाढ़ा होना एक गंभीर समस्या है डेंगू बुखार में, प्लेटलेट्स की कमी से अधिक, रक्त का गाढ़ा होना एक बहुत खतरनाक लक्षण है। आम तौर पर रक्त वाहिका की दीवारों में, कोशिकाएं एक दूसरे से चिपकी रहती हैं. जब डेंगू आक्रमण करता है तो, इंटरल्यूकिन नाम के रसायन का रिसाव होता है.
ये कोशिकाओं की आंतरिक दीवारों में कोशिकाओं को हटा देते हैं, जिससे छोटे छोटे छेद बन जाते हैं जिनसे तरल पदार्थ बहने लगता है. हेमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद कोशिकाओं आदि जैसे ठोस तत्व में वृद्धि होती है और रक्त गाढ़ा होने लगता है. जब इस तरह से रक्त गाढ़ा होता है तो रक्तचाप गिरने लगता है. परिणामस्वरूप अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और रोगी इस अघात से आपातकालीन स्थिति में पहुँच जाता है. वर्तमान में डेंगू से होने वाली अधिकांश मौतें इसी तरह हुई हैं.
अस्पताल से छुट्टी कब होती है?
o जब बिना किसी पेरासिटामोल की गोलियां लिए लगातार दो दिनों तक बुखार न हो.
o जब सामान्य तरीके से भूख लगने लगे.
o जब नाड़ी की गति, साँस की गति और रक्तचाप सामान्य हो जायें.
o जब मूत्र आसानी से होने लगे.
o जब प्लेटलेट्स कम से कम 50,000 से अधिक हो जायें, आदर्श रूप से एक लाख से अधिक.
o जब हेमेटोक्रिट स्तर सेलाइन दिए बिना भी सामान्य हो जाये.
आरोग्य प्राप्ति का चरण कौन सा होता है?
बुखार कम होने के बाद, प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या 3-5 दिनों के भीतर बढ़ जाएगी. नाड़ी की गति, साँस की गति और रक्तचाप सामान्य हो जाना चाहिए. उलटी और पेट दर्द बंद हो जाना , भूख बढ़ना, मूत्र आसानी से होना, हीमोग्लोबिन का स्तर समान्य होना, ये सब लक्षण बताते हैं कि डेंगू बुखार का असर ख़त्म हो रहा है. कुछ के लिए, त्वचा पर फफोले गायब हो सकते हैं और उनमें खुजली हो सकती है. इससे डरने की जरूरत नहीं है.
लक्षण - बहुत सारे लोगों के लिए
मच्छर के काटने के बाद 3-14 दिनों में डेंगू का संक्रमण हो सकता है. इसमें तीन चरण होंगे: शुरुआती, गंभीर, राहत का चरण. पहला चरण 5 दिन, गंभीर चरण दो से तीन दिन का होगा.
पहले चरण में:
• अचानक तेज बुखार आना.
• सिर में दर्द होना.
• आँखों के पीछे दर्द.
• उल्टी, मतली.
• शरीर और जोड़ों का दर्द.
• भूख में कमी.
गंभीर अवस्था में:
• पेट दर्द, सांस फूलना.
• पेट या छाती में तरल पदार्थ का जमा होना.
• बार-बार उल्टी होना.
• मसूड़ों जैसी जगहों से खून का रिसाव.
• त्वचा पर लाल धब्बे.
• रक्तचाप का गिरना, बेहोशी.
• हाथ-पैर ठंडे पड़ना.
• कमजोरी और बेचैनी.
• जलन, उनींदापन.
• लीवर का बढ़ना.
• शरीर में हीमोग्लोबिन का बढ़ना.
• प्लेटलेट कोशिकाओं का तेजी से गिरना.
निदान कैसे करें?
बुखार शुरू होने के बाद एसएस1 एंटीजन टेस्ट किया जाना चाहिए. यदि यह पुष्टि करता है, तो इसका मतलब है कि मरीज को डेंगू है. यदि यह पांच दिनों के बाद है, तो आईजीएम एंटीबॉडी परीक्षण किया जाना है क्योंकि एसएस1 एंटीजन उस स्तर पर दिखाई नहीं देगा. यदि आईजीएम पाया जाता है, तो डेंगू का प्रभाव अभी भी बना हुआ है. भले ही डेंगू त्वरित किये नैदानिक परीक्षणों में पाया जाता है, फिर भी पुष्टि के लिए सामान्य परीक्षणों को भी किया जाना चाहिए. यदि आवश्यक हो, तो आईजीजी एंटीबॉडी परीक्षण करना चाहिए. जिन लोगों को पहले भी डेंगू हुआ था, उनके लिए इस टेस्ट में भी एंटीजन पाए जायेंगे. इसका मतलब है कि डेंगू का तुउनपर दूसरा या तीसरा प्रहार है. चूंकि ऐसा डेंगू खतरनाक हो सकता है, इसलिए अधिक सावधानी बरतने के लिए आईजीजी टेस्ट कराना पड़ता है।
क्या करें और क्या नहीं
• बुखार उतारने के लिए आप पेरासिटामोल ले सकते हैं.
• दर्द निवारक दवाएं जैसे ब्रूफेन, एनलजिन, डिक्लोफेनाक, एस्पिरिन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
• इंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन नहीं लेना चाहिए.
• एंटीबायोटिक, एंटीवायरल दवाएं नहीं लेनी चाहिए.
• रक्त, प्लेटलेट्स, सेलाइन जब तक ज़रुरत न हो नहीं चढ़वाना चाहिए. डॉक्टरों को उनके लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए.
• पर्याप्त तरल पदार्थ लेना चाहिए.
• ठीक से आराम करना चाहिए.
• बुखार उतरने के बाद अधिक देखभाल करनी चाहिए.
• अनावश्यक रूप से फल और फलों के रस नहीं लेने चाहिए. इससे पोटेशियम का स्तर रक्त में बढ़ जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है.
• अगर बुखार बना रहता है और अगर उल्टी नहीं होती है और अगर रोगी भोजन करने की हालत में होता है, तो भोजन लिया जा सकता है.
• बुखार उतरने के बाद सामान्य भोजन लेना चाहिए. किसी विशेष भोजन की आवश्यकता नहीं है.
पपीते की पत्ती/फलों का रस प्लेटलेट बढाने में कारगर साबित होता है. लेकिन वह इतनी मात्रा में नहीं बढ़ते हैं कि डेंगू को कम कर सकें. इसलिए सिर्फ इनपर पूर्णतः भरोसा करके इलाज बंद नहीं करना चाहिए.
बुखार उतरने पर ख़तरा ज्यादा बढ़ जाता है.
कई लोगों को लगता है कि जबतक बुखार तेज़ होता है बस तब तक ही अस्पताल में रहने की ज़रुरत है. बुखार कम होने के बाद वे घर जाने की जिद करने लगते हैं. दरअसल, असली खतरा तब शुरू होता है जब तापमान सामान्य होने लगता है. रक्तचाप का गिरना, प्लेटलेट्स की कमी इस दौरान शुरू होती है. इसलिए, यह नहीं मान लेना चाहिए कि चूंकि बुखार कम हो गया है, इसलिए कोई समस्या नहीं है. अब अधिक सतर्क रहना चाहिए.
प्लेटलेट्स को कब दिया जाना है? और किससे लेकर?
डेंगू से संक्रमित हर मरीज को प्लेटलेट दिए जाने की आवश्यकता नहीं होती है. जब प्लेटलेट की संख्या एक लाख से कम हो जाती है, तो उन्हें डॉक्टर की देखरेख में होना चाहिए. यदि प्लेटलेट 50 हजार से कम गिरते हैं, तो रोगी को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए और करीब से निगरानी की जानी चाहिए. 20 हजार से कम प्लेटलेट गिरने और रक्त के रिसाव के लक्षण दिखाई देने की स्थिति में, हमें प्लेटलेट का पूरक लेना होगा. अगर 10 हजार तक गिरता है, और रक्तस्राव होने या न होने के बावजूद, प्लेटलेट चढ़वाने की ज़रुरत पड़ती है.
बचाव महत्वपूर्ण है
डेंगू की रोकथाम उसके परिणाम झेलने से बेहतर है. हम डेंगू से पूरी तरह से बच सकते हैं अगर यह सुनिश्चित कर लें कि मच्छर हमें नहीं काटे. ध्यान रखा जाना चाहिए कि घर के आसपास कहीं पानी जमा न हो. मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. जब हम बाहर जाते हैं तो पूरी आस्तीन की शर्ट और पैंट पहननी चाहिए. मच्छर को दूर रखने वाली क्रीम को हाथों और पैरों पर लगाना चाहिए.
Conclusion: