पाकुड़ : झारखंड के पाकुड़ जिला के जुगीडीह गांव में ठनका की चपेट में आने से गांव के तीन बच्चे की हुई मौत हो गई थी. बच्चों की मौत ने जुगीडीह गांव में मातम ला दिया है. घटना के दूसरे दिन गांव के हर चौखट पर अपनों के होने का न केवल गम दिखा, बल्कि चित्कार ऐसी मानो कि हर घर के लोगों ने अपनों को खो दिया हो.
रो रहा पूरा गांव
गांव के लोग हंसते खेलते अपने ही गांव के वैसे तीन बच्चे जिनकी जान वज्रपात ने ले ली थी को भुला नहीं पा रहे. मृतकों के परिजन ही नहीं बल्कि ग्रामीणों का इन बच्चों से लगाव और प्रेम ही एक कारण था. जिसने इन मृत बच्चों के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को इजाजत नहीं दी.
सभी का पारंपरिक रीति-रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार
गुरुवार को जब ईटीवी भारत के संवाददाता गमगीन गांव जुगीडीह पहुंचे तो चारों तरफ मातम का माहौल था. हर घर की चौखट से चीख और चित्कार अपनों को खोने की सुनाई दे रही थी. आखिर ऐसा हो क्यों नहीं, क्योंकि रोज गांव के लोग इन बच्चों को खेलते कूदते देखा करते थे. जो आज आंख मूंदे सोए हुए थे. पुलिस के अधिकारियों ने मृतक के परिजनों को घंटों समझाया कि पोस्टमार्टम इनका करा लें, सरकार से 4 लाख रुपए मुआवजा मिलेगा. लेकिन परिजन तैयार नहीं हुए और पारंपरिक रीति-रिवाज से ठनका की चपेट में काल की गाल में समाए 4 वर्षीय बाबूधन सोरेन, 12 वर्षीय जीतराम हेंब्रम और 15 वर्षीय एलोसोन सोरेन का दाह संस्कार किया गया.
परिजनों ने प्रशासन को लिख कर दिया है कि वे मुआवजा नहीं चाहते
परिजनों ने प्रशासन को यह भी लिख कर दिया है कि वे मुआवजा नहीं चाहते हैं, इसलिए पोस्टमार्टम भी नहीं कराया जाए. इस मामले में अंचलाधिकारी महेशपुर रितेश कुमार जायसवाल ने बताया कि परिजनों ने मुआवजा नहीं लेने को लेकर लिखित दिया है, इसकी जानकारी वरीय पदाधिकारी को दे दी गई है.
ये भी पढ़ें- पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड में ठनका गिरने से तीन बच्चों समेत 5 की मौत