नई दिल्ली : गोवा कोरोना वायरस से मुक्त होने वाला देश का पहला प्रदेश बना, जो प्रदेश सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इस मामले पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ईटीवी भारत संवाददाता अनामिका रत्ना से खास बातचीत में बताया कि देश में सबसे पहले कोरोना फ्री राज्य होने की वजह समय पर शुरू की गई जांच व्यवस्था और लोगों को क्वॉरंटाइन किया जाना था. लेकिन जो कुछ केस आए हैं, उन पर भी जल्दी ही नियंत्रण कर लिया जाएगा. हम उसे बढ़ने नहीं देंगे और यह मुख्य तौर पर बाहर से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से आने वाले लोगों की वजह से है.
सवाल : देश में सबसे पहले गोवा कोरोना फ्री राज्य हो गया था. इसे कैसे आपने नियंत्रण किया था. शुरुआती दौर में मुख्य वजह क्या थी और दोबारा यह रिवाइवल क्यों शुरू हुआ?
प्रमोद सावंत : हां, यह जरूर है कि जब कोरोना की महामारी देश में फैली और कहीं ना कहीं इसकी संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी, ऐसे समय में गोवा ने सबसे पहले कोरोना मुक्त राज्य होने का गौरव प्राप्त किया. उसकी सबसे मुख्य वजह थी कि हमने राज्य में शुरुआत से ही सोशल डिस्टेंसिंग की नीति अपनाई और इसे कड़ाई से लागू किया. अगर देखा जाए तो गोवा में बाहर से आने वालों की संख्या सबसे ज्यादा होती है, किसी भी राज्य की तुलना में. लेकिन समय से की गई टेस्टिंग, ज्यादा से ज्यादा की गई टेस्टिंग और बाहर से आने वाले लोगों को कड़ाई से क्वॉरंटाइन किया गया. ये तमाम ऐसी वजह थीं, जिन पर सरकार दुरुस्त रही और सबसे पहले इसे कोरोना फ्री कर दिया गया था.
सवाल : क्या आप मानते हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से जो कुछ रियायतें दी गईं और रिलैक्सेशन दिए गए, उसकी वजह से राज्यों में दिक्कतें आई हैं या कोरोना का संक्रमण और बढ़ा है. साथ ही जो गोवा एक बार फ्री हो चुका था, अब दोबारा वहां नए मामले सामने आए?
प्रमोद सावंत : देखिए हम बाहर से आने वाले लोगों को तो रोक नहीं सकते. लेकिन यह जरूर है कि केंद्र सरकार के लिए आदेश की वजह से जब आवागमन की शुरुआत हुई तो लोग बाहर से यहां पर आए और दोबारा नए मामले आए. लेकिन जहां तक केंद्र सरकार की रियायतों का सवाल है तो उसने लोगों के हित में ही यह निर्णय लिया है. आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत धीरे-धीरे करना बहुत ही जरूरी था और इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इस वजह से केंद्र ने आदेश तो दिया है, लेकिन अब यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वे अपने राज्य में इनकी शुरुआत कितनी पाबंदियों के साथ करते हैं. बाहर से आने वालों को तुरंत क्वॉरंटाइन किया जा रहा है और सभी लोगों की जांच की जा रही है. जगह-जगह पर जाट सेंटर बनाए गए हैं.
इसके लिए प्रधानमंत्री के संकेत के बाद हमने बैठक बुलाई और कई समितियां तैयार कर दी हैं. खास तौर पर दूसरे राज्यों से जो लोग आ रहे है शहर से बाहर ही उन्हें क्वॉरंटाइन करने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाना है.
उन्हें इस बात के ट्रेनिंग दी जा रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इस बात को अपने एक माध्यमों की तरफ से प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं कि गोवा अब भी आपके लिए सुरक्षित है और सुरक्षित रहेगा. इस महामारी के बाद भी आप अपने पसंदीदा पर्यटक स्थल मैं आ सकते हैं.
सवाल : प्रधानमंत्री की तरफ से जो घोषणा की गई है, उस आर्थिक पैकेज से आप कितना संतुष्ट हैं. क्या यह पर्याप्त है?
प्रमोद सावंत : जहां तक आर्थिक पैकेज की बात है, वह देश को सुदृढ़ करेगा. खासतौर पर लघु और मध्यम उद्योगों को एक संजीवनी की तरह काम करेगा, जहां तक संतुष्ट होने की बात है तो यह इकोनॉमी को बूस्ट करने में जरूर मदद करेगा. राज्यों को यह कोशिश करनी पड़ेगी कि इस सहायता के माध्यम से वह अपने राज्य के रोजगार को कैसे बढ़ाएं, कैसे उन्हें सुदृढ़ करने की कोशिश करें. हां, यह जरूर है इस कोरोना की महामारी से आर्थिक नुकसान राज्य को बहुत ज्यादा हुआ है.
सवाल: सरकार ने लोकल पर वोकल होने की बात कही है, लोकल चीजों को प्रमोट करने के लिए राज्य सरकार की क्या प्लानिंग है?
प्रमोद सावंत : प्रधानमंत्री ने स्वदेशी की बात कही है और जहां तक लोकल चीजों को उठाने की बात है, यह एक सुनहरा अवसर है, जब हम अपने देश की वस्तुओं को अपने राज्य की चीजों को प्रमोट कर सकते हैं और राज्य सरकार इसे प्रमोट करने की पूरी कोशिश करेगा ताकि उन्हें व्यवसाय भी मिले, उन्हें रोजगार भी मिले और अपनी चीजों का अपने संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल भी हो सके. यह एक लघु उद्योगों के लिए संजीवनी की तरह साबित होगा
सवाल : राज्य में महामारी से लड़ने के दौरान क्या विपक्ष का आपको सहयोग मिला?
प्रमोद सावंत : जहां तक बात विपक्ष के सहयोग की है तो महामारी के समय में मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. लेकिन सरकार खुद ही सारे कदम ऐसे उठा रही है, जिसमें लोगों को सहायता मिल सके, कोरोना पर नियंत्रण किया जा सके, ज्यादा से ज्यादा कोरोना से बचने के उपाय किए जा सके. मगर ऐसे समय भी अगर कोई राजनीति करता है तो यह गलत बात है. यह समय राजनीति करने का नहीं है.
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सवाल : प्रधानमंत्री ने जब बैठक बुलाई, उसमें सभी मुख्यमंत्रियों ने सलाह दी. आपने क्या सलाह दी?
प्रमोद सावंत : हमने सरकार को यही सलाह दी कि अगर कुछ रियायतें दी भी जा जाएं तो उसमें कुछ शर्तों के साथ ही दी जाएं. आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के लिए जो भी जरूरी कदम है उठाएं मगर पूर्ण रूप से लॉकडाउन खोला जाना अभी संभव नहीं लगता.
सवाल : गोवा में भी प्रवासी मजदूरों की संख्या काफी ज्यादा थी, वहां से भी लोगों का पलायन हुआ. इसे रोकने के लिए आपने क्या किया. साथ ही केंद्र सरकार भी लगातार इन मुद्दों को लेकर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर हैं इस बारे में क्या कहना?
प्रमोद सावंत : सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि यह समय नहीं है राजनीति करने की. विपक्षी पार्टियां तमाम बातों पर राजनीति कर रही हैं. यह समय है मिलकर सभी को लड़ाई लड़ने का. जहां तक मजदूरों के पलायन की बात है, यहां से भी कई मजदूर जाने को प्रेरित हुए और कुछ गए भी. काफी समझाने बुझाने के बाद भी मजदूरों की मनःस्थिति यह है कि वे एक बार अपने घर को पहुंचना चाहते हैं, लेकिन हम यह प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें विश्वास दिला सकें कि वे अभी फिलहाल यही रहें. जहां हैं, वहीं सुरक्षित हैं, यहां उनके लिए व्यवस्था की जाएगी.
जहां तक केंद्र की आलोचना की बात है, विपक्षी पार्टियां लगातार इस पर राजनीति कर रही हैं. सरकार अपनी तरफ से हर संभव मदद करने की कोशिश कर रही है. हमें लगता है कि हम कोरोना के खिलाफ लड़ाई जल्दी ही जीतेंगे. जहां तक गोवा की बात है तो वह हमेशा से सुरक्षित था और सुरक्षित रहेगा.