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दलाई लामा बोले - 'हम तिब्बती 60 वर्षों से भारत में रहकर आजादी का आनंद ले रहे'

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती शरणार्थी भारत में रहते हुए स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं. तिब्बती भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं, 60 वर्षों में हमने भारत की स्वतंत्रता का आनंद लिया है. उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले तिब्बती शरणार्थियों ने लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया है. पढ़ें पूरी खबर...

दलाई लामा
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Published : Oct 14, 2019, 5:53 PM IST

ऊना (हिमाचल प्रदेश) : तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने रविवार को कहा कि वह भारत में स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हम 60 साल से भारत में रह रहे हैं और आजादी का आनंद ले रहे हैं. एक तरह से मैं शरणार्थी हूं, लेकिन मुझे भारत में अच्छा लगता है.'

ऊना में मीडिया से बात करते तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा.

तिब्बत की आजादी पर लामा ने याद किया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हे सलाह दी थी कि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा.

दलाई लामा ने बताया, 'तिब्बत की आजादी के लिए 1974 से पहले हमने संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी. लेकिन नेहरू ने हमें सलाह दी थी कि संयुक्त राष्ट्र इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा. कभी न कभी हमें इसको लेकर चीन से बात करनी होगी.'

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर में 70 दिनों बाद पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं बहाल

तिब्बती धर्मगुरु ने कहा, '1974 में हम ने निर्णय लिया कि हम चीन के साथ रहेंगे, ऐसे में हमें हमारी संस्कृति के संरक्षण के लिए अधिकार चाहिए होंगे.'

चीन पर तंज कसते हुए दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती लोग चीन को लोकतंत्र का पाठ पढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा, 'वर्ष 2001 में मैंने पूरी तरह संन्यास ले लिया था. निर्वाचित राजनीतिक नेतृत्व इन सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है. मैं मानता हूं कि हम चीन को लोकतंत्र चलाना सिखा सकते हैं.'

गौरतलब है कि गत छह अक्टूबर को यह रिपोर्ट मिली थी कि निर्वाचित तिब्बती सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर पुनः पुष्टि की है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन खुद आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा करेंगे और इस मुद्दे पर किसी भी राष्ट्र का नियंत्रण नहीं है.

ऊना (हिमाचल प्रदेश) : तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने रविवार को कहा कि वह भारत में स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हम 60 साल से भारत में रह रहे हैं और आजादी का आनंद ले रहे हैं. एक तरह से मैं शरणार्थी हूं, लेकिन मुझे भारत में अच्छा लगता है.'

ऊना में मीडिया से बात करते तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा.

तिब्बत की आजादी पर लामा ने याद किया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हे सलाह दी थी कि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा.

दलाई लामा ने बताया, 'तिब्बत की आजादी के लिए 1974 से पहले हमने संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी. लेकिन नेहरू ने हमें सलाह दी थी कि संयुक्त राष्ट्र इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा. कभी न कभी हमें इसको लेकर चीन से बात करनी होगी.'

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तिब्बती धर्मगुरु ने कहा, '1974 में हम ने निर्णय लिया कि हम चीन के साथ रहेंगे, ऐसे में हमें हमारी संस्कृति के संरक्षण के लिए अधिकार चाहिए होंगे.'

चीन पर तंज कसते हुए दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती लोग चीन को लोकतंत्र का पाठ पढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा, 'वर्ष 2001 में मैंने पूरी तरह संन्यास ले लिया था. निर्वाचित राजनीतिक नेतृत्व इन सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है. मैं मानता हूं कि हम चीन को लोकतंत्र चलाना सिखा सकते हैं.'

गौरतलब है कि गत छह अक्टूबर को यह रिपोर्ट मिली थी कि निर्वाचित तिब्बती सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर पुनः पुष्टि की है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन खुद आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा करेंगे और इस मुद्दे पर किसी भी राष्ट्र का नियंत्रण नहीं है.

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