पटना : भारत और नेपाल में पिछले पांच दिनों से लगातार बारिश हो रही है. जिससे कई नदियों में उफान आ गया है. इसी कड़ी में अररिया जिले में परमान नदी उफान पर है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्र के दर्जनों गांवों में पानी घुस गया है.
बाढ़ की स्थिति
परमान नदी के जलस्तर में वृद्धि से फारबिसगंज गरहा सड़क मार्ग पर तीन से चार फीट उपर तक पानी जमा हो गया है. इसके साथ ही कोसी नदी भी उफान पर है. परमान नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से फारबिसगंज, गड़हा, हंस कोशा, धमदाहा, पिपरा गड़हा कुशमाहा, रंगढा, रानीगंज पॉटरी, मधुबनी मछुआ, रमई आदि पंचायत में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
तेजी से बढ़ रहा पानी
पिछले पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश से सीमावर्ती इलाकों में पानी तेजी से बढ़ रहा है. सड़क पर पानी तीन से चार फीट बह रहा है. जिससे जोगबनी से कुर्साकाटा सड़क पर चचरी पुल के सहारे ही लोग आवागमन के लिए विवश हैं.
चचरी पुल के सहारे आवाजाही
फारबिसगंज कुर्साकांटा डुमरा बांध सड़क में कई जगहों पर कटान होने लगी है. ग्रामीण क्षेत्रों के निचले इलाकों में घरों में परमान नदी का पानी घुस गया है. जिससे आम जनजीवन बाधित हो रहा है. लोग चचरी पुल के सहारे आवाजाही कर रहे हैं.
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नहीं हुआ बांध बनाने का काम शुरू
ग्रामीणों ने बताया कि नदी का बांध 2017 में ही टूट गया था. जिसके बाद से लोगों को हर साल बाढ़ की समस्या झेलनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि डीएम सहित अधिकारियों ने एक महीने पहले आकर बांध का निरिक्षण किया था. जिसके बाद जल्द बांध बनाने की बात कही गई थी. लेकिन आज तक इसका काम शुरू भी नहीं हुआ.
नहीं मिला मुआवजा
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि हर साल बाढ़ में काफी नुकसान होता है. सरकार राहत के सिए कई घोषणाएं तो कर देती है. लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से लोगों तक राहत के लिए दिए गए पैसे नहीं पहुंचते. उन्होंने बताया कि तीन साल से यहां बाढ़ की समस्या होती है. फिर भी आज तक लोगों को मुआवजा नहीं मिला.
90 नावों की व्यवस्था
वहीं, बीजेपी फारबिसगंज विधायक मंचन केशरी ने कहा कि हम जनता की हर संभव मदद के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि बाढ़ की स्थिति को देखते हुए 90 नाव मंगवाए गए हैं. विधायक ने कहा कि कई पंचायतों में नाव भेज दिया गया है.
प्रशासन की लापरवाही
बता दें कि कई जिलों को लोगों को हर साल बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. सरकार हर साल बांध निर्माण और इसे लेकर तैयारियों का दावा करती है. लेकिन कई जगह प्रशासन की लापरवाही का हर्जाना लोगों को भुगतना पड़ता है. साथ ही अधिकारियों की मिलीभगत से लोगों को मुआवजा तक नहीं मिल पाता है.