तिरुवनंतपुरम : कोरोना वायरस को रोकने के लिए केरल सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने सराहना की है. बता दें, केरल सरकार ने राज्य में महामारी के प्रभाव से उबरने के लिए 2.6 बिलियन डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी.
गौर हो कि देश में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया था. शुरुआत में संक्रमण के मामलों में मुंबई के बाद केरल दूसरे नंबर पर था, लेकिन अब यह राज्य 10वें स्थान पर खिसक चुका है.
केरल में हर तीन गांव के बीच दो स्वास्थ्य केंद्र हैं यानी हर चार किलोमीटर की दूरी पर एक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है, जिससे कि हर संदिग्ध व्यक्ति को आइसोलेट करना संभव हो सका.
केरल में किसी भी व्यक्ति में सर्दी-खांसी जैसे लक्षण देखे जाने पर उसे तुरंत निगरानी में लिया गया. साथ ही सरकार ने यहां होम क्वारंटाइन की अवधि को 14 नहीं बल्कि 28 दिन रखा है.
केरल की तुलना में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के अधिक मामले हैं. लेकिन इन दोनों राज्यों के मुकाबले केरल ने अप्रैल के पहले सप्ताह तक 13 हजार से अधिक कोरोना संदिग्धों का परीक्षण किया, जबकि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में क्रमशः छह हजार और आठ हजार लोगों के ही परीक्षण किए गए.
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आपको बता दें, अमेरिका का दैनिक अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' अमेरिका के अलावा पूरी दुनिया में लोकप्रिय है. इस अखबार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए केरल सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट छापी और राज्य सरकार की सराहना की है.
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत स्वास्थ्य कर्मी शीबा के शब्दों से की है. शीबा के मुताबिक, केरल में 30 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मी हैं, जिनमें छह हजार डॉक्टर, नौ हजार नर्स और 15 हजार अन्य सेवाकर्मी हैं.
यह सभी स्वास्थ्य कर्मी प्रतिदिन राज्य के दूरदराज के गांव और शहरों में जाते हैं और कोरोना संदिग्धों का पता लगाने का काम करते हैं. किसी भी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण पाए जाने पर उसे तुरंत क्वारंटाइन कर दिया जाता है.
रिपोर्ट में विस्तृत और व्यापक तरीके से केरल के एहतियाती उपायों और तैयारियों का विश्लेषण किया गया है. वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, केरल ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए जो कदम उठाए हैं, वह सख्त और मानवीय हैं, जिनका विरोलॉजिस्ट (Virologist) और संक्रामक रोग विशेषज्ञ (Infectious Diseases Expert) भी समर्थन करते हैं.