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अनुच्छेद 370: कश्मीरी पंडितों ने कहा, 'अब, हम अपने मूल स्थान पर वापसी कर सकेंगे' - नई दिल्ली

मोदी सरकार के कश्मीर को लेकर किए गए ऐलान के बाद कश्मीरी पंडितों में खुशी की लहर छा गई है. जानें ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कश्मीरी पंडितों ने क्या कुछ कहा....

दिल्ली में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों में खुशी की लहर
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Published : Aug 5, 2019, 4:45 PM IST

Updated : Aug 6, 2019, 12:22 AM IST

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी से निकाले गए हिंदू पंडितों ने सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और राज्य से विशेष दर्जे को खत्म किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. कश्मीरी पंडितों ने कहा कि इस निर्णय के बाद उन्हें उम्मीद है कि अब वह वापस अपने घर लौट पाएंगे.

कश्मीर घाटी से 1990 के दशक में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का स्वागत किया.

कश्मीरी पंडितों से बातचीत

उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे क्षेत्र में शांति का माहौल स्थापित होगा और मूल स्थान पर सम्मान एवं गरिमा के साथ उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा.

जम्मू एवं कश्मीर विचार मंच के सदस्य मनोज भान ने कहा, 'इस में कोई शक नहीं कि यह एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय है. कश्मीर के लोग जल्दी ही भारत सरकार के नजदीक आ जाएंगे. इसके साथ ही बनाए गए दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों की अर्थव्यवस्थाओं में तेजी देखने को मिलेगी.'

जम्मू कश्मीर के पंडितों से बातचीत

पंडितों के दूसरे लीडर सतीश महालदार ने कहा, 'एक ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देनी चाहिए. मुझे उम्मीद है इस निर्णय के बाद हम घाटी में वापस जाने के अपने सपने को साकार कर पाएंगे.'

जम्मू कश्मीर के पंडितों से बातचीत

इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि राज्य से धारा 370 को खत्म किया जाएगा और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया जाएगा. पहला जम्मू एवं कश्मीर, जहां एक विधानसभा होगी और दूसरा लद्दाख जहां कोई विधानसभा नहीं होगी.

दोनों ही पंडितों के लीडरों ने कहा है कि इस कदम ने जम्मू एवं कश्मीर की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और क्षेत्र के इलाकों में उद्योग पनपेने में यह मदद करेगा.

जम्मू कश्मीर के पंडितों से बातचीत

पढ़ें-JK LIVE: जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

महालदार ने कहा, 'धारा 370 हटाए जाने के अलावा सरकार को चाहिए कि वह 30 साल पहले हुए नरसंहार की जांच के लिए एक एसआईटी जांच कराए.'

उन्होंने कहा, 'हमारी मांग है कि अपराध के लिए आरोपियों को सजा मिलनी ही चाहिए. कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का आश्वासन दिया जाना चाहिए.'

हथियार बंद अलगाववादियों द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को भारत से अलग किए जाने की मांग के बाद 1989 में हजारों कश्मीरी पंडित घाटी से भाग आए थे.

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी से निकाले गए हिंदू पंडितों ने सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और राज्य से विशेष दर्जे को खत्म किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. कश्मीरी पंडितों ने कहा कि इस निर्णय के बाद उन्हें उम्मीद है कि अब वह वापस अपने घर लौट पाएंगे.

कश्मीर घाटी से 1990 के दशक में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का स्वागत किया.

कश्मीरी पंडितों से बातचीत

उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे क्षेत्र में शांति का माहौल स्थापित होगा और मूल स्थान पर सम्मान एवं गरिमा के साथ उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा.

जम्मू एवं कश्मीर विचार मंच के सदस्य मनोज भान ने कहा, 'इस में कोई शक नहीं कि यह एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय है. कश्मीर के लोग जल्दी ही भारत सरकार के नजदीक आ जाएंगे. इसके साथ ही बनाए गए दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों की अर्थव्यवस्थाओं में तेजी देखने को मिलेगी.'

जम्मू कश्मीर के पंडितों से बातचीत

पंडितों के दूसरे लीडर सतीश महालदार ने कहा, 'एक ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देनी चाहिए. मुझे उम्मीद है इस निर्णय के बाद हम घाटी में वापस जाने के अपने सपने को साकार कर पाएंगे.'

जम्मू कश्मीर के पंडितों से बातचीत

इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि राज्य से धारा 370 को खत्म किया जाएगा और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया जाएगा. पहला जम्मू एवं कश्मीर, जहां एक विधानसभा होगी और दूसरा लद्दाख जहां कोई विधानसभा नहीं होगी.

दोनों ही पंडितों के लीडरों ने कहा है कि इस कदम ने जम्मू एवं कश्मीर की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और क्षेत्र के इलाकों में उद्योग पनपेने में यह मदद करेगा.

जम्मू कश्मीर के पंडितों से बातचीत

पढ़ें-JK LIVE: जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

महालदार ने कहा, 'धारा 370 हटाए जाने के अलावा सरकार को चाहिए कि वह 30 साल पहले हुए नरसंहार की जांच के लिए एक एसआईटी जांच कराए.'

उन्होंने कहा, 'हमारी मांग है कि अपराध के लिए आरोपियों को सजा मिलनी ही चाहिए. कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का आश्वासन दिया जाना चाहिए.'

हथियार बंद अलगाववादियों द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को भारत से अलग किए जाने की मांग के बाद 1989 में हजारों कश्मीरी पंडित घाटी से भाग आए थे.

Intro:मोदी सरकार ने जैसे ही कश्मीर पर अहम फैसलों का ऐलान किया, दिल्ली में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों में खुशी की लहर दौड़ गई है ।
बाहरी दिल्ली के जैन नगर स्थित कश्मीरी कॉलोनी में 200 से ज्यादा विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार समेत तीन दशक से रहते आ रहे हैं ।
ईटीवी भारत पहुँची कश्मीरी पंडितों की इस कॉलोनी में और उनसे मोदी सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया ली ।


Body:सभी कश्मीरी पंडितों की यही राय थी कि अब लदाख और जम्मू कश्मीर को अलग अलग केंद्र साशित राज्य बनाने का फैसला ऐतिहासिक है और इससे वहां के हालात सुधरेंगे ।
कई कश्मीरी पंडित अपनी बात कहते हुए भावुक भी हो गए लेकिन उन्होंने मोदी सरकार के फैसले को अपना पूरा समर्थन दिया है ।
देखें ये विशेष रिपोर्ट और जाने की कश्मीर पर मोदी सरकार के बड़े फैसले पर क्या कहते हैं विस्थापित कश्मीरी पंडित ।

Request : Please use full video


Conclusion:कृप्या पूरी वीडियो लगाएं ।
Last Updated : Aug 6, 2019, 12:22 AM IST
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