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छत्तीसगढ़ के इस गांव का हर आदमी है 'मांझी', खुद बना रहे 20 किमी लंबी सड़क

जब शासन-प्रशासन ने ग्रामीणों की सड़क की गुहार नहीं सुनी तो सैकड़ों लोगों ने मिलकर खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया. ग्रामीणों ने स्वैच्छिक श्रमदान करने का फैसला कर कुदाल-फावड़ा उठाया, और बना डाली डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क. जानें पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ के सरगुजा में सड़क बनाते ग्रामीण
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Published : Aug 28, 2019, 5:08 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 3:10 PM IST

सरगुजा : देश में माउंटेन मैन के नाम से मशहूर बिहार के दशरथ मांझी ने अकेले ही पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बना दी थी, जो लोगों के लिए आज भी किसी मिसाल से कम नहीं हैं. ऐसी ही एक कहानी छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से सामने आई है. इस जिले के कदनाई गांव के लोग आने वाले दिनों में किसी मिसाल से कम नहीं होंगे, और यहां का हर एक आदमी 'मांझी' कहलाएगा.

ये हम नहीं कह रहे हैं, ये उनका काम कह रहा है. ये कहानी भी दशरथ मांझी की कहानी से कम नहीं है. कदनाई गांव के सभी 'मांझी' ने आपस में मिलकर लगभग 2 किलोमाटर की सड़क बना डाली.

सड़क बनाने के लिए यहां का हर एक व्यक्ति 'मांझी' बनने को तैयार हो गया और खुद फावड़ा, तगाड़ी और छेनी उठाकर सड़क बनाने के लिए निकल पड़े. यह गांव सालों से सड़क की बाट जोह रहा था.

amarjeet bhagat sarguja etvbharat
विधायक अमरजीत भगत

इस सड़क के बनते ही लोगों को न बारिश की मार झेलनी पड़ेगी और न ही नदी, नाले पार करने पड़ेंगे. साथ ही 60 किलोमीटर की जगह 20 किलोमीटर का ही सफर तय कर अंबिकापुर पहुंच जाएंगे.

पढ़ें क्या कह रहे 'मांझी'

  • उन्होनें ये कदम खुद क्यों उठाया. इस पर उनका जवाब था कि अंबिकापुर से गांव की दूरी 60 किलोमीटर है. साथ ही रास्ते में नदी नाले भी हैं, जो मुख्यालय से इन्हें अलग कर देते थे पर अब सड़क बनने पर उनकी डगर आसान हो जाएगी.
  • जब उनसे पूछा गया कि प्रशासन से मदद क्यों नहीं ली, तो उनका जवाब था 'कई बार वे मांग कर चुके हैं, यहां अधिकारी आ भी चुके हैं पर वे जनसंख्या कम होने का हवाला देकर सड़क नापकर चले गए.
  • गांव के सरंपच से इस संबंध में पूछा गया कि वे खुद सरपंच होकर प्रशासन से मदद दिलाने के बजाए खुद फावड़ा क्यों उठा लिए. इसके जवाब में उनका कहना है कि उनकी मांग पर कई बार अधिकारी-कर्मचारी मीटर लेकर आए, लेकिन अब तक सड़क नहीं बनी. लिहाजा वो भी ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़क बनाने में जुट गए हैं.

मंत्री अमरजीत ने नहीं किया गांव का दौरा

  • इस पूरे मामले में खाद्य मंत्री और स्थानीय विधायक अमरजीत भगत का जवाब हैरान कर देने वाला था. क्योंकि भगत इस क्षेत्र से 4 बार के विधायक रहे हैं पर पुल और सड़क नहीं होने से वे खुद कदनाई तक नहीं पहुंच पाते थे.
    amarjeet bhagat sarguja etvbharat
    विधायक अमरजीत भगत
  • मंत्रीजी के मुताबिक अब वो सरकार में हैं, और अगले बजट में वो इस गांव की तकदीर बदलने का दावा भी कर रहें है.

बहरहाल, अब ये देखना होगा कि ये दावा भी चुनावी वादों की तरह फुस्स न हो जाए और कदनई के लोगों की तरह ही विकास की मार झेल रहे हर गांव के लोगों को मांझी न बनना पड़े.

सरगुजा : देश में माउंटेन मैन के नाम से मशहूर बिहार के दशरथ मांझी ने अकेले ही पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बना दी थी, जो लोगों के लिए आज भी किसी मिसाल से कम नहीं हैं. ऐसी ही एक कहानी छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से सामने आई है. इस जिले के कदनाई गांव के लोग आने वाले दिनों में किसी मिसाल से कम नहीं होंगे, और यहां का हर एक आदमी 'मांझी' कहलाएगा.

ये हम नहीं कह रहे हैं, ये उनका काम कह रहा है. ये कहानी भी दशरथ मांझी की कहानी से कम नहीं है. कदनाई गांव के सभी 'मांझी' ने आपस में मिलकर लगभग 2 किलोमाटर की सड़क बना डाली.

सड़क बनाने के लिए यहां का हर एक व्यक्ति 'मांझी' बनने को तैयार हो गया और खुद फावड़ा, तगाड़ी और छेनी उठाकर सड़क बनाने के लिए निकल पड़े. यह गांव सालों से सड़क की बाट जोह रहा था.

amarjeet bhagat sarguja etvbharat
विधायक अमरजीत भगत

इस सड़क के बनते ही लोगों को न बारिश की मार झेलनी पड़ेगी और न ही नदी, नाले पार करने पड़ेंगे. साथ ही 60 किलोमीटर की जगह 20 किलोमीटर का ही सफर तय कर अंबिकापुर पहुंच जाएंगे.

पढ़ें क्या कह रहे 'मांझी'

  • उन्होनें ये कदम खुद क्यों उठाया. इस पर उनका जवाब था कि अंबिकापुर से गांव की दूरी 60 किलोमीटर है. साथ ही रास्ते में नदी नाले भी हैं, जो मुख्यालय से इन्हें अलग कर देते थे पर अब सड़क बनने पर उनकी डगर आसान हो जाएगी.
  • जब उनसे पूछा गया कि प्रशासन से मदद क्यों नहीं ली, तो उनका जवाब था 'कई बार वे मांग कर चुके हैं, यहां अधिकारी आ भी चुके हैं पर वे जनसंख्या कम होने का हवाला देकर सड़क नापकर चले गए.
  • गांव के सरंपच से इस संबंध में पूछा गया कि वे खुद सरपंच होकर प्रशासन से मदद दिलाने के बजाए खुद फावड़ा क्यों उठा लिए. इसके जवाब में उनका कहना है कि उनकी मांग पर कई बार अधिकारी-कर्मचारी मीटर लेकर आए, लेकिन अब तक सड़क नहीं बनी. लिहाजा वो भी ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़क बनाने में जुट गए हैं.

मंत्री अमरजीत ने नहीं किया गांव का दौरा

  • इस पूरे मामले में खाद्य मंत्री और स्थानीय विधायक अमरजीत भगत का जवाब हैरान कर देने वाला था. क्योंकि भगत इस क्षेत्र से 4 बार के विधायक रहे हैं पर पुल और सड़क नहीं होने से वे खुद कदनाई तक नहीं पहुंच पाते थे.
    amarjeet bhagat sarguja etvbharat
    विधायक अमरजीत भगत
  • मंत्रीजी के मुताबिक अब वो सरकार में हैं, और अगले बजट में वो इस गांव की तकदीर बदलने का दावा भी कर रहें है.

बहरहाल, अब ये देखना होगा कि ये दावा भी चुनावी वादों की तरह फुस्स न हो जाए और कदनई के लोगों की तरह ही विकास की मार झेल रहे हर गांव के लोगों को मांझी न बनना पड़े.

Intro:एंकर...देश मे माउंटेन मैन के नाम से चर्चित रहे दशरथ मांझी ने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबे 30 फुट चौड़े और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली थी.और 22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद गरीब मजदूर दशरथ 55 किमी की दूरी को 15 किलोमीटर कर दिया था. ऐसा ही सरगुजा मे एक गांव के लोग भी करते नजर आ रहें हैं. शासन की अनदेखी के शिकार गांव के लोग पहाड पर रास्ता बनाकर ब्लाक मुख्यालय पहुंचने की दूरी कम रहें हैं....

वीओ_01_दशरथ मांझी की कहानी शायद सबने सुनी होगी. ऐसी ही कहानी को दुहराने.. इन दिनो सरगुजा के कदनई गांव के लोग भी अथक मेहनत कर रहे हैं. मैनपाट ब्लाक की तराई मे बसे इस गांव के लोग मंत्री नेता कलेक्टर के दरवाजे चक्कर लगा लगा कर इतना परेशान हो गए हैं. कि अब ये लोग खुद श्रम करके अपने गांव से ब्लाक मुख्यालय की दूरी कम करने सडक बनाने मे जुट गए हैं.. दरअसल मैनपाट पहाड के नीचे बसे गांव के लोगो को वर्षो से ब्लाक मुख्यालय तक जाने के लिए करीब 60 किलोमीटर की दूरी तय करना पडता था. लेकिन पहाडी रास्ते से ये दूरी महज 20 किलोमीटर हो जाती है. लिहाजा गांव के लोग खुद से उस पहाड के सीने पर सडक बनाने को मजबूर है...

बाईट_01_ राम शंकर_स्थानीय नागरिक

बाईट_02_करनो_स्थानिय नागरिक

वीओ_02_सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले कदनई गांव का दुर्भाग्य है कि अपने ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए नवानगर होकर 60 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करना पडता है. तो पडोसी ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए उनके बिना पुल का पहाडी नाला पार करना पडता है. और अगर दिन बरसात के हो तो फिर उनके सामने हाथ मे हाथ धरे रहने के सिवाय कोई रास्ता नहीं होता. गांव के सरंपच से इस संबध मे पूछे जाने पर उन्होने बताया कि उनकी मांग पर कई बार अधिकारी कर्मचारी टेप मीटर लेकर आए.. लेकिन अब तक सडक नहीं बनी लिहाजा वो भी ग्रामीणो के साथ मिलकर सडक बनाने के काम मे भिडे हुए हैं..

बाईट_03_कमल साय_सरपंच_कदनई_मैनपाट_सरगुजा

वीओ_03_पिछले 15 साल से प्रदेश मे भाजपा की सरकार थी , तो पिछले 8 महीने से प्रदेश मे वही कांग्रेस की सरकार है. जो प्रदेश मे विकास ना होने का डंका बजाकर सत्ता तक पहुंची है.. लेकिन उसी कांग्रेस सरकार मे खाद्य मंत्री और स्थानिय विधायक अमरजीत भगत से जब इस गांव की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिती की दास्तां बयां की गई तो. उनका जो जवाब आया. वो आप को हैरान कर देगा. क्योकि मंत्री जी क्षेत्र से 4 बार विधायक भी रहे हैं. और जब वो उस क्षेत्र मे जाते हैं.. तो पुल सडक नहीं होने की वजह से वो खुद कदनई तक नहीं पहुंच पाते हैं..

बाईट_04_अमरजीत भगत_खाद्य मंत्री_छग शासन

वीओ_04_मंत्री जी जब आप खुद उस गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं. तो आप भला उनका दुख दर्द कैसे समझेंगे.. और अब तो आप मंत्री बन गए हैं. मीटिंग के सिलसिले मे भी शायद ही उस गांव तरफ जाना हो.. तो ऐसे मे गांव की सडक और पुल निर्माण के बारे मे सोचन भी जल्दबाजी होगा.. बहरहाल मंत्री जी के मुताबिक अब वो सरकार मे हैं. और अगले बजट मे वो इस गांव की ओर नजरें इनायत करने का दावा भी कर रहें है.. तो देखना है कि ये दावा भी चुनावी वादो की तरह ना हो जाए... कि कदनई के लोगो को भी पूरी तरह दशरथ मांझी बनना पड़े।Body:एंकर...देश मे माउंटेन मैन के नाम से चर्चित रहे दशरथ मांझी ने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबे 30 फुट चौड़े और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली थी.और 22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद गरीब मजदूर दशरथ 55 किमी की दूरी को 15 किलोमीटर कर दिया था. ऐसा ही सरगुजा मे एक गांव के लोग भी करते नजर आ रहें हैं. शासन की अनदेखी के शिकार गांव के लोग पहाड पर रास्ता बनाकर ब्लाक मुख्यालय पहुंचने की दूरी कम रहें हैं....

वीओ_01_दशरथ मांझी की कहानी शायद सबने सुनी होगी. ऐसी ही कहानी को दुहराने.. इन दिनो सरगुजा के कदनई गांव के लोग भी अथक मेहनत कर रहे हैं. मैनपाट ब्लाक की तराई मे बसे इस गांव के लोग मंत्री नेता कलेक्टर के दरवाजे चक्कर लगा लगा कर इतना परेशान हो गए हैं. कि अब ये लोग खुद श्रम करके अपने गांव से ब्लाक मुख्यालय की दूरी कम करने सडक बनाने मे जुट गए हैं.. दरअसल मैनपाट पहाड के नीचे बसे गांव के लोगो को वर्षो से ब्लाक मुख्यालय तक जाने के लिए करीब 60 किलोमीटर की दूरी तय करना पडता था. लेकिन पहाडी रास्ते से ये दूरी महज 20 किलोमीटर हो जाती है. लिहाजा गांव के लोग खुद से उस पहाड के सीने पर सडक बनाने को मजबूर है...

बाईट_01_ राम शंकर_स्थानीय नागरिक

बाईट_02_करनो_स्थानिय नागरिक

वीओ_02_सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले कदनई गांव का दुर्भाग्य है कि अपने ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए नवानगर होकर 60 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करना पडता है. तो पडोसी ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए उनके बिना पुल का पहाडी नाला पार करना पडता है. और अगर दिन बरसात के हो तो फिर उनके सामने हाथ मे हाथ धरे रहने के सिवाय कोई रास्ता नहीं होता. गांव के सरंपच से इस संबध मे पूछे जाने पर उन्होने बताया कि उनकी मांग पर कई बार अधिकारी कर्मचारी टेप मीटर लेकर आए.. लेकिन अब तक सडक नहीं बनी लिहाजा वो भी ग्रामीणो के साथ मिलकर सडक बनाने के काम मे भिडे हुए हैं..

बाईट_03_कमल साय_सरपंच_कदनई_मैनपाट_सरगुजा

वीओ_03_पिछले 15 साल से प्रदेश मे भाजपा की सरकार थी , तो पिछले 8 महीने से प्रदेश मे वही कांग्रेस की सरकार है. जो प्रदेश मे विकास ना होने का डंका बजाकर सत्ता तक पहुंची है.. लेकिन उसी कांग्रेस सरकार मे खाद्य मंत्री और स्थानिय विधायक अमरजीत भगत से जब इस गांव की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिती की दास्तां बयां की गई तो. उनका जो जवाब आया. वो आप को हैरान कर देगा. क्योकि मंत्री जी क्षेत्र से 4 बार विधायक भी रहे हैं. और जब वो उस क्षेत्र मे जाते हैं.. तो पुल सडक नहीं होने की वजह से वो खुद कदनई तक नहीं पहुंच पाते हैं..

बाईट_04_अमरजीत भगत_खाद्य मंत्री_छग शासन

वीओ_04_मंत्री जी जब आप खुद उस गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं. तो आप भला उनका दुख दर्द कैसे समझेंगे.. और अब तो आप मंत्री बन गए हैं. मीटिंग के सिलसिले मे भी शायद ही उस गांव तरफ जाना हो.. तो ऐसे मे गांव की सडक और पुल निर्माण के बारे मे सोचन भी जल्दबाजी होगा.. बहरहाल मंत्री जी के मुताबिक अब वो सरकार मे हैं. और अगले बजट मे वो इस गांव की ओर नजरें इनायत करने का दावा भी कर रहें है.. तो देखना है कि ये दावा भी चुनावी वादो की तरह ना हो जाए... कि कदनई के लोगो को भी पूरी तरह दशरथ मांझी बनना पड़े।Conclusion:बाईट 01~अमरजीत भगत
(सीतापुर विधायक व कैबिनेट मंत्री छत्तीसगढ़ शासन)

बाईट 02~सरपंच कदनई गाँव।

बाईट 03~स्थानीय ग्रामीण।

बाईट 04~स्थानीय नागरिक।

विजुअल 01~ब्लॉक मुख्यालय की दूरी कम करने के लिए पहाड़ काटकर सामुहिक रूप से श्रमदान करते हुए का दृश्य।

Report_Roshan Soni
Last Updated : Sep 28, 2019, 3:10 PM IST
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