नई दिल्ली: इसरो ने मंगलवार को देशवासियों से एक अहम जानकारी साझा की है. इसरो ने ट्वीट कर कहा कि लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.
इसरो के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी ट्वीट में कहा गया कि ऑर्बिटर ने पता लगा लिया है कि विक्रम लैंडर किस स्थान पर है. अभी भी लैंडर से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. लैंडर से संपर्क साधने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं.
बीते दिन ही इसरो चीफ के सिवन ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि चंद्रयान दो के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की तस्वीर खींची है. उन्होंने कहा था कि हम संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं. इससे जुड़ी जो भी जानकारी होगी वो लोगों से साझा की जाएगी. उन्होंने आगे ये भी कहा. 'अभी से कोई दावे करना ठीक नहीं होगा'.
इस महीने के सात सितंबर को ही लैंडर विक्रम चांद पर उतरने वाला था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग से कुछ ही क्षण पहले लैंडर से संपर्क टूट गया. चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ही लैंडर विक्रम का ग्राउड स्टेशन से संपर्ट टूट गया.
यदि भारत चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल होता तो वो ऐसा पहले करने वाले देशों की सूची में चौथा स्थान हासिल कर लेता. ऐसा करने वाले देशों में अब तक तीन देश शामिल हैं, जिनमें रूस, अमेरिका और चीन हैं.
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यदि ऐसा हो जाता तो भारत ये सफलता सबसे कम पैसे में हासिल करने वाला देश कहलाता. बीते 2 सितंबर को ही लैंडर आर्बिटर से अलग हो गया था. 22 जुलाई को धरती से चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की गई थी, जिसके बाद वह निर्धारित समय के अनुसार आगे बढ़ रहा था.
मिशन से जुड़े इसरो के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, 'ऑर्बिटर के कैमरे से भेजी गईं तस्वीरों के मुताबिक यह तय जगह के बेहद नजदीक एक 'हार्ड लैंडिंग' थी. लैंडर वहां साबुत है, उसके टुकड़े नहीं हुए हैं. वह झुकी हुई स्थिति में है.'
अधिकारी ने कहा, 'हम लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'यहां इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में एक टीम इस काम में जुटी है.'
'चंद्रयान-2' में एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं.
लैंडर और रोवर की मिशन अवधि एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर है.
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इसरो अध्यक्ष के सिवन ने शनिवार को कहा था कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क साधने की 14 दिन तक कोशिश करेगी. उन्होंने रविवार को लैंडर की तस्वीर मिलने के बाद यह बात एक बार फिर दोहराई.
अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा, 'जब तक (लैंडर में) सबकुछ सही नहीं होगा, यह (दोबारा संपर्क स्थापित करना) बहुत मुश्किल है. संभावनाएं कम हैं. अगर 'सॉफ्ट लैंडिंग' हुई हो और सभी प्रणालियां काम कर रही हों, तभी संपर्क स्थापित किया जा सकता है. फिलहाल उम्मीद कम है.'
इसरो के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लैंडर के फिर सक्रिय होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ सीमाएं हैं.
उन्होंने भूस्थिर कक्षा में संपर्क से बाहर हुए एक अंतरिक्ष यान से फिर संपर्क बहाल कर लेने के इसरो के अनुभव को याद करते हुए कहा कि 'विक्रम' के मामले में स्थिति भिन्न है. वह पहले ही चंद्रमा की सतह पर पड़ा है और उसकी दिशा फिर से नहीं बदली जा सकती.
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अधिकारी ने कहा कि एक महत्वपूर्ण पहलू एंटीना की स्थिति का है. इसकी दिशा या तो जमीनी स्टेशन की तरफ होनी चाहिए या फिर ऑर्बिटर की तरफ.
उन्होंने कहा, 'ऐसे अभियान बहुत कठिन होते हैं. साथ ही संभावनाएं भी हैं और हमें हाथ थामकर इंतजार करना चाहिए.'
अधिकारी ने कहा कि हालांकि, लैंडर का ऊर्जा उत्पन्न करना कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि इसमें चारों तरफ सौर पैनल लगे हैं. इसके भीतर बैटरियां भी लगी हैं जो बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुई हैं.
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'विक्रम' में तीन उपकरण-रेडियो एनाटमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फेयर एंड एटमस्फेयर (रम्भा), चंद्राज सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरीमेंट (चेस्ट) और इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी (इल्सा) लगे हैं.