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विकास दुबे एनकाउंटर : सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई जांच आयोग के पुनर्गठन की मांग - supreme court

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मंगलवा को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के पुनर्गठन की मांग की गई थी. विकास दुबे एनकाउंटर की जांच कमेटी के लिए यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस बी.एस. चौहान और पूर्व पुलिस महानिदेशक के.एल. गुप्ता का नाम दिया गया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था.

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विकास दुबे एनकाउंटर मामले की सुनवाई जारी
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Published : Jul 28, 2020, 2:02 PM IST

Updated : Jul 28, 2020, 2:30 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के पुनर्गठन की मांग करने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया.

अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय और अनूप अवस्थी ने ये याचिकाएं दायर की थीं, जिसमें डीजीपी केएल गुप्ता को हटाने की मांग की गई थी, जिसमें कथित तौर पर विकास दुबे और उनके सहयोगियों की हत्या को सही ठहराते हुए मीडिया को दिए गए उनके बयानों का हवाला दिया गया था.

ये दोनों याचिकाकर्ता पहले भी शीर्ष अदालत में चले गए थे और मामले की सीबीआई/एनआईए जांच की मांग करते हुए इसे एक योजनाबद्ध मुठभेड़ करार दिया था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आज याचिकाकर्ताओं के दावे पर पलटवार किया और कहा कि जांच अधिकारियों द्वारा कोई पूर्वाग्रह व्यक्त नहीं किया गया है और उन्होंने अपने बयानों में यह स्पष्ट कर दिया है कि जांच चल रही है और दोषियों को दंडित किया जाएगा.

सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वे सिर्फ याचिकाकर्ताओं की आशंका के कारण इस तरह एक व्यक्ति को नहीं बदल सकते क्योंकि वह केवल इसका एक हिस्सा देख रहे हैं. उन्होंने कहा, 'पैनल में एक सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, एक हाईकोर्ट के जज हैं. एक अधिकारी की वजह से जांच आयोग को खत्म नहीं किया जाएगा.'

गौरतलब है कि विकास दुबे एनकाउंटर की जांच कमेटी के लिए यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस बी.एस. चौहान और पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता का नाम दिया गया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था.

पढ़ें : विकास एनकाउंटर केस : केएल गुप्ता को जांच समिति से हटाने की मांग

उच्चतम न्यायालय ने कानपुर में अपराधियों के हमले में आठ पुलिसकर्मियों की मौत और इसके बाद विकास दुबे और उसके पांच कथित गुर्गों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायिक जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बी.एस. चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के गठन संबंधी मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी थी.

प्रधान न्यायाधीश बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यामयूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश तीन सदस्यीय जांच समिति की अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दी और कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाए.

पीठ ने कहा था कि इस जांच समिति को एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू कर देना चाहिए और दो महीने के अंदर इसे पूरी कर लेनी चाहिए.

न्यायमूर्ति चौहान की अध्यक्षता वाली इस जांच समिति में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और उप्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता शामिल हैं. पीठ ने कहा था कि यह समिति कानपुर के चौबेपुर थानांतर्गत बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने और इसके बाद हुयी मुठभेड़ की घटनाओं की जांच करेगी.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के पुनर्गठन की मांग करने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया.

अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय और अनूप अवस्थी ने ये याचिकाएं दायर की थीं, जिसमें डीजीपी केएल गुप्ता को हटाने की मांग की गई थी, जिसमें कथित तौर पर विकास दुबे और उनके सहयोगियों की हत्या को सही ठहराते हुए मीडिया को दिए गए उनके बयानों का हवाला दिया गया था.

ये दोनों याचिकाकर्ता पहले भी शीर्ष अदालत में चले गए थे और मामले की सीबीआई/एनआईए जांच की मांग करते हुए इसे एक योजनाबद्ध मुठभेड़ करार दिया था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आज याचिकाकर्ताओं के दावे पर पलटवार किया और कहा कि जांच अधिकारियों द्वारा कोई पूर्वाग्रह व्यक्त नहीं किया गया है और उन्होंने अपने बयानों में यह स्पष्ट कर दिया है कि जांच चल रही है और दोषियों को दंडित किया जाएगा.

सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वे सिर्फ याचिकाकर्ताओं की आशंका के कारण इस तरह एक व्यक्ति को नहीं बदल सकते क्योंकि वह केवल इसका एक हिस्सा देख रहे हैं. उन्होंने कहा, 'पैनल में एक सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, एक हाईकोर्ट के जज हैं. एक अधिकारी की वजह से जांच आयोग को खत्म नहीं किया जाएगा.'

गौरतलब है कि विकास दुबे एनकाउंटर की जांच कमेटी के लिए यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस बी.एस. चौहान और पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता का नाम दिया गया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था.

पढ़ें : विकास एनकाउंटर केस : केएल गुप्ता को जांच समिति से हटाने की मांग

उच्चतम न्यायालय ने कानपुर में अपराधियों के हमले में आठ पुलिसकर्मियों की मौत और इसके बाद विकास दुबे और उसके पांच कथित गुर्गों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायिक जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बी.एस. चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के गठन संबंधी मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी थी.

प्रधान न्यायाधीश बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यामयूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश तीन सदस्यीय जांच समिति की अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दी और कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाए.

पीठ ने कहा था कि इस जांच समिति को एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू कर देना चाहिए और दो महीने के अंदर इसे पूरी कर लेनी चाहिए.

न्यायमूर्ति चौहान की अध्यक्षता वाली इस जांच समिति में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और उप्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता शामिल हैं. पीठ ने कहा था कि यह समिति कानपुर के चौबेपुर थानांतर्गत बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने और इसके बाद हुयी मुठभेड़ की घटनाओं की जांच करेगी.

Last Updated : Jul 28, 2020, 2:30 PM IST
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