टिहरी : ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग-94 पर उत्तराखंड की सबसे हाईटेक टनल बन रही है. इस टनल की लंबाई 440 मीटर है. चंबा शहर के नीचे से गुजरने वाली इस सुरंग के बन जाने से टिहरी जिले के चंबा और उसके आस-पास के इलाकों को जाम से निजात मिलेगी. ऑल वेदर निर्माण के तहत बनाई जा रही इस टनल से चारधाम यात्रा में भी आसानी होगी.
टिहरी गढ़वाल के चंबा में बनाई जाने वाली इस टनल को ऑस्ट्रेलियाई तकनीक विधि से बनाया जा रहा है. बीती 26 मई को परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बीआरओ को इस टनल को खोलने की अनुमति दी. फिलहाल इस टनल से केवल बड़े वाहनों की ही आवाजाही करवाई जा रही है. अक्टूबर से इस टनल में यातायात पूरी तरह से शुरू हो जाएगा.
उत्तराखंड की ये हाईटेक टनल मंजयूड गांव और गोल्डी गांव के बीच बनाई जा रही है. यहां ऑस्ट्रेलियाई तकनीक विधि के तहत जमीन को खोदकर उसकी मिट्टी निकाली जाती है. जैसे-जैसे सुरंग बनेगी उसे ही कंक्रीट से मजबूत कर आगे बढ़ाया जाएगा. इस सुरंग में 10 फीट चौड़ा फुटपाथ भी है बनाया जाएगा. जिससे पैदल यात्री भी इसका लाभ ले सकेंगे.
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इस सुरंग का निर्माण कर रहे भारत कंपनी के इंचार्ज ने बताया कि यह उत्तराखंड के पहाड़ी मार्गों में बनने वाली सबसे पहली सुरंग है. इस सुरंग के बन जाने से ऋषिकेश से गंगोत्री-यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों को चंबा नहीं जाना पड़ेगा. वे सभी यात्री 440 मीटर लंबी इस सुरंग से होते हुए बिना समय गंवाए अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे.
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कंपनी के इंचार्ज ने बताया कि इस सुरंग को चंबा शहर के नीचे बनाया गया है. इससे चंबा शहर को कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने बताया ऑल वेदर रोड चौड़ीकरण में चंबा शहर की कई दुकानों और मकानों को नुकसान हो रहा था, जिसके कारण ऑल वेदर रोड के अधिकारियों ने मंजयूड गांव से गोल्डी गांव तक सुरंग बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा थ. जिसके स्वीकार होते ही तेज गति से काम करते हुए डेढ़ साल में इसका निर्माण कार्य पूरा किया.
टनल इंचार्ज पीएल भारद्वाज ने कहा कि 440 मीटर लंबी इस टनल को खोल दिया गया है. फिलहाल इस टनल पर बड़े वाहनों को ही आने-जाने की इजाजत दी गई है. अभी इसके अंदर कंक्रीट का काम बाकी है. उन्होंने कहा आने वाले 6 महीने या साल भर के भीतर इस इस टनल को पूरी तरह से आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2016 में ऑलवेदर रोड परियोजना की शुरुआत की थी. 11,700 करोड़ रुपये की इस परियोजना के जरिए चारों धामों को सड़क से जोड़ा जाना है.