हैदराबाद : कोरोना महामारी ने दुनिया के तमाम देशों को स्थिर कर दिया है और इसका सीधा असर विश्व के बाजार पर पड़ा है. अर्थव्यवस्था ढलान पर हैं. इन सब विषयों चर्चा करने के लिए यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष और सीईओ डॉक्टर मुकेश अघी ने वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से खास बातचीत की. उन्होंने सबसे पहले लॉकडाउन और भारत की अर्थव्यवस्था पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, भारत में लॉकडाउन काफी प्रभावी साबित हुआ है. लेकिन आजीविका को बचाने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का समय आ गया है. हमें इसे आसान बनाना होगा.
अमेरिका के न्यूयार्क शहर से भारत में पत्रकार स्मिता शर्मा से बातचीत करते हुए यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष मुकेश अघी ने ट्रम्प प्रशासन के लॉकडाउन कार्यान्वयन की घोर आलोचना की.
उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोरोना महामारी को लेकर जो लॉकडाउन की नीति रही है वह आलोचना के योग्य है. उन्होंने कोरोना के कारण अमेरिका में मारे गए लोगों की तुलना वियतनाम युद्ध से की. उन्होंने कहा कि वियतनाम युद्ध की तुलना में अमेरिका में कोरोना से अधिक मौतें हुईं.इस लॉकडाउन में भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने का जिक्र करते हुए मुकेश अघी ने आगे बताया कि, वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं तेजी से सिकुड़तीं जा रही है.
ऐसे में भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार की नीति पर कार्य करना होगा. उसे एक बड़ा राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा.उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने और वित्तीय कोष को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, ठीक उसी प्रकार से भारत को भी इस तरह के कदम उठाने होंगे.
स्मिता शर्मा से बातचीत में मुकेश अघी ने जीवन,जनसंख्या और आजीविका पर चर्चा की. हमारे देश में 1.3 बिलियन लोगों की तुलना में संख्या अधिक नहीं है.उन्होंने कहा कि प्रत्येक जीवन महत्वपूर्ण है. अब ऐसे समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एक देश इस स्थिति में कैसे आजीविका प्रदान कर रहा है. अमेरिका का हमारा अनुभव यह है कि कॉलोनी की अंतिम तिमाही में 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि प्रोत्साहन पैकेज में खरबों डॉलर है.जब आप भारत में प्रोत्साहन पैकेज को देखते हैं तो यह संख्या में काफी कम है.
जबकि यह अर्थव्यवस्था को गति देने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करता है. प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा नागरिकों, व्यवसाय समुदाय में विश्वास बनाए रखता है. इस दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) और छोटे खुदरा दुकान रखने वालों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा.
यदि वे डूबते हैं, तो अगले 6-12 महीने तक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना मुश्किल हो जाएगा.यह पूछे जाने पर कि भारत में लागू देशव्यापी लॉकडाउन की कितनी जरूरत है और यह कब तक जारी रहना चाहिए, डॉक्टर अघी ने कहा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन करके बड़ा शानदार काम किया है. नौकरशाही को आगे बढ़ाया.
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि देश के नागरिकों ने उनके इस संदेश को ठीक से सुना और उस पर अमल भी किया. यह बहुत प्रभावी रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं लेकिन अब इसमे सहजता लाना जरुरी है.आप नागरिकों और अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकते हैं. इससे आजीविका प्रभावित हो जाएगी. क्योंकि भारत 60 प्रतिशत खपत आधारित अर्थव्यवस्था है.
यदि आप उस खपत को रोक देते हैं तो अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी. इसलिए इस लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने होंगे. अमेरिका लॉकडाउन का जिक्र करते हुए अघी ने कहा कि जहां तक लॉकडाउन का सवाल है, अमेरिका का प्रदर्शन काफी खराब रहा है वह बहुत बेहतर काम कर सकता था.
कोरोना के कारण हमने युद्ध से भी बदतर हालात वर्तमान में देखें हैं. उन्होंने वियतनाम युद्ध में मारे गए लोगों की की तुलना कोरोना के कारण मारे गए अमेरिकी लोगों से की. उन्होंने बताया कि वियतनाम युद्ध में जितने लोग मरे थे, उससे कहीं ज्यादा कोरोना से लोग अमेरिका में मरे हैं.
अघि ने लॉकडाउन को लेकर अमेरिका के खराब प्रदर्शन पर उसे एफ ग्रेड कार्ड देने की बात कही.उन्होंने आशा व्यक्त की कि आवश्यक श्रेणी में अधिक से अधिक सामान प्राप्त करना एक सकारात्मक संकेत है और अगले दो-चार हफ्तों में भारत खुली हवा में सांस ले सकता है. उन्होंने लॉकाउन खुलने के संकेत दिए.
कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराए जाने वाले संवाल पर डॉक्टर अघी ने कहा कि अमेरिका में मिसौरी राज्य चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर मुकदमा कर रहा है. इसका साफ मतलब है कि वैश्विक समुदाय बीजिंग को जवाबदेह ठहराने की कोशिश करेगा.
लेकिन उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत को इस संकट का सकारात्मक रूप से उपयोग करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर कदम बढ़ाने के लिए एक साथ अपना कार्य करना चाहिए.भारत को अपनी नीति निर्माण में पारदर्शी और पूर्वानुमानित होना होगा. उसे न केवल बाजार तक पहुंच प्रदान करनी होगी, बल्कि एक स्तर का क्षेत्र भी प्रदान करना होगा.
जब वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीदा और खरीदा तो क्या हुआ? दो हफ्ते बाद उन्होंने पॉलिसी बदल दी.क्या हुआ जब आंध्र प्रदेश जहां सरकार बदल गई और उन्होंने सभी अनुबंधों को पूरी तरह से उलट दिया.अनुबंध की पवित्रता होनी चाहिए. कॉरपोरेट टैक्स को कम करने की दिशा में भारत ने बहुत अच्छा काम किया है, जो निर्माता टैक्स के नजरिए से कम दरों पर आते हैं.
लेकिन भारत को श्रम सुधारों, भूमि सुधारों को देखना होगा. यदि भारत वियतनाम, कंबोडिया और अन्य भौगोलिक क्षेत्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने जा रहा है, तो यह महत्वपूर्ण है कि उसे इस सब पर ध्यान देना होगा.
एलएंडटी इन्फोटेक और आईबीएम इंडिया के साथ शीर्ष पदों पर काम कर चुके डॉक्टर अघी ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि पिछले दो हफ्तों में अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ी है. जिसका मतलब है कि वर्तमान में आर्थिक बेरोजगारी में लगभग दस प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा व्यवसायों, उपभोक्ताओं का विश्वास चकनाचूर हो गया है. व्यवसाय बंद हैं, लोग वस्तुओं को स्थानांतरित करने में असमर्थ हैं क्योंकि स्टोर बंद हैं. उन सभी को पुनर्जीवित करने के लिए भरपूर कोशिशें जारी हैं. आप 2021 को पुनरुद्धार के एक वर्ष के रूप में नहीं देखेंगे. यह 2022 या उससे आगे तक जाएगा. इसलिए जब आप भारत को देखते हैं जो अर्थव्यवस्था को 4.5 प्रतिशत से आगे बढ़ाने के लिए पहले से ही संघर्ष कर रहा था.
लॉकडाउन से इस पर नाटकीय प्रभाव पड़ा है.ऐसे वक्त में सरकार से बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन पैकेज की आवश्यकता होगी. लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में एफडीआई लाना, जो निवेश कर सकता है और रोजगार पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए आपको अगले दस वर्षों में कम से कम 100 बिलियन अमरीकी डालर के निवेश का निर्माण करना होगा.
H1B वीजा धारकों पर आर्थिक मंदी के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, डॉ। अघी ने जवाब दिया कि मुद्दा महत्वपूर्ण है, लेकिन ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह चुनौती है.
H1B की समस्या बड़ा ही नाजुक होता है. यदि कोई अपनी नौकरी खो देता हैं तो उनके पास नई नौकरी खोजने के लिए 60 दिन का समय होता है अन्यथा उन्हें देश छोड़ना पड़ता है. यह भी एक समस्या है. आज यह संख्या उन एचवनबी वीजा धारकों की लगभग चौथाई मिलियन है.वर्तमान में 8 लाख ऐसे भारतीय हैं जो अपने ग्रीन कार्ड आने की प्रतीक्षा में हैं.
यह भी लॉकडाउन के चलते राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश द्वारा कम से कम 60 दिनों के लिए रोक दिया गया है. इसका और मध्य पूर्व में जो कुछ हो रहा है उसका प्रभाव भारत के रेमिटेंस पर भी पड़ेगा.
यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष ने कहा कि लॉकडाउन में तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए वरदान साबित हुआ है.
(स्मिता शर्मा-वरिष्ठ पत्रकार)