अमरावती : केवल कुछ यात्राएं किस तरह आपके जहन में बस जाती हैं. इस बात का एक उदाहरण उस समय देखने को मिला, जब अमेरिका से आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की यात्रा पर आई एक लड़की लैडा, यहां की संस्कृति में बस गई.
उसने आंध्र विश्वविद्यालय से न केवल अपनी उच्च शिक्षा को पूरा किया, बल्कि वह यहां की स्थानीय संस्कृति और परंपरा और जीवन शैली की खुशबू के साथ घुलमिल गई.
परिणामस्वरूप उसने एक दुर्लभ भारतीय मूर्तिकला में अपने कौशल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया और अब लैडा अन्य देशों को भारत की महानता के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रही है.
आमतौर पर युवा उच्च शिक्षा हासिल करके अच्छी नौकरी करने और अमेरिका जैसे देशों में बसने का सपना देखते हैं. हैरानी की बात है, इसके विपरीत एक अमेरिकी लड़की भारत में बसने के लिए अपनी उत्सुकता दिखा रही है.
विजाग की प्राकृतिक सुंदरता से आश्चर्यचकित होकर वह समुद्र के किनारे कुछ और समय के लिए रुकना चाहती है. लैडा ने विजाग में पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिला लिया और यहां संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानने के अलावा मूर्तिकला सीखना शुरू किया. वह अमेरिका के कोलंबिया से एक पर्यटक के रूप में यहां आईं और स्थानीय लोगों की समुद्री सुंदरता और जीवन शैली से आकर्षित हुईं.
प्राकृतिक सुंदरता वाले इस शहर में कम समय गुजारने के बावजूद लैडा में यहां की संस्कृति और जीवन शैली को जानने का शौक पैदा हो गया.
हालांकि, वह अमेरिका वापस चली गईं, लेकिन विजाग और इसकी सुंदरता की यादों ने उन्हें दोबारा शहर वापस आने के लिए मजबूर कर दिया.
लैडा ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने अपने दोस्तों की मदद से विदेशी छात्रों के कोटे के तहत फाइन आर्ट्स स्ट्रीम में आंध्र विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन की सीट हासिल की.
बाद में उसने प्रोफेसर रवि शंकर पटनायक से मूर्ति बनाने का कौशल सीखा और बेहद कम समय में उसने मूर्तिकला सीख ली, जिसके लिए उसको काफी सरहाना मिली.
इस कौशल के साथ वह अब भारतीय संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हुए अमेरिका में रेत की मूर्तियों की एक प्रदर्शनी लगाना चाहती है.
अमेरिका में पैदा हुई और पली-बढ़ी लैडा भारतीय संस्कृति और उसकी जीवनशैली की आदी हो गई हैं.
लैडा के टीचर रविशंकर का कहना है कि लैडा फाइन आर्ट में कामयाबी हासिल करना चाहती हैं, उन्होंने यह कला केवल प्रमाण पत्र के लिए नहीं सीखी.
रविशंकर ने कहा कि विश्वविद्यालय में कई विदेशी छात्र पढ़ते हैं, लेकिन लैडा ने जिस तरह रुचि दिखाई वह प्रशंसनीय है.
कोरोना महामारी के दौरान कई छात्र यूनिवर्सिटी छोड़ कर वापस चले गए, लेकिन लैडा कौशल सीखने के लिए यहां रहीं. विश्वलिद्यालय में मौजूद लैडा के दोस्त उसकी सरहाना कर रहे हैं.
लैडा का कहना है कि मैं इस बात की कोशिश करती रहूंगी कि अमेरिका के लोग इस कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति के बारे में जान सकें.