हैदराबाद : आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस या कोविड-19 की चपेट में है. इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) भविष्य में जूनोटिक (जानवरों से होने वाली बीमारियां) खतरे को कम करने और आने वाली महामारियों से निपटने के उपाय खोजने में जुटा हुआ है.
लोगों के साथ मिलकर पर्यावरण की रक्षा कर रहे यूएनईपी ने बताया कि कैसे वह कोविड-19 के जवाब में अपने काम को सहायक राष्ट्रों और साझेदारों के माध्यम से और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है. इस कार्य में मजबूत विज्ञान का सहारा लेकर धरती को वापस से अधिक हरे निवेश के साथ स्वस्थ ग्रह बनाने की कोशिश की जा रही है.
मुख्य रूप से यूएनईपी की इस प्रतिक्रिया में चार क्षेत्र शामिल हैं :
- कोविड-19 से जूझ रहे राष्ट्रों के कचरे का प्रबंधन करना.
- प्रकृति और लोगों के लिए परिवर्तनकारी परिवर्तन प्रदान करना.
- भविष्य में आने वाले संकटों के लिए आर्थिक सुधार पैकेज सुनिश्चित करना.
- वैश्विक पर्यावरण शासन को आधुनिक बनाना.
इस संबंध में यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन (Inger Andersen) ने कहा कि यह महामारी हमें मानवता को बदलने के लिए अपनी सबसे मजबूत चेतावनी देती है. सिर्फ अर्थ व्यव्सथा को बंद करना इसके लिए अल्पकालिक प्रतिक्रिया है.
उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ काम करने वाली अर्थव्यवस्थाएं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दुनिया के देश दोबारा ने पनपे.
कोविड-19 के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों को संबोधित करने के अपने प्रयासों में राष्ट्रों का समर्थन करने के लिए यूएनईपी बाकी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के साथ अपने काम का समन्वय करेगा.
उदाहरण के तौर पर...
- हानिकारक कचरे का निपटान करने के लिए निर्णय लेने वालों का समर्थन करना, जिससे कि मानव स्वास्थ्य या पर्यावरण को कोई ओर नुकसान न पहुंचे.
- प्रकृति-सकारात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से देशों की खतरों को कम करने की क्षमता में सुधार करने के लिए एक जूनोटिक जोखिम और प्रतिक्रिया कार्यक्रम.
- कोविड-19 संकट की जवाबी लड़ाई के रूप में प्रकृति में निवेश और स्थिरता के लिए विस्तारित अवसरों को बढ़ावा देना.
- पुनर्निर्माण, खपत और उत्पादन में तेजी लाने और एक नए ग्रीन जॉब बनाने के लिए वास्तविक अर्थव्यवस्था अभिनेताओं तक पहुंचना.
- बढ़ते पर्यावरण शासन की वर्चुअल तकनीक से समीक्षा करना.
एंडरसन ने कहा, 'मानव स्वास्थ्य, समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक संपन्न प्राकृतिक दुनिया आवश्यक है, यह बात यूएनईपी के लिए सबसे अहम है.'
उन्होंने कहा कि लेकिन अब यूएनईपी को देशों को और भी अधिक सहायता प्रदान करनी होगी क्योंकि अब वह बरबाद हुए पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण जैसी समस्याओं से भी निपट रहे हैं, जो भविष्य की महामारियों के जोखिमों को कम करता है.