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अगर हमारी चिंताओं का समाधान होता है, भारत RCEP देशों के साथ बातचीत को लेकर तैयार : गोयल

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Published : Nov 6, 2019, 12:02 AM IST

Updated : Nov 6, 2019, 9:18 PM IST

सरकार का निर्णय अंतिम है कि भारत चीन समर्थित वृहत व्यापार समझौता आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा. ये उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का कहना है. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो

नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया कि अगर आरसीईपी के सदस्य देश चिंताओं को दूर कर और घरेलू उद्योग के लिये बेहतर बाजार पहुंच के साथ अच्छी पेशकश लाते हैं तो भारत बातचीत के लिये तैयार है.

हालांकि उन्होंने कहा कि अभी सरकार का निर्णय अंतिम है कि भारत चीन समर्थित वृहत व्यापार समझौता, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होगा.

मीडिया से बातचीत करते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बैंकाक में कहा कि भारत आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत हमारे मसलों और चिंताओं को समाधान करने में विफल रही है. आरसीईपी में 16 सदस्य देश शामिल हैं. इसमें आसियान के 10 सदस्य देश तथा भारत समेत छह कारोबारी भागीदार हैं.

गोयल ने कहा, 'फिलहाल यह अंतिम निर्णय है. हम आरसीईपी से नहीं जुड़ रहे हैं. लेकिन अगर हमारी मांगें मानी जाती है, भारतीय उद्योग को वृद्धि के लिये और अवसर मिलते हैं, भारत के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना बाजार पहुंच बढ़ता है..तो मुझे लगता है कि हर सरकार बातचीत के लिये तैयार होगी.'

उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियों और संबंधों के रास्ते किसी के लिये भी कभी बंद नहीं होते..अगर वे हमारी चिंताओं को दूर करने के लिये ईमानदार प्रयास करते हैं, हमें भरोसा देते हैं और व्यापार असमानता को संतुलित करने में हमारी मदद करते हैं, तब मुझे लगता है कि किसी भी देश को अपने मित्रों से बातचीत करनी चाहिए. हम किसी के साथ कोई दुश्मनी करके नहीं बैठे हैं.'

भारत ने चीन जैसे देशों के साथ बढ़ते व्यापार घाटा, वस्तुओं के आयात में अचानक से वृद्धि या डंपिंग को रोकने के लिये प्रणाली, शुल्क में कटौती के लिये आधार वर्ष 2014 की जगह 2019 किये जाने जैसे मामलों को लेकर आरसीईपी में कड़ा रुख अपनाया है.

मंत्री ने कहा कि इन वार्ताओं से यह सबक मिली है कि किसी को समयसीमा के साथ जल्दबाजी में व्यापार समझौते को अंतिम रूप नहीं देना चाहिए जैसा कि 2010-11 में जापान, कोरिया और आसियान के साथ समझौते किये गये.

उन्होंने कहा, 'व्यापार वार्ताओं में पर्याप्त समय मिलना चाहिए ताकि लोगों और देश के हितों को सावधानीपूर्वक ध्यान रखा जाए.' यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने अंतिम मिनट में समझौते को तोड़ने वाला बना, गोयल ने कहा कि देश इन मसलों को 2014 से उठा रहा है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये अपने रुख पर कायम है.

मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों की समीक्षा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने अफसोस जताया कि कांग्रेस ने जापान, कोरिया, आसियान और मलेशिया के साथ ये समझौते जल्दबाजी में किये. इन समझौतों में भारत को उन उत्पादों के लिये बाजार पहुंच नहीं मिली जहां उसे प्रतिस्पर्धी लाभ था.

पढ़ें- RCEP करार में शामिल नहीं होगा भारत

प्रधानमंत्री द्वारा इन मुद्दों को उठाये जाने के बाद आसियान समीक्षा के लिये अब तैयार है. कोरिया भी तैयार है. हमने भी शुरू किया है. जापान भी इसके लिये तैयार है.'

मंत्री ने सरकार की आलोचना को लेकर कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वह मनमोहन सिंह सरकार थी जिसने भारत को आरसीईपी समूह में शामिल होने को लेकर चर्चा की शुरूआत की थी और इस बात की अनदेखी की थी कि सदस्य देशों के साथ उसका बड़ा व्यापार घाटा है.

आरसीईपी समूह के साथ व्यापार घाटा 2004 में 7 अबर डॉलर था जो 2014 में बढ़कर 78 अरब डॉलर पहुंच गया.

नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया कि अगर आरसीईपी के सदस्य देश चिंताओं को दूर कर और घरेलू उद्योग के लिये बेहतर बाजार पहुंच के साथ अच्छी पेशकश लाते हैं तो भारत बातचीत के लिये तैयार है.

हालांकि उन्होंने कहा कि अभी सरकार का निर्णय अंतिम है कि भारत चीन समर्थित वृहत व्यापार समझौता, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होगा.

मीडिया से बातचीत करते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बैंकाक में कहा कि भारत आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत हमारे मसलों और चिंताओं को समाधान करने में विफल रही है. आरसीईपी में 16 सदस्य देश शामिल हैं. इसमें आसियान के 10 सदस्य देश तथा भारत समेत छह कारोबारी भागीदार हैं.

गोयल ने कहा, 'फिलहाल यह अंतिम निर्णय है. हम आरसीईपी से नहीं जुड़ रहे हैं. लेकिन अगर हमारी मांगें मानी जाती है, भारतीय उद्योग को वृद्धि के लिये और अवसर मिलते हैं, भारत के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना बाजार पहुंच बढ़ता है..तो मुझे लगता है कि हर सरकार बातचीत के लिये तैयार होगी.'

उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियों और संबंधों के रास्ते किसी के लिये भी कभी बंद नहीं होते..अगर वे हमारी चिंताओं को दूर करने के लिये ईमानदार प्रयास करते हैं, हमें भरोसा देते हैं और व्यापार असमानता को संतुलित करने में हमारी मदद करते हैं, तब मुझे लगता है कि किसी भी देश को अपने मित्रों से बातचीत करनी चाहिए. हम किसी के साथ कोई दुश्मनी करके नहीं बैठे हैं.'

भारत ने चीन जैसे देशों के साथ बढ़ते व्यापार घाटा, वस्तुओं के आयात में अचानक से वृद्धि या डंपिंग को रोकने के लिये प्रणाली, शुल्क में कटौती के लिये आधार वर्ष 2014 की जगह 2019 किये जाने जैसे मामलों को लेकर आरसीईपी में कड़ा रुख अपनाया है.

मंत्री ने कहा कि इन वार्ताओं से यह सबक मिली है कि किसी को समयसीमा के साथ जल्दबाजी में व्यापार समझौते को अंतिम रूप नहीं देना चाहिए जैसा कि 2010-11 में जापान, कोरिया और आसियान के साथ समझौते किये गये.

उन्होंने कहा, 'व्यापार वार्ताओं में पर्याप्त समय मिलना चाहिए ताकि लोगों और देश के हितों को सावधानीपूर्वक ध्यान रखा जाए.' यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने अंतिम मिनट में समझौते को तोड़ने वाला बना, गोयल ने कहा कि देश इन मसलों को 2014 से उठा रहा है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये अपने रुख पर कायम है.

मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों की समीक्षा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने अफसोस जताया कि कांग्रेस ने जापान, कोरिया, आसियान और मलेशिया के साथ ये समझौते जल्दबाजी में किये. इन समझौतों में भारत को उन उत्पादों के लिये बाजार पहुंच नहीं मिली जहां उसे प्रतिस्पर्धी लाभ था.

पढ़ें- RCEP करार में शामिल नहीं होगा भारत

प्रधानमंत्री द्वारा इन मुद्दों को उठाये जाने के बाद आसियान समीक्षा के लिये अब तैयार है. कोरिया भी तैयार है. हमने भी शुरू किया है. जापान भी इसके लिये तैयार है.'

मंत्री ने सरकार की आलोचना को लेकर कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वह मनमोहन सिंह सरकार थी जिसने भारत को आरसीईपी समूह में शामिल होने को लेकर चर्चा की शुरूआत की थी और इस बात की अनदेखी की थी कि सदस्य देशों के साथ उसका बड़ा व्यापार घाटा है.

आरसीईपी समूह के साथ व्यापार घाटा 2004 में 7 अबर डॉलर था जो 2014 में बढ़कर 78 अरब डॉलर पहुंच गया.

Intro:New Delhi: Speaking to media for the first time since his government's decision to keep India out of the RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) amid much clamour at home, Union Commerce Minister Piyush Goyal hailed PM Modi's decisive leadership and accused Congress of selective amnesia.


Body:Giving point by point rebuttal to grand old party's attacks against the mega trade deal, Piyush Goyal reminded Congress that it was during their tenure when India decided to be part of the RCEP.

Union Commerce Minister didn't stop only on this. He blamed Congress for signing Free Trade Agreements with many ASEAN countries in a rush. He claimed that due to those unfair trade deals, India's trade deficit with ASEAN nations have surged to 1100% (from $7 bn to $78 bn during the period of 2004 to 2014).

Lauding PM Modi's leadership, Piyush Goyal said, 'India took a historic decision that it can't join RCEP in its current format. PM was adamant that until India's concerns will not addressed, country will not join the RCEP.'

Pointing towards the existing trade deficit with ASEAN, China and other countries who were part of the mega trade deal, Goyal stressed that India negotiated strongly without compromising on its core issues. He claimed that 50 out of 70 concerns were raised by India.


Conclusion:For the first time it has been made public that India insisted on keeping agriculture and dairy sectors which feared an existential threat, out of the Regional Economic Comprehensive Partnership.

On Monday, under the banner of All India Kisan Sangarsh Coordination Committee many farmers' union body staged protest at nearly 500 places across India against the RCEP.

They alleged that government kept the deal very secretive and didn't talk to any of the stakeholders. They even accused government of working for the corporates and sidelining the interest of the agrarian industry. They sought complete boycott of the deal.

Meanwhile, Piyush Goyal didn't negate possibility of India joining the mega trade deal. He said if other 15 countries address to India's concerns then India will decide to whether to join RCEP or not after holding consultations with concerned stakeholders.

On the question of whether India's decision to opt out will work negatively for the country, the Union Commerce Minister said, 'In the last five years, we have negotiated for the benefit of the Indian industries. India stood its ground that's why negotiations couldn't get concluded. India didn't got out of the pact in an acrimonious manner. Other countries also understand our reasons.'

However, 10 ASEAN countries along with China, Japan, South Korea, New Zealand and Australia have gone ahead with the deal. It is expected that India might sign the RCEP deal in February 2020.
Last Updated : Nov 6, 2019, 9:18 PM IST
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