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विश्व बाल दिवस पर नीली रोशनी से जगमगाए संसद और राष्ट्रपति भवन

विश्व बाल दिवस पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद भवन और कुतुब मीनार पर नीली रोशनी की. ऐसा बाल अधिकारों के प्रति एकजुटता को दिखाने के लिए किया गया.

राष्ट्रपति भवन
संसद भवन
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Published : Nov 20, 2020, 10:13 PM IST

नई दिल्ली : विश्व बाल दिवस पर बाल अधिकारों के प्रति एकजुटता को दिखाने के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और कुतुब मीनार पर नीली रोशनी की.

यह दिन कोविड-19 के प्रभाव और बच्चों के जीवन पर जलवायु परिवर्तन के लिए भी समर्पित था. यूनिसेफ के अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि विश्व बाल दिवस (डब्ल्यूसीडी) 20 नवंबर, 1989 को बाल अधिकारों पर अधिवेशन को अपनाने के लिए बच्चों के लिए कार्रवाई का एक वैश्विक दिवस है.

अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 की वजह से बच्चों के जीवन पर भी संकट है. बच्चों को महामारी की कीमत चुकानी पड़ रही है. वे मास्क पहन रहे हैं, शीरीरिक दूरी भी बनाकर रख रहे हैं.

जलवायु संसद का आयोजन
यूनिसेफ ने सांसदों के ग्रुप ऑफ चिल्ड्रन (पीजीसी) के साथ साझेदारी में शुक्रवार को बच्चों के साथ एक जलवायु संसद का आयोजन भी किया. कार्यक्रम में 30 से अधिक सांसद मौजूद थे, जहां उन्होंने बच्चों के अधिकारों और जलवायु अनुकूलन योजनाओं को एकीकृत करने में समर्थन के लिए प्रतिबद्धता पत्र पर हस्ताक्षर किए.

यूनिसेफ ने ग्रैमी अवॉर्ड विजेता संगीतकार, संगीत निर्माता और पर्यावरणविद् रिकी केजैंड और अन्य के साथ बच्चों के लिए पर्यावरण के बारे में गीतों के साथ एक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया.

वेव-2 नाम से सर्वेक्षण
अधिकारियाें ने बताया कि यूनिसेफ ने वेव-2 नाम से एक सर्वेक्षण किया है, जो अगस्त से सितंबर के दौरान हाशिए पर रहने वाली आबादी पर कोविड महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर आधारित निगरानी तंत्र है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 12 जिलों में वेव-2 का मूल्यांकन किया गया.

पढ़ें- कोविड-19 का बच्चों और युवाओं पर अधिक प्रभाव पड़ा : यूनिसेफ

परिणाम बताते हैं कि अध्ययन के तहत परिवारों की आर्थिक स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. वेव-1 जून जून-जुलाई के परिणामों की तुलना में चयनित सरकारी सेवाओं में सुधार हुआ है.

नई दिल्ली : विश्व बाल दिवस पर बाल अधिकारों के प्रति एकजुटता को दिखाने के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और कुतुब मीनार पर नीली रोशनी की.

यह दिन कोविड-19 के प्रभाव और बच्चों के जीवन पर जलवायु परिवर्तन के लिए भी समर्पित था. यूनिसेफ के अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि विश्व बाल दिवस (डब्ल्यूसीडी) 20 नवंबर, 1989 को बाल अधिकारों पर अधिवेशन को अपनाने के लिए बच्चों के लिए कार्रवाई का एक वैश्विक दिवस है.

अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 की वजह से बच्चों के जीवन पर भी संकट है. बच्चों को महामारी की कीमत चुकानी पड़ रही है. वे मास्क पहन रहे हैं, शीरीरिक दूरी भी बनाकर रख रहे हैं.

जलवायु संसद का आयोजन
यूनिसेफ ने सांसदों के ग्रुप ऑफ चिल्ड्रन (पीजीसी) के साथ साझेदारी में शुक्रवार को बच्चों के साथ एक जलवायु संसद का आयोजन भी किया. कार्यक्रम में 30 से अधिक सांसद मौजूद थे, जहां उन्होंने बच्चों के अधिकारों और जलवायु अनुकूलन योजनाओं को एकीकृत करने में समर्थन के लिए प्रतिबद्धता पत्र पर हस्ताक्षर किए.

यूनिसेफ ने ग्रैमी अवॉर्ड विजेता संगीतकार, संगीत निर्माता और पर्यावरणविद् रिकी केजैंड और अन्य के साथ बच्चों के लिए पर्यावरण के बारे में गीतों के साथ एक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया.

वेव-2 नाम से सर्वेक्षण
अधिकारियाें ने बताया कि यूनिसेफ ने वेव-2 नाम से एक सर्वेक्षण किया है, जो अगस्त से सितंबर के दौरान हाशिए पर रहने वाली आबादी पर कोविड महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर आधारित निगरानी तंत्र है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 12 जिलों में वेव-2 का मूल्यांकन किया गया.

पढ़ें- कोविड-19 का बच्चों और युवाओं पर अधिक प्रभाव पड़ा : यूनिसेफ

परिणाम बताते हैं कि अध्ययन के तहत परिवारों की आर्थिक स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. वेव-1 जून जून-जुलाई के परिणामों की तुलना में चयनित सरकारी सेवाओं में सुधार हुआ है.

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