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छत्तीसगढ़: लॉकडाउन के कारण इस साल हुआ भूगर्भीय जलस्तर में इजाफा

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Published : Jun 10, 2020, 7:39 PM IST

आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है. इस साल लॉकडाउन के कारण भीषण गर्मी में भी राज्य में कहीं भी जलस्तर कम नहीं हुआ. आम तौर पर इस मौसम में ज्यादातर हैंडपंप सूख जाते थे.

world underground water level day
जलस्तर की कमी नहीं

रायपुर : 'जल ही जीवन है' यह महज एक नारा नहीं, बल्कि जीवन का सार और आधार दोनों है. इसे बचपन से हमने किताबों में भी पढ़ा और इसे जन-जन तक पहुंचाया भी गया, लेकिन लोग जल के प्रति लापरवाही बरतते रहे. शहरों में कंक्रीट के जंगल खड़े होते रहे और भूगर्भ जल को संचित रखने के प्रयास कम से कम होते गए.

भूगर्भीय जलस्तर में इजाफा
छत्तीसगढ़ के कोरबा की पहचान ऊर्जाधानी के तौर पर है. बड़े-बड़े पॉवर प्लांट हों या फिर छोटी औद्योगिक इकाइयां, इन्हें चलाने के लिए पानी की जरूरत होती है. बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों को हसदेव नदी से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन ऐसी औद्योगिक ईकाइयों की जिले में कोई कमी नहीं है, जो भूगर्भ जल से अपनी जरूरतों को पूरा करती हों. लॉकडाउन के दौरान उद्योग और कारखाने पूरी तरह से बंद रहे. इसका फायदा यह हुआ कि इस साल भूगर्भ जल के स्तर में इजाफा देखने को मिला है.

जलस्तर की कमी नहीं
जलस्तर की कमी नहीं

जिले के हैंडपंप में पानी का जलस्तर

विकासखंडजलस्तर (मीटर में)हैंडपंप की संख्या
कोरबा16 से 192527
करतला14 से 182225
कटघोरा15 से 191767
पाली15 से 193663
पोड़ी उपरोड़ा16 से 223790

गर्मी के दिनों में पानी की होती थी किल्लत
भीषण गर्मी में भी जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक भी हैंडपंप ऐसा नहीं है, जो जलस्तर कम होने से सूखा हो. इससे पहले हर साल गर्मी के दिनों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) ऐसे हैंडपंप की मरम्मत करने में हमेशा परेशान रहता था, जो गर्मी के शुरू होते ही सूख जाते थे. इसका एकमात्र कारण भूगर्भ जलस्तर का नीचे चला जाना होता था, लेकिन इस साल जिले में ऐसी परिस्थितियां बनी ही नहीं.

आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है और इस साल भले मजबूरी में ही सही हमने प्रकृति को वह तोहफा दिया है, जिसकी उम्मीद शायद प्रकृति ने इंसानों से कभी नहीं की होगी. लेकिन जरूरत है जल को संरक्षित रखने की, इस मुहिम को मजबूरी नहीं बल्कि आदत बनाने की. इसके प्रति गंभीर होने की.

लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम
पिछले तीन महीने में लॉकडाउन की पाबंदियों से जहां एक ओर लोग परेशान रहे, तो वहीं पर्यावरण पर इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं.

लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में बदलाव
जानकार यह भी कहते हैं कि इस साल गर्मी के मौसम में भी नियमित अंतराल पर लगातार बारिश होती रही है, जिससे भूगर्भ जलस्तर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है. बल्कि इसमें वृद्धि ही दर्ज की गई है. गर्मी के दिनों में हैंडपंप में पानी का जलस्तर कम नहीं होने से PHE के अधिकारी जहां राहत महसूस कर रहे हैं, तो वहीं आम लोग भी पानी की समस्या से निजात मिलने से खुश हैं.

पढ़ें-टिड्डी दल पहुंचा नागपुर, ड्रोन से किया गया कीटनाशकों का छिड़काव

रायपुर : 'जल ही जीवन है' यह महज एक नारा नहीं, बल्कि जीवन का सार और आधार दोनों है. इसे बचपन से हमने किताबों में भी पढ़ा और इसे जन-जन तक पहुंचाया भी गया, लेकिन लोग जल के प्रति लापरवाही बरतते रहे. शहरों में कंक्रीट के जंगल खड़े होते रहे और भूगर्भ जल को संचित रखने के प्रयास कम से कम होते गए.

भूगर्भीय जलस्तर में इजाफा
छत्तीसगढ़ के कोरबा की पहचान ऊर्जाधानी के तौर पर है. बड़े-बड़े पॉवर प्लांट हों या फिर छोटी औद्योगिक इकाइयां, इन्हें चलाने के लिए पानी की जरूरत होती है. बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों को हसदेव नदी से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन ऐसी औद्योगिक ईकाइयों की जिले में कोई कमी नहीं है, जो भूगर्भ जल से अपनी जरूरतों को पूरा करती हों. लॉकडाउन के दौरान उद्योग और कारखाने पूरी तरह से बंद रहे. इसका फायदा यह हुआ कि इस साल भूगर्भ जल के स्तर में इजाफा देखने को मिला है.

जलस्तर की कमी नहीं
जलस्तर की कमी नहीं

जिले के हैंडपंप में पानी का जलस्तर

विकासखंडजलस्तर (मीटर में)हैंडपंप की संख्या
कोरबा16 से 192527
करतला14 से 182225
कटघोरा15 से 191767
पाली15 से 193663
पोड़ी उपरोड़ा16 से 223790

गर्मी के दिनों में पानी की होती थी किल्लत
भीषण गर्मी में भी जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक भी हैंडपंप ऐसा नहीं है, जो जलस्तर कम होने से सूखा हो. इससे पहले हर साल गर्मी के दिनों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) ऐसे हैंडपंप की मरम्मत करने में हमेशा परेशान रहता था, जो गर्मी के शुरू होते ही सूख जाते थे. इसका एकमात्र कारण भूगर्भ जलस्तर का नीचे चला जाना होता था, लेकिन इस साल जिले में ऐसी परिस्थितियां बनी ही नहीं.

आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है और इस साल भले मजबूरी में ही सही हमने प्रकृति को वह तोहफा दिया है, जिसकी उम्मीद शायद प्रकृति ने इंसानों से कभी नहीं की होगी. लेकिन जरूरत है जल को संरक्षित रखने की, इस मुहिम को मजबूरी नहीं बल्कि आदत बनाने की. इसके प्रति गंभीर होने की.

लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम
पिछले तीन महीने में लॉकडाउन की पाबंदियों से जहां एक ओर लोग परेशान रहे, तो वहीं पर्यावरण पर इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं.

लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में बदलाव
जानकार यह भी कहते हैं कि इस साल गर्मी के मौसम में भी नियमित अंतराल पर लगातार बारिश होती रही है, जिससे भूगर्भ जलस्तर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है. बल्कि इसमें वृद्धि ही दर्ज की गई है. गर्मी के दिनों में हैंडपंप में पानी का जलस्तर कम नहीं होने से PHE के अधिकारी जहां राहत महसूस कर रहे हैं, तो वहीं आम लोग भी पानी की समस्या से निजात मिलने से खुश हैं.

पढ़ें-टिड्डी दल पहुंचा नागपुर, ड्रोन से किया गया कीटनाशकों का छिड़काव

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