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कौन थे सर माउंट एवरेस्ट, जानें पूरी कहानी

सर जॉर्ज एवरेस्ट वेल्स सर्वेक्षक थे. इसके साथ ही वह 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे. सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम पड़ा है.

आज है सर जॉर्ज एवरेस्ट की जयंती, मसूरी में रहकर की थी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की खोज.
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Published : Jul 4, 2019, 2:13 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 2:34 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में स्थित मसूरी की शांत वाद‌ियों में एक खास घर बना हुआ है. यह वह घर है जहां वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोट‌ियों की खोज हुई और उन्हें मानच‌ित्र पर उकेरा गया. मसूरी में ही ब्रिटिश काल के महान सर्वेयर सर जोर्ज एवरेस्ट ने माउंट एवरेस्ट की खोज कर उसे मानचित्र में उकेरा था और आज भी इसके यादें मसूरी में ताजा हैं. वहीं भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट की आज 229वीं जयंती है.

देखें वीडियो.

उल्लेखनीय है कि जॉर्ज एवरेस्ट ने मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट हाउस में रहकर आसपास के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था. जिनके जन्मदिन को पिछले कई सालों से उत्तराखंड पर्यटन विभाग धूमधाम से मनाता आया है. लेकिन, इस बार जॉर्ज एवरेस्ट हाउस की दुर्दशा और जॉर्ज एवरेस्ट जाने के लिए हाथीपाव से सड़क की स्थिति बदहाल होने के कारण जन्मदिन नहीं मनाया जा रहा है.

पहाड़ों की रानी मसूरी की हसीन वादियों में सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर अपने अतीत को समेटे हुए है. जहां से सर जॉर्ज एवरेस्ट की कई यादें जुड़ी हुई हैं. कॉनेल सर जॉर्ज एवरेस्ट वेल्स सर्वेक्षक और भौगोलिक थे . इसके साथ ही वह 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे. माउंट एवरेस्ट का नाम सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम भी सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही पड़ा है. रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने 1848 में उनका यह सम्मान उनके सर्वे में योगदान के लिए दिया था. यह सर्वेक्षण 1806 में विलियम लैंब्टन द्वारा शुरू किया और यह कई दशकों तक चलता गया.

पढ़ें: अमरनाथ यात्रा: ऊंचाई की वजह से कुछ श्रद्धालुओं को आई दिक्कत, ITBP के जवानों ने की मदद

एवरेस्ट की खोज करने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड में स्थित है जो गांधी चौक से लगभग 6 किमी दूर है. सर जॉर्ज का घर और प्रयोगशाला 1832 में बनाया गया था. उनका आशियाना ऐसी जगह पर बना है जहां से दून घाटी, अलगाड़ नदी और हिमालय का नैसर्गिक सौन्दर्य दिखाई देता है. बता दें कि सर जॉर्ज एवरेस्ट के पास ग्रेट ट्रिगोनोमेट्रिकल सर्वे के सुपरिंटेंडेंट का भी दायित्व था, जिसे उन्होंने जिस एक्यूरेसी के साथ अंजाम दिया, आज भी उसकी मिसाल दी जाती है. वहीं सर जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देखरेख में है.

अब यह जगह पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है. जहां सैलानी प्राकृतिक सौन्दर्य का लुत्फ उठाते दिखाई देते हैं. लेकिन विडंबना देखिए कई लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं हैं. सरकार को आज जरूरत है तो इस ऐतिहासिक इमारत को संजोने की, जिससे देश-विदेश के सैलानी भी जॉर्ज एवरेस्ट के इस घर से रूबरू हो सकें. साथ ही क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकें.

देहरादून: उत्तराखंड में स्थित मसूरी की शांत वाद‌ियों में एक खास घर बना हुआ है. यह वह घर है जहां वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोट‌ियों की खोज हुई और उन्हें मानच‌ित्र पर उकेरा गया. मसूरी में ही ब्रिटिश काल के महान सर्वेयर सर जोर्ज एवरेस्ट ने माउंट एवरेस्ट की खोज कर उसे मानचित्र में उकेरा था और आज भी इसके यादें मसूरी में ताजा हैं. वहीं भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट की आज 229वीं जयंती है.

देखें वीडियो.

उल्लेखनीय है कि जॉर्ज एवरेस्ट ने मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट हाउस में रहकर आसपास के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था. जिनके जन्मदिन को पिछले कई सालों से उत्तराखंड पर्यटन विभाग धूमधाम से मनाता आया है. लेकिन, इस बार जॉर्ज एवरेस्ट हाउस की दुर्दशा और जॉर्ज एवरेस्ट जाने के लिए हाथीपाव से सड़क की स्थिति बदहाल होने के कारण जन्मदिन नहीं मनाया जा रहा है.

पहाड़ों की रानी मसूरी की हसीन वादियों में सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर अपने अतीत को समेटे हुए है. जहां से सर जॉर्ज एवरेस्ट की कई यादें जुड़ी हुई हैं. कॉनेल सर जॉर्ज एवरेस्ट वेल्स सर्वेक्षक और भौगोलिक थे . इसके साथ ही वह 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे. माउंट एवरेस्ट का नाम सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम भी सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही पड़ा है. रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने 1848 में उनका यह सम्मान उनके सर्वे में योगदान के लिए दिया था. यह सर्वेक्षण 1806 में विलियम लैंब्टन द्वारा शुरू किया और यह कई दशकों तक चलता गया.

पढ़ें: अमरनाथ यात्रा: ऊंचाई की वजह से कुछ श्रद्धालुओं को आई दिक्कत, ITBP के जवानों ने की मदद

एवरेस्ट की खोज करने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड में स्थित है जो गांधी चौक से लगभग 6 किमी दूर है. सर जॉर्ज का घर और प्रयोगशाला 1832 में बनाया गया था. उनका आशियाना ऐसी जगह पर बना है जहां से दून घाटी, अलगाड़ नदी और हिमालय का नैसर्गिक सौन्दर्य दिखाई देता है. बता दें कि सर जॉर्ज एवरेस्ट के पास ग्रेट ट्रिगोनोमेट्रिकल सर्वे के सुपरिंटेंडेंट का भी दायित्व था, जिसे उन्होंने जिस एक्यूरेसी के साथ अंजाम दिया, आज भी उसकी मिसाल दी जाती है. वहीं सर जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देखरेख में है.

अब यह जगह पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है. जहां सैलानी प्राकृतिक सौन्दर्य का लुत्फ उठाते दिखाई देते हैं. लेकिन विडंबना देखिए कई लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं हैं. सरकार को आज जरूरत है तो इस ऐतिहासिक इमारत को संजोने की, जिससे देश-विदेश के सैलानी भी जॉर्ज एवरेस्ट के इस घर से रूबरू हो सकें. साथ ही क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकें.

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पहाड़ों की रानी में है एवरेस्ट को नाम देने वाले सख्सियत का आशियाना

sir george everest house in mussoorie



देहरादून:  मसूरी की शांत वाद‌ियों के बीच स्थ‌ित यह घर कोई आम घर नहीं है . यह वह घर है जहां वर्ष 1832 से 1843 के बीच  भारत की कई ऊंची चोट‌ियों की खोज हुई और उन्हें मानच‌ित्र पर उकेरा गया.  मसूरी में ही ब्रिटिश काल के महान सर्वेयर सर जोर्ज एवरेस्ट ने माउंट एवरेस्ट की खोज कर उसे मानचित्र में उकेरा था और आज भी इसके यादें मसूरी में ताजा हैं.

कॉनेल सर जॉर्ज एवरेस्ट वेल्स सर्वेक्षक और भौगोलिक थे . इसके साथ ही वह 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे. सर जॉर्ज के नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम भी सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही पड़ा है. रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने 1848 में उनका यह सम्मान उनके सर्वे में योगदान के लिए किया था.  यह सर्वेक्षण 1806 में विलियम लैंब्टन द्वारा शुरू किया और यह कई दशकों तक चला गया था.

एवरेस्ट की खोज करने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड में स्थित है जो गांधी चौक से लगभग 6 किमी दूर है.  सर जॉर्ज का घर और प्रयोगशाला 1832 में बनाया गया था.  उनका घर ऐसी जगह बना है जहां से  दून घाटी, अलगाड़ नदी और बर्फ से ढके हिमालय का सुंदर दृश्य दिखाई देता है. बता दें कि सर जॉर्ज एवरेस्ट के पास ग्रेट ट्रिगोनोमेट्रिकल  सर्वे के सुपरिंटेंडेंट का भी दायित्व था, जिसे उन्होंने जिस एक्यूरेसी के साथ अंजाम दिया, आज भी उसकी मिसाल दी जाती है. 

अब यह जगह पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है. पर्यटक यहां घूमने के मकसद से आते हैं. इस जगह को रेस्टोरेंट की तरह बना दिया गया है. एक मस्ती भरे पिकनिक स्पॉट के रूप में सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस पर्यटकों को भले ही न लुभाए, लेकिन वहां का वातावरण अक्सर लोगों को खुशी और शांति का अहसास कराता है. वहीं सर जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देखरेख में है.

 


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Last Updated : Jul 4, 2019, 2:34 PM IST
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