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मराठा आरक्षण : ठाकरे बोले- पता करेंगे क्या वकीलों ने उच्चतम न्यायालय को गुमराह किया - विधानपरिषद सदस्य विनायक मेटे

मराठा समुदाय के कुछ उम्मीदवारों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून, 2018 के तहत सरकारी नौकरी दी गई थी लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह सरकार की ओर से नियुक्त अधिवक्ताओं द्वारा मराठा आरक्षण मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह करने के आरोपों को देखेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

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मराठा आरक्षण: पता करेंगे क्या वकीलों ने उच्चतम न्यायालय को गुमराह किया
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Published : Mar 14, 2020, 11:12 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह सरकार की ओर से नियुक्त अधिवक्ताओं द्वारा मराठा आरक्षण मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह करने के आरोपों को देखेंगे.

मराठा समुदाय के कुछ उम्मीदवारों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून, 2018 के तहत सरकारी नौकरी दी गई थी लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून, 2018 मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया था.

पढ़ें : अयोध्या में उद्धव बोले- भाजपा से अलग हुए, हिन्दुत्व से नहीं; मंदिर के लिए दिए एक करोड़

भाजपा के विधानपरिषद सदस्य विनायक मेटे ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि राज्य द्वारा नियुक्त वकीलों ने मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को गलत सूचना दी.

ठाकरे ने कहा, 'मैं इसे देखूंगा कि क्या किसी अधिकारी या अधिवक्ता ने अदालत को गुमराह किया है. राज्य सरकार कानून एवं न्याय विभाग के अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के साथ मशविरा कर रही है. राज्य इस मुद्दे को और जटिल नहीं बनाना चाहता.'

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह सरकार की ओर से नियुक्त अधिवक्ताओं द्वारा मराठा आरक्षण मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को गुमराह करने के आरोपों को देखेंगे.

मराठा समुदाय के कुछ उम्मीदवारों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून, 2018 के तहत सरकारी नौकरी दी गई थी लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून, 2018 मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया था.

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भाजपा के विधानपरिषद सदस्य विनायक मेटे ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि राज्य द्वारा नियुक्त वकीलों ने मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को गलत सूचना दी.

ठाकरे ने कहा, 'मैं इसे देखूंगा कि क्या किसी अधिकारी या अधिवक्ता ने अदालत को गुमराह किया है. राज्य सरकार कानून एवं न्याय विभाग के अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के साथ मशविरा कर रही है. राज्य इस मुद्दे को और जटिल नहीं बनाना चाहता.'

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