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JKLF करता है उग्रवाद का समर्थन, सरकार के पास पर्याप्त सबूत : UAPA ट्रिब्यूनल

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Published : Sep 26, 2019, 7:54 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 5:37 PM IST

गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) ट्रिब्यूनल ने JKLF पर केंद्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सही ठहराया है. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि केंद्र सरकार के पास 'JKLF' को गैरकानूनी संगठन घोषित करने और कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. जानें पूरा मामला

यासीन मलिक ( फाइल फोटो)

नई दिल्ली: गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ट्रिब्यूनल (UAPA ट्रिब्यूनल) ने बुधवार को कहा कि उसके पास जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के खिलाफ पर्याप्त विश्वसनीय सबूत हैं जिससे वो साबित कर सकते हैं कि यासीन मलिक की अगुवाई वाला गुट एक गैरकानूनी है और साथ ही उन्होंने JKLF पर केंद्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सही ठहराया है.

दरअसल, मार्च 2019 में गृह मंत्रालय ने इस संगठन को गैरकानूनी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था, जिसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया.

ट्रिब्यूनल का कहना है कि केंद्र सरकार के पास 'JKLF-Y' को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित करने और कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं.

प्रतिबंध लगाने के बाद, केंद्र ने कहा कि JKLF आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में है और जम्मू-कश्मीर व अन्य जगहों पर चरमपंथ और उग्रवाद का समर्थन कर रहा है.

वहीं, इस मामले पर न्यायमूर्ति शेखर ने कहा कि दर्ज की गई FIR का सावधानी पूर्वक उल्लेख यह स्पष्ट करता है कि एसोसिएशन सक्रिय रूप से राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से लिप्त है और इसका समर्थन कर रही है.

उन्होंने कहा कि यासीन मलिक द्वारा दिए गए बयान से पता चलता है कि वो चरित्र में अलगाववादी हैं और जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद का समर्थन करते हैं. इस तरह के बयानों से भावनाओं को उकसाने की क्षमता होती है जो अंततः देश की क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रही हो जाती है.

पढ़ें- डोवाल जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद दूसरी बार घाटी पहुंचे

बता दें कि अलगावादी नेता यासीन मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं जबकि JKLF को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सेना पर हुए आतंकी हमले के बाद गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया गया है.

गौरतलब है कि JKLF पर अलग अलग 37 मामलों में सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही हैं.

नई दिल्ली: गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ट्रिब्यूनल (UAPA ट्रिब्यूनल) ने बुधवार को कहा कि उसके पास जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के खिलाफ पर्याप्त विश्वसनीय सबूत हैं जिससे वो साबित कर सकते हैं कि यासीन मलिक की अगुवाई वाला गुट एक गैरकानूनी है और साथ ही उन्होंने JKLF पर केंद्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सही ठहराया है.

दरअसल, मार्च 2019 में गृह मंत्रालय ने इस संगठन को गैरकानूनी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था, जिसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया.

ट्रिब्यूनल का कहना है कि केंद्र सरकार के पास 'JKLF-Y' को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित करने और कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं.

प्रतिबंध लगाने के बाद, केंद्र ने कहा कि JKLF आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में है और जम्मू-कश्मीर व अन्य जगहों पर चरमपंथ और उग्रवाद का समर्थन कर रहा है.

वहीं, इस मामले पर न्यायमूर्ति शेखर ने कहा कि दर्ज की गई FIR का सावधानी पूर्वक उल्लेख यह स्पष्ट करता है कि एसोसिएशन सक्रिय रूप से राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से लिप्त है और इसका समर्थन कर रही है.

उन्होंने कहा कि यासीन मलिक द्वारा दिए गए बयान से पता चलता है कि वो चरित्र में अलगाववादी हैं और जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद का समर्थन करते हैं. इस तरह के बयानों से भावनाओं को उकसाने की क्षमता होती है जो अंततः देश की क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रही हो जाती है.

पढ़ें- डोवाल जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद दूसरी बार घाटी पहुंचे

बता दें कि अलगावादी नेता यासीन मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं जबकि JKLF को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सेना पर हुए आतंकी हमले के बाद गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया गया है.

गौरतलब है कि JKLF पर अलग अलग 37 मामलों में सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही हैं.

Intro:New Delhi: An Unlawful Activities (Prevention) Act Tribunal on Wednesday said that there is sufficient credible evidence to declare the Jammu and Kashmir Liberation Front (JKLF-Y), a faction headed by Yasin Malik as an unlawful association and upheld the ban imposed by the Centre.

The Home Ministry in March 2019 had listed the organisation as an unlawful association, following which a tribunal, headed by Justice Chander Shekhar was constituted to adjudicate the same.

"The Central government had sufficient credible material and grounds for taking action for declaring 'JKLF-Y' as an 'unlawful association'. It is held that there is 'sufficient cause' to confirm the notification of the act declaring 'JKLF-Y' to be an 'unlawful association," Justice Chander Shekhar stated in the order.


Body:While imposing the ban, the Centre said it was of the opinion that the JKLF is "in close touch with militant outfits" and is supporting extremism and militancy in Jammu and Kashmir and elsewhere.

"A careful perusal of the FIRs brought on record makes it apparent that the Association has been actively indulging in and supporting anti-national activities," Justice Shekhar stated.

"There are statements attributed to Yasin Malik which are separatists in character and support extremism and militancy in Jammu and Kashmir. Such statements have the potential of instigating sentiments which ultimately become prejudicial to the territorial integrity and security of the country," it said.


Conclusion:According to the tribunal, the contentions put forth by the faction that the exercise of banning it is "vindictive in character or unconstitutional."


Yasin Malik is at present lodged in Delhi's Tihar jail and JKLF was declared unlawful days after attack on a CRPF convoy in the suicide bombing terror attack in Jammu and Kashmir's Pulwama. There are 37 cases being investigated by various agencies against JKLF.

Last Updated : Oct 7, 2019, 5:37 PM IST
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