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कर्नाटक : इस गांव में हैं सिर्फ एक मंजिल वाला घर, जानें क्यों - रीतियां और कुरीतियां

तमाम मानव सभ्यताएं अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जानी जाती हैं. उनकी मान्यताओं से उनकी पहचान होती है. वह उनको दूसरों से अलग बनाती हैं. इनमें रीतियां और कुरीतियां दोनों शामिल हैं. दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में एक ऐसा गांव है, जहां एक भी घर दो मंजिल वाले नहीं है.

village of belagavi karnataka
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Published : Dec 1, 2020, 6:18 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 6:36 PM IST

बेंगलुरु : इतिहास गवाह है कि मनाव सभ्यताएं मान्यताओं पर आधारित रही हैं. आज भी ऐसी तमाम मान्यताएं और परंपराएं हैं जो लोग मानते हैं. कर्नाटक के बेलागावी जिले में एक ऐसा गांव है, जहां लोग दो मंजिला घर नहीं बना सकते.

जिले के अठानी तालुक में स्थित कोहल्ली गांव में कोई भी घर दो मंजिला नहीं होता. गांव में जितनी भी इमारतें हैं उनकी ऊंचाई गांव में ही स्थित श्री संगमेश्वर मंदिर से कम है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कहा जाता है कि खागोल नाम के एक साधू ने इस गांव में तपस्या की थी. इससे पहले गांव को शिवपुर के नाम से जाना जाता था. खागोल ने ही गांव का नाम बदलकर कोहल्ली कर दिया था.

ग्रामीण ने बताया कि एक बार एक परिवार ने कई मंजिला इमारत बना ली थी, जिसके बाद उन्हें तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बाद में उन्होंने घर तोड़कर उसे एक मंजिला बनाया और उनका जीनव सुख से भर गया. गांव की आबादी करीब 5000 है. उनमें से कई किसान हैं. ज्यादातर ग्रामीण समृद्ध हैं.

श्री संगमेश्वर मंदिर को सिर्फ सफेद रंग से रंगा जाता है. मंदिर में शादी करना मना है, क्योंकि उसे अशुभ माना जाता है. यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि कोहल्ली गांव के लोग आज भी इन परंपराओं और मान्यताओं को मानते हैं.

बेंगलुरु : इतिहास गवाह है कि मनाव सभ्यताएं मान्यताओं पर आधारित रही हैं. आज भी ऐसी तमाम मान्यताएं और परंपराएं हैं जो लोग मानते हैं. कर्नाटक के बेलागावी जिले में एक ऐसा गांव है, जहां लोग दो मंजिला घर नहीं बना सकते.

जिले के अठानी तालुक में स्थित कोहल्ली गांव में कोई भी घर दो मंजिला नहीं होता. गांव में जितनी भी इमारतें हैं उनकी ऊंचाई गांव में ही स्थित श्री संगमेश्वर मंदिर से कम है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कहा जाता है कि खागोल नाम के एक साधू ने इस गांव में तपस्या की थी. इससे पहले गांव को शिवपुर के नाम से जाना जाता था. खागोल ने ही गांव का नाम बदलकर कोहल्ली कर दिया था.

ग्रामीण ने बताया कि एक बार एक परिवार ने कई मंजिला इमारत बना ली थी, जिसके बाद उन्हें तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बाद में उन्होंने घर तोड़कर उसे एक मंजिला बनाया और उनका जीनव सुख से भर गया. गांव की आबादी करीब 5000 है. उनमें से कई किसान हैं. ज्यादातर ग्रामीण समृद्ध हैं.

श्री संगमेश्वर मंदिर को सिर्फ सफेद रंग से रंगा जाता है. मंदिर में शादी करना मना है, क्योंकि उसे अशुभ माना जाता है. यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि कोहल्ली गांव के लोग आज भी इन परंपराओं और मान्यताओं को मानते हैं.

Last Updated : Dec 1, 2020, 6:36 PM IST
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