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अविवाहित बेटियों को फैमिली पेंशन देने की तैयारी में मध्य प्रदेश सरकार

मध्यप्रदेश सरकार अब 25 साल की उम्र पूरी होने के बाद भी अविवाहित बेटियों को पेंशन देने की तैयारी कर रही है. इस प्रस्ताव को वित्त विभाग की सहमति मिल गई है. अब मुख्यमंत्री सचिवालय ने इसके परीक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा है.

अविवाहित बेटियों को पेंशन देने की तैयारी
अविवाहित बेटियों को अविवाहित बेटियों को पेंशन देने की तैयारी पेंशन देने की तैयारी
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Published : Feb 8, 2021, 6:58 PM IST

भोपाल : सरकारी कर्मचारी माता-पिता की मृत्यु के बाद अविवाहित बेटी को परिवार पेंशन दिए जाने की मध्य प्रदेश सरकार तैयारी कर रही है. अभी तक 18 साल तक के बेटे और 25 साल तक की आयु तक की बेटी को ही परिवार पेंशन दिए जाने का नियम है. लेकिन केंद्र सरकार की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी 25 साल की उम्र के बाद अविवाहित बेटी को इस दायरे में लाया जा रहा है. इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग पहले ही सहमति दे चुका है. अब मुख्यमंत्री सचिवालय ने इसके परीक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा है.

सीएम शिवराज
सीएम शिवराज
केंद्र सरकार ने योजना में यह बदलाव किएकेंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के मामले में 28 अप्रैल 2011 को पेंशन नियमों में संशोधन कर आविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन दिए जाने की पात्रता उम्र बढ़ा चुकी है. मध्य प्रदेश में अभी कर्मचारियों के मामले में माता पिता की मृत्यु के बाद 18 साल तक की बेटे और 25 साल तक की उम्र की बेटी को ही परिवार पेंशन पाने की पात्रता है. लेकिन अब राज्य सरकार 25 साल की उम्र पूरी होने के बाद भी अविवाहित बेटी को पेंशन दिए जाने पर विचार कर रही है. इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग 13 मार्च 2020 को परिवार पेंशन कल्याण मंडल की बैठक में अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुका है. मुख्यमंत्री सचिवालय ने ऐसे परीक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है, ताकि बेटियों को परिवार पेंशन का लाभ प्राप्त हो सके.

विवाह होने पर बंद हो जाएगी पेंशन

प्रस्ताव में अविवाहित बेटियों को 25 साल की उम्र की सीमा को खत्म किया जा रहा है. जाहिर है जब तक बेटी की शादी नहीं हो जाती उसे परिवार पेंशन मिलती रहेगी. इसी तरह विधवा बेटी के मामले में जब तक वह जीवित रहती है. उसे पेंशन के दायरे में रखा जाएगा. हालांकि इसमें शर्त रखी गई है कि बेटी का विवाह होने या विधवा बेटी का पुनर्विवाह होने के बाद पेंशन की पात्रता खत्म हो जाएगी. विकलांग बेटे और बेटियों के मामले में परिवार पेंशन के लिए आयु की कोई सीमा नहीं रखी गई है.

आश्रित को पेंशन की 30 फीसदी राशि ही होती है प्राप्त
आश्रित को परिवार पेंशन के रूप में सिर्फ पेंशन की 30 फीसदी राशि ही प्राप्त होती है. सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद कर्मचारी को पेंशन के रूप में मूल वेतन की 50 फीदसी राशि और कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद पत्नी को 30 फीसदी पेंशन दी जाती है. राज्य सरकार ने पेंशन की न्यूनतम राशि 7 हजार 550 और केंद्र सरकार ने 9 हजार न्यूनतम पेंशन तय की है.

भोपाल : सरकारी कर्मचारी माता-पिता की मृत्यु के बाद अविवाहित बेटी को परिवार पेंशन दिए जाने की मध्य प्रदेश सरकार तैयारी कर रही है. अभी तक 18 साल तक के बेटे और 25 साल तक की आयु तक की बेटी को ही परिवार पेंशन दिए जाने का नियम है. लेकिन केंद्र सरकार की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी 25 साल की उम्र के बाद अविवाहित बेटी को इस दायरे में लाया जा रहा है. इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग पहले ही सहमति दे चुका है. अब मुख्यमंत्री सचिवालय ने इसके परीक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा है.

सीएम शिवराज
सीएम शिवराज
केंद्र सरकार ने योजना में यह बदलाव किएकेंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के मामले में 28 अप्रैल 2011 को पेंशन नियमों में संशोधन कर आविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन दिए जाने की पात्रता उम्र बढ़ा चुकी है. मध्य प्रदेश में अभी कर्मचारियों के मामले में माता पिता की मृत्यु के बाद 18 साल तक की बेटे और 25 साल तक की उम्र की बेटी को ही परिवार पेंशन पाने की पात्रता है. लेकिन अब राज्य सरकार 25 साल की उम्र पूरी होने के बाद भी अविवाहित बेटी को पेंशन दिए जाने पर विचार कर रही है. इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग 13 मार्च 2020 को परिवार पेंशन कल्याण मंडल की बैठक में अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुका है. मुख्यमंत्री सचिवालय ने ऐसे परीक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है, ताकि बेटियों को परिवार पेंशन का लाभ प्राप्त हो सके.

विवाह होने पर बंद हो जाएगी पेंशन

प्रस्ताव में अविवाहित बेटियों को 25 साल की उम्र की सीमा को खत्म किया जा रहा है. जाहिर है जब तक बेटी की शादी नहीं हो जाती उसे परिवार पेंशन मिलती रहेगी. इसी तरह विधवा बेटी के मामले में जब तक वह जीवित रहती है. उसे पेंशन के दायरे में रखा जाएगा. हालांकि इसमें शर्त रखी गई है कि बेटी का विवाह होने या विधवा बेटी का पुनर्विवाह होने के बाद पेंशन की पात्रता खत्म हो जाएगी. विकलांग बेटे और बेटियों के मामले में परिवार पेंशन के लिए आयु की कोई सीमा नहीं रखी गई है.

आश्रित को पेंशन की 30 फीसदी राशि ही होती है प्राप्त
आश्रित को परिवार पेंशन के रूप में सिर्फ पेंशन की 30 फीसदी राशि ही प्राप्त होती है. सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद कर्मचारी को पेंशन के रूप में मूल वेतन की 50 फीदसी राशि और कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद पत्नी को 30 फीसदी पेंशन दी जाती है. राज्य सरकार ने पेंशन की न्यूनतम राशि 7 हजार 550 और केंद्र सरकार ने 9 हजार न्यूनतम पेंशन तय की है.

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